भोपाल। कोरोना महामारी के बीच देश समेत प्रदेशों की अर्थव्यवस्था भी सुस्त पड़ गई है। सरकारी नौकरी न निकलने के कारण बेरोजगार युवाओं का भार प्राइवेट सेक्टर पर पड़ रहा है। ऐसे में मप्र में बेरोजगारी समेत तमाम समस्याएं सरकार के सामने खड़ीं हैं। अब मप्र सरकार आत्मनिर्भर मप्र के तहत प्रदेश के दो दर्जन जिलों में छोटे और मझोल उद्योगों को बढ़ावा देने की नीति पर काम कर रही है। इसके लिए प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार को दो दर्जन प्रस्ताव भेजे थे। इनमें से एक दर्जन प्रस्तावों को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। साथ ही केंद्र सरकार ने इसके लिए दो सौ करोड़ रुपए का बजट भी मंजूर किया है।
वहीं इस राशि में 50 करोड़ सरकार भी मिलाएगी। इस राशि का उपयोग कर तय जिलों में औद्योगिक अधोसंरचना के विकास किया जाएगा। इसके बाद प्रदेश के जिलों में भी रोजगार के नए अवसर खुलेंगे। सरकार भी उद्योग लगाने की नीति पर काम कर रही है। इस योजना के बाद तय जिलों में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से दो लाख लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। अब इन स्वीकृत प्रस्तावों को केन्द्र सरकार की स्क्रीनिंग कमेटी में पेश किया जाएगा। इसके बाद इन प्रस्तावों को अंतिम रुप से अनुमोदन प्रदान किया जाएगा।
इन जिलों में होगा विकास…
केंद्र सरकार द्वारा जिन योजनाओं को स्वीकृती दी गई है उनमें से भोपाल और राजगढ़ में इंजिनियरिंग क्लस्टर तथा औद्योगिक संस्थान फूड प्रोसेसिंग भी शामिल है। इसके साथ ही अकोदी में लाख क्लस्टर का प्रस्ताव भी केंद्र सरकार द्वारा मंजूर किया गया है। आत्मनिर्भर मप्र के तहत प्रदेश के भोपाल, बालाघाट, खरगोन, बुरहानपुर, बैतूल, देवास, उज्जैन सतना, छतरपुर और अशोकनगर सहित अन्य चयनित जिलों में औद्योगिक विकास पर जोर दिया जाएगा। सरकार की रोजगार की मंशा से इन योजनाओं के अमल के बाद करीब दो लाख से ज्यादा रोजगार के अवसर मिलने की उम्मीग जताई जा रही है। कोरोना महामारी के इस दौर में यह बेरोजगार युवाओं के लिए सरकार की तरफ से राहत की खबर है।