New Year History: जानिए- 1 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है नया साल?, किसी और दिन इसे क्यों नहीं मनाया जाता?

New Year History: नए साल को लेकर लोगों में उत्सुकता है। हालांकि, कोरोना के नए वेरिएंट ‘ओमिक्रॉन’ की वजह से इसके रंग में भंग पड़ सकता है। फिर भी नए साल के स्वागत के लिए लोग तैयार हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि नया साल 1 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है? यह किसी और दिन क्यों शुरू नहीं होता? क्या नया साल 1 जनवरी को ही पहले भी मनाया जाता था? ऐसे कई सवाल हैं जो आपके मन में जरूर आते होंगे। तो आइए आज हम आपको नए साल के इतिहास (New Year History) के बारे में बताते हैं।
ये है न्यू ईयर का इतिहास
हम सब कई पुरानी यादों को छोड़कर नए साल में एक नई शुरूआत करना चाहते हैं। लेकिन, आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पहले नया साल 1 जनवरी को नहीं मनाया जाता था। 1 जनवरी को नया साल मनाने की शुरूआत 15 अक्टूबर 1582 में हुई थी। पहले नया साल या तो 25 मार्च को या 25 दसंबर को लोग मनाते थे। लेकिन फिर रोम के राजा जूलियस सीजर (Julius Caesar) ने रोमन कैलेंडर में बदलाव कर दिया जिसके बाद जनवरी को साल का पहला महीना माना गया।
पहले इस महीने में मनाया जाता था न्यू ईयर
पहले मार्च को साल का पहला महीना कहा जाता था। ऐसा इसलिए क्यों कि मार्च का नाम मार्स (mars) ग्रह के नाम पर रखा गया है। मार्स यानी मंगल ग्रह को रोम में लोग युद्ध का देवता मानते हैं, सबसे पहले जिस कैलेंडर को बनाया गया था उसमें सिर्फ 10 महीने ही होते थे। ऐसे में एक साल में 310 दिन होता था और 8 दिन का एक सप्ताह माना जाता था।
10 की जगह किए गए 12 महीने
बाद में रोशन शासक जूलियस सीजर ने इस कैलेंडर में बदलाव कर दिया। सीजर ने 1 जनवरी को नए साल की शुरूआत के लिए सबसे अच्छा दिन माना। साथ ही उन्होंने कैलेंडर में 10 की जगह 12 महीने कर दिए। ऐसा करने से पहले वो कई खगोलविदों से भी मिले थे। मुलाकात के बाद उन्हें पता चला कि धरती 365 दिन और छह घंटे में सूर्य की परिक्रमा करती है। इसको देखते हुए जूलियन ने कैलेंडर में साल में 365 दिन किए थे।
हालांकि, बाद में पोप ग्रेगरी ने कैलेंडर में लीप ईयर को लेकर गलती भी खोजी, उनका मानना था कि एस साल में 365 दिन, 5 घंटे और 46 सेकंड होते हैं। जिसे बाद में कैलेंडर में जोड़ा भी गया।