न्यूयॉर्क। Nobel Peace Prize तथ्यों की जांच करने वाली वेबसाइट ऑल्टन्यूज के सह-संस्थापक प्रतीक सिन्हा और मोहम्मद जुबैर तथा भारतीय लेखक हर्ष मंदर इस साल के नोबेल शांति पुरस्कार के संभावित विजेताओं में शामिल हैं। विजेता के नाम की घोषणा से पहले जारी की गई संक्षिप्त सूची से इस बात के संकेत मिल रहे हैं। नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा सात अक्टूबर को नॉर्वे के ओस्लो में की जाएगी।
सबसे प्रतिष्ठित वैश्विक सम्मानों में से एक नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा से पहले इस बारे में अटकलें जा रही हैं कि कौन व्यक्ति और कौन सा संगठन पसंदीदा नाम है और दौड़ में सबसे आगे है। ‘द टाइम’ पत्रिका ने ‘‘नॉर्वे के सांसदों के माध्यम से सार्वजनिक किए गए नामांकन, सट्टेबाजों की भविष्यवाणियों और पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट, ओस्लो’’ से चुने गए नामांकन के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें संभावित विजेताओं के नाम शामिल किए गए हैं। पत्रिका की ओर से तैयार सूची में पत्रकार प्रतीक सिन्हा और जुबैर के नाम शामिल हैं। द टाइम की रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों ने ‘‘सोशल मीडिया पर चल रही अफवाहों और फर्जी खबरों को पद्धतिगत रूप से खारिज किया है और नफरती भाषण के प्रसार पर रोक की दिशा में एक बेहतरीन प्रयास किया है।
दिल्ली पुलिस ने जुबैर को ट्वीट के जरिये धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में 27 जून को गिरफ्तार किया था। ‘द टाइम’ के लेख में कहा गया है कि जुबैर की गिरफ्तारी की दुनिया भर के पत्रकारों ने निंदा की है, जिन्होंने कहा है कि जुबैर के खिलाफ कार्रवाई तथ्यान्वेषण के उनके कार्य की दृष्टि से प्रतिशोधात्मक कदम है। इस सूची में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की, संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी, बेलारूस की विपक्षी नेता स्वेतलाना सिखानौस्काया, विश्व स्वास्थ्य संगठन, रूसी जेल में बंद विपक्षी नेता और भ्रष्टाचार रोधी कार्यकर्ता एलेक्सी नवलनी और स्वीडिश जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थुनबर्ग भी शामिल हैं। द पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट, ओस्लो के निदेशक हेनरिक उरदल ने संभावित शांति पुरस्कार विजेताओं की अपनी वार्षिक संक्षिप्त सूची भी जारी की।
उनकी सूची में हर्ष मंदर और 2017 में उनके द्वारा शुरू किया गया अभियान ‘कारवां-ए-मोहब्बत’ शामिल है। उरदल ने भी सिन्हा और जुबैर को भारत में ‘धार्मिक उन्माद और असहिष्णुता का मुकाबले करने को लेकर इस पुरस्कार के लिए अन्य योग्य उम्मीदवारों’ के तौर पर नामित किया है।उनकी सूची के अनुसार, हर्ष मंदर इस तरह का पुरस्कार पाने के योग्य हैं, क्योंकि उन्होंने 2017 में कारवां-ए-मोहब्बत शुरू किया था। उन्होंने कहा कि धार्मिक अतिवाद भेदभाव और हिंसा को सही ठहराने में मदद करता है और समूहों के बीच तनाव पैदा करता है जिसके परिणामस्वरूप सशस्त्र संघर्ष हो सकता है।