एनजीओ स्वयंसेवक सिंघू बॉर्डर पर दो बेड का अस्थायी अस्पताल स्थापित करने की योजना पर काम कर रहे हैं -

एनजीओ स्वयंसेवक सिंघू बॉर्डर पर दो बेड का अस्थायी अस्पताल स्थापित करने की योजना पर काम कर रहे हैं

नयी दिल्ली, पांच जनवरी (भाषा) एक गैर सरकारी संस्था (एनजीओ) के स्वयंसेवक सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों के लिए दो बेड का अस्थायी अस्पताल बनाने की योजना पर काम कर रहे हैं।

एनजीओ ‘ लाइफ केयर फाउंडेशन’ ने पिछले साल 30 नवंबर को सिंघू बॉर्डर पर एक चिकित्सा शिविर स्थापित किया था।

फार्मासिस्ट और एनजीओ के स्वयंसेवक सादिक मोहम्मद ने बताया कि बारिश के कारण उनकी योजना में देरी हो गई है।

उन्होंने कहा, ‘हमने बुधवार से आपातकालीन अस्पताल शुरू करने की योजना बनाई थी, लेकिन बारिश के कारण इसमें देरी हुई है। हमारे तम्बू में बारिश का पानी टपकने लगा। हम बुधवार को बेहतर वॉटरप्रूफ (जल रोधक) वाला तम्बू लगाएंगे।’

सादिक ने बताया कि एनजीओ के आठ स्वयंसेवक हैं जिनमें फार्मासिस्ट और तकनीशियन शामिल हैं। वे पंजाब के मोहाली जिले से सिंघू बॉर्डर आए हैं।

अन्य स्वयंसेवक अवतार सिंह ने कहा कि बुधवार से शिविर में ईसीजी सुविधा उपलब्ध होगी।

उन्होंने कहा, ‘ बारिश की वजह से हमें दवाई के छह बॉक्सों का नुकसान हो गया।’

दिल्ली में मंगलवार को लगातार तीसरे दिन बारिश हुई। हालांकि शहर का न्यूनतम तापमान बढ़कर 13.2 डिग्री सेल्सियस हो गया जो सामान्य से छह डिग्री सेल्सियस ज्यादा है।

एनजीओ के स्वयंसेवकों ने कहा कि उनके पास पांच मरीज दिल से संबंधित बीमारियों को लेकर आए हैं।

सिंह ने कहा, ‘ हम प्रदर्शनकारियों को आपात सेवा देना चाहते हैं। अगर किसी को दिल का दौरा पड़ता है तो त्वरित चिकित्सा मदद से उसकी जान बचाई जा सकती है। हम सरकार से आग्रह करते हैं कि वे नजदीकी अस्पतालों के साथ मिलकर काम करे ताकि प्रदर्शनकारी को समय पर अच्छा इलाज मिले और उसे बिल की चिंता भी नहीं हो।’

उन्होंने बताया कि दो बेड का अस्पताल 24 घंटे चलेगा और दो डॉक्टर मरीज की निगरानी करेंगे।

सादिक ने बताया, ‘ अगर किसी मरीज को कुछ गंभीर मसला हुआ तो हम उसे अस्पताल में भर्ती करने की सिफारिश करेंगे। स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों को लेकर करीब 40 प्रतिशत ऐसे लोग हमारे पास आ रहे हैं जो आसपास के इलाके में काम करते हैं या रहते हैं। ‘

पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर पिछले साल नवंबर से प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांग है कि हाल में बनाए गए कृषि कानूनों को केंद्र सरकार निरस्त करे।

भाषा

नोमान उमा

उमा

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