रायपुर। अब छत्तीसगढ़ में ही आरोपियों का नार्को टेस्ट कराया जा सकेगा। इके लिए रायपुर एम्स को नार्को टेस्ट कराए जाने की अनुमति मिल गई है। गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने विधानसभा में यह जानकारी दी। इस सुविधा के बाद से नारको टेस्ट के लिए अब छत्तीसगढ़ आत्मनिर्भर हो गया है। इसके साथ ही जानकारी दी गई है कि प्रदेश के दुर्ग जिले में एफएसएल कालेज स्थापित किया जाएगा। वहीं सभी रेंज मुख्यालयों में साइबर थानों की स्थापना भी जाएगी। वहीं राज्य के 28 जिलों में डायल 112 की सुविधा भी मिलेगी।
नार्को टेस्ट से क्या पता चलता है, कैसे किया जाता है?
किसी भी व्यक्ति का नार्को टेस्ट के बारे में NCBI द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार यह Deception Detection Test कहलाता है। इस टेस्ट के जरिए किसी भी व्यक्ति के दिमाग को पढ़ा जाता है। या ब्रेन-मैपिंग की जाती है। क्राइम से जुड़े तत्थ्यों को ढूंढा जाता है। इस टेस्ट के जिरए आरोपी को हिप्नोटाइज किया जाता है। जिसके बाद उससे सही जानकारी हासिल की जाती है। इस टेस्ट को करने के लिए एक तरह की दवाई का इस्तेमाल भी किया जाता है। ताकि व्यकित के चेतन मन को कुछ हद तक कमजोर किया जा सके।
नार्को टेस्ट में कितना खर्च होता है, फुल फॉर्म क्या है?
यहां बता दें कि एक व्यक्ति का नार्को टेस्ट कराने के लिए करीब 55 हजार रुपए का खर्च होते हैं। इस टेस्ट को फोरेंसिक लैब में किया जाता है। वहीं अगर बात करें नार्को टेस्ट के फुल फार्म की तो इसे Narco synthesis sodium amytal interview या amobarbital interview amytal interview कहा जा सकता है।
नार्को टेस्ट की अनुमति कौन देता है, कौन सी दवा उपयोग होती है?
यदि किसी भी आरोपी का नार्को टेस्ट किया जाना है तो इसकी अनुमति कोर्ट से लेनी पड़ती है। लेकिन इस टेस्ट के लिए कथित तौर पर आरोपी की सहमति भी लोनी जरूरी मानी जाती है। वहीं जहां तक बात है इस टेस्ट में उपयोग की जाने वाली दवाई की तो नार्को टेस्ट परीक्षण के लिए सोडियम पेंटोथल, स्कोपोलामाइन और सोडियम अमाइटल जैसी दवाईयों का इस्तेमाल किया जाता है। हलांकि, सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के अनुसार इस टेस्ट को सहमति के बिना किए जाने पर अवैध बताया था।