भोपाल। मध्य प्रदेश का एक जिला है रतलाम (Ratlam)। यहां का एक गांव काफी अनोखा है। गांव के लोग अपने घरों की रंगाई-पुताई नहीं कराते हैं। साथ ही यहां के लोग पानी को भी छानकर नहीं पीते हैं। सबसे बड़ी बात ये कि गांव का कोई भी सदस्य काले रंग की वस्तु का उपयोग तक नहीं करता। आपको ये बातें सुनकर थोड़ा अजीब जरूर लग रहा होगा, लेकिन ये बिल्कुल सच है।
लोग यहां कपड़े से लेकर जुते तक काले नहीं पहनते
गांव के लोग आज भी आधुनिक जमाने में अपनी परम्पराओं और रीति रिवजों को आगे रखकर चल रहे हैं। ये गांव हैं रतलाम के आलोट ब्लॉक (Allot Block) में स्थित ग्राम ‘कछालिया’। यहां के लोग कपड़े से लेकर जुते तक काले नहीं पहनते हैं। यहां तक कि गांव के मंदिर के सामने से कोई दुल्हा घोड़ी पर चढ़कर नहीं निकलता और न ही मंदिर के सामने से किसी शवयात्रा का निकाला जाता है। मान्यता ये है कि जो भी शक्स गांव के नियमों को नहीं मानता उसके साथ कुछ ना कुछ अनहोनी जरूर हो जाती है।
सदियों से चली आ रही है परम्परा
गांव में स्थित मंदिर के पुजारी बताते हैं कि कछालिया गांव में सदियों से ये परम्परा चली आ रही है। यहां के लोग इस बात का विशेष ध्यान रखते हैं कि उनसे कोई नियम ना टूट जाए। एक बार गांव एक दूल्हा घोड़ी पर चढ़कर मंदिर के सामने से निकल गया था और एक युवक ने काले कपड़े पहन लिए थे। जिसके बाद उन दोनों पर मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ था।
इस कारण से ऐसा करते हैं लोग
हालांकि, गांव के लोग ऐसा किसी अंधविश्वास की वजह से नहीं करते हैं। बल्कि पूरा गांव बाबा कालेशवर भैरव की पूजा करता है और उनके सम्मान में सदियों से यहां के लोग इस नियम का पालन करते हैं। लोग बस मंदिर में ही सम्मान से रंग रोगन करते हैं और अपनी घरों को बिना रंगाई-पुताई के रखते हैं। वहीं, गांव में जीतने भी सरकारी भवन हैं उनका रंग रोगन किया जाता है। लेकिन ग्रामीण अपने-अपने घरों पर रंग चढ़ाने से बचते हैं।