Digital India Bill: केंद्र में तीसरी बार बनी मोदी सरकार AI (एआई) डीपफेक वीडियोज और अन्य खतरनाक और फेक ऑनलाइन कंटेंट को रोकने के लिए संसद सत्र में एक नया बिल लाने का प्लान बना रही है।
मीडिया रिर्पोट की मानें तो इस बिल का नाम डिजिटल इंडिया बिल रखा जा सकता है।
यह कानून आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टेक्नोलॉजी का बेहतर यूज करने के नए तरीके की खोज भी करेगा और साथ ही बढ़ रहे उपराधों की देख-रेख कर इन्हें रोकने का प्रयास भी करेगा।
मोदी सरकार संसद में बिल पेश करने से पहले बिल पर एक क्रॉस-पार्टी सहमति प्राप्त करने का भी प्रयास करेगी यानी सरकार इस बिल के लिए विपक्ष से भी बात कर सकती है और सर्वसम्मति से एक नया बिल पास कर सकती है।
डीपफेक पर लगने वाली है लगाम: मोदी सरकार लाएगी विपक्ष का समर्थन लेके डिजिटल इंडिया बिल! अब AI का होगा बेहतर यूज@narendramodi @RahulGandhi @JM_Scindia @NitishKumar @ncbn @PawanKalyan #DIGITAL #digitalindia #AI #deepfake #government
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— Bansal News (@BansalNewsMPCG) June 16, 2024
26 जून से होगा 18वीं लोकसभा का पहला सत्र शुरु
मीडिया रिर्पोट की माने तो देश में बने नए संसद भवन में 26 जून से शुरू हो रहे 18वीं लोकसभा के पहले सत्र में सबसे पहले नए सांसदों का शपथ ग्रहण और राष्ट्रपति का अभिभाषण होना है।
इसी सत्र में सरकार पूर्ण बजट भी पेश कर सकती है। इस बजट के अलावा सत्र में डिजिटल इंडिया बिल (Digital India Bill) पर भी लंबी बहस हो सकती है और इस बिल को लाने पर विचार किए जा सकते हैं।
इस बिल में सोशल मीडिया पर जारी होने वाले वीडियो को रेगुलेट करने का भी प्रावधान हो सकता है।
पिछले साल तत्कालीन IT राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा था कि सरकार फेक वीडियो और सोशल मीडिया के वीडियो को रेगुलेट करने का बिल लाने की तैयारी में है।
उन्होंने फाइनेंशियल एक्सप्रेस के डिजीफंड एंड सेफ्टी समिट में कहा था कि इस बिल पर लंबी चर्चा और बहस की जरूरत है, जिसमें समय लग सकता है।
चुनाव से पहले इसे संसद की पटल पर लाना मुमकिन नहीं लगता। इस बिल को लाने का उद्देश्य देश में बढ़ रहे डीपफेक पर रोक लगाना है।
क्या होता है डीपफेक
डीपफेक एक ऐसी नई टेक्नोलॉजी है जिसने कुछ समय के अंदर ही लोगों के मन में संदेह और सवाल पैदा कर दिए हैं।
इस डीपफेक के माध्यम से कुछ हैकर्स लोगों को भ्रमित करने और लोगों की प्रायवेसी को भंग करने वाली यह टेक्नोलॉजी लगातार सरकार के लिए चिंता का विषय बनी हुई थी।
लोकसभा चुनावों के पहले चुनाव आयोग ने भी डीपफेक को लेकर अपनी चिंता जताई थी।
कैसे बनाया जाता है डीपफेक
डीपफेक शब्द पहली बार 2017 में सामने आया था क्योंकि तब अमेरिका के सोशल न्यूज एग्रीगेटर Reddit पर डीपफेक आईडी से कई सेलिब्रिटीज के वीडियो पोस्ट किए गए थे।
इसमें एक्ट्रेस एमा वॉटसन, गैल गैडोट, स्कारलेट जोहानसन के कई पोर्न वीडियो थे। डीपफेक में किसी रियल वीडियो, फोटो या ऑडियो में दूसरे के चेहरे, आवाज और एक्सप्रेशन को फिट कर देने को डीपफेक नाम दिया गया है।
ये इतनी सफाई से होता है कि कोई भी यकीन कर ले। इसमें फेक भी असली जैसा लगता है। इसमें मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सहारा लिया जाता है।
इसमें वीडियो और ऑडियो को टेक्नोलॉजी और सॉफ्टवेयर की मदद से बनाया जाता है।
एक्ट्रेस से लेकर गृहमंत्री हुए है डिपफेक का शिकार
फिल्म अभिनेत्री रश्मिका मंधाना की एक डीपफेक विडियो वायरल हुई थी जिसके बाद सभी ने इसको लेकर चिंता जताई थी।
इसी चुनावी साल 2024 के अप्रैल महीने में मुंबई पुलिस ने महाराष्ट्र यूथ कांग्रेस के ट्विटर अकाउंट और 16 अन्य लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था, क्योंकि इस हैंडल से गृहमंत्री अमित शाह का एक डीपफेक विडियो डाला गया था, जिसमें वह एसी एसटी और ओबीसी के रिजर्वेशन में कटौती करने की घोषणा कर रहे थे।
जिससे लोगों में गलत संदेश जा रहा था और अमित शाह की छवि खराब हो रही थी।
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