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New Technology : इलेक्ट्रिकसिटी से नहीं ​बल्कि पसीने से होगी बैटरी चार्ज, जानें क्या है नई तकनीक पढ़े पूरी खबर,

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Preeti Dwivedi
New Technology :  इलेक्ट्रिकसिटी से नहीं ​बल्कि पसीने से होगी बैटरी चार्ज, जानें क्या है नई तकनीक पढ़े पूरी खबर,

नई दिल्ली। कोरोना महामारी ने New Technology लोगों को हेल्थ कॉन्शियस बना दिया है। आपके हार्ट बीट सही चल रही है या नहीं, ब्लड प्रेशर कम—ज्यादा तो नहीं हो रहा। इन सबकी जानकारी मिलती रहे इसके लिए लोगों में स्मार्ट वॉच का चलन काफी बढ़ा है। लेकिन समस्या आती है। इसे बार—बार चार्ज करने की। तो आपकी इस समस्या का हल भी निकल चुका है। अब लाइट न होने पर भी आप इसे अपने पसीने से चार्ज कर सकते हैं।

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जी हां ये बिल्कुल सच है। वैज्ञानिकों ने स्मार्टवॉच के लिए एक खास ऐसी बैटरी बनाई है जो कि बिजली से न चलकर पसीने से चार्ज हो सकती है। यह एक तरह की पोर्टेबल बैटरी है। जिसे स्पेशल वायरलेस डिवाइस के लिए बनाया गया है। यह बैटरी केवल दो मिलीलीटर यानि एक चम्मच से भी कम पसीने से 20 घंटे तक के लिए स्मार्टवॉच को चार्ज कर सकती है। यह स्मार्टवॉच लोगों की जिंदगी का जरूरी हिस्सा बन गई है। महामारी ने लोगों का ध्यान हेल्थ पर ज्यादा बढ़ा दिया है। कलाई में बंधी वॉच आपके कदमों के चलने, हार्टबीट, ऑक्सीजन लेवल सब का हिसाब रखती है।

इन्होंने बनाई तकनीक
सिंगापुर में नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी ने 0.8 स्क्वायर इंच की प्लेन बैंडेज वाली एक पोर्टेबल बैटरी बनाई है। इसे एक लचीले व पसीना सोखने वाले कपड़े से जोड़ा गया है। जिसे कलाई में स्मार्टवॉच के साथ अटैच करके पहना जा सकता है।

पसीने को स्टोर करने की भी क्षमता
स्मार्टवॉच जैसे और भी दूसरे गैजेट्स में इसे लगाया जा सकता है। ये पसीने को सोखता तो है ही साथ-साथ उसे स्टोर करने का गुण भी इसमें होता है। फायदा होता है कि अगर पसीना नहीं आ रहा है तो भी बैटरी लगातार काम करती रहती है। एसी चलाकर बैठने, सोते समय या आराम करते वक्त पसीना कम आता है। उस समय यह कारगार साबित होती है। ऐसे में आपकी स्मार्टवॉच चलती रहेगी।

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खोज है जारी
नानयांग टेक्नोलॉजी के साइंटिस्ट और रिसर्च प्रमुख के अनुसार यह नई तकनीक पहनने वाले गैजेट्स के लिए काफी कारगार साबित हो सकती है। उनके अनुसार वायरलेस गैजेट्स की चार्जिंग के लिए भी नई—नई तरह की खोजें की जा रही हैं। मौसम के अनुकूल और इलेक्ट्रिकसिटी से जार्च होने वाली बैटरियों से हटकर बैटरियों को लेकर खोज जारी है।

आर्टिफीशियल पसीने की अपेक्षा मानव पसीना ज्यादा कारगार
रिसर्चर्स द्वारा पहले आर्टिफिशियल मानव पसीने से चेक करने पर पाया गया कि बैटरी 3.57 वाट वोल्टेज ही बना रही है। इसके बाद मानव पसीने से बनाए जाने पर इसकी क्षमता बढ़कर 4.2 वाट वोल्टेज हो गई।

पहले भी आई है ऐसी डिवाइस
इस खोज के पहले सैनडिएगो की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की टीम ने भी एक ऐसी डिवाइस तैयार की है जिससे मोबाइल भी बिना बिजली के चार्ज हो सकेगा। जिनके अनुसार सोते वक्त डिवाइस को पहनने के बाद पसीने से बिजली पैदा होगी। इसकी सहायता से मोबाइल और स्मार्टवॉच दोनों को चार्ज किया जा सकेगा।

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सोते वक्त भी हो सकेगी चार्ज
रिसर्च कर रही टीम का कहना है कि इस डिवाइस को उंगलियों पर अटैच किया जा सकता है। सोते वक्त हमारी उंगलियों में नमी आने लगती है। जिसकी सहायता से बिजली बनेगी। तीन हफ्ते तक लगातार पहनने के बाद ये स्मार्टफोन को भी चार्ज कर सकेगा। इसकी क्षमता को जल्दी बढ़ाने की उम्मीद है।

ऐसे काम करेगी बैटरी
यह डिवाइस एक पतली और स्ट्रेचेबल पट्टी है। मोबाइल में उपयोग करने के लिए एक प्लास्टर की तरह उंगलियों पर लगाना होगा। यदि स्मार्टवॉच के लिए उपयोग ​करना है तो कलाई के चारों ओर लपेटना होगा। कार्बन फोम इलेक्ट्रोड का एक पैडिंग पसीने को सोख कर इसे बिजली में बदलता है। इलेक्ट्रोड, एंजाइम से लैस होते हैं। ये पसीने में लैक्टेट और ऑक्सीजन मॉलिक्यूल्स के बीच रासायनिक प्रतिक्रियाओं को ट्रिगर करते हैं। फलस्वरूप बिजली बनती है। जब कोई पहनता है और उसे पसीना आता है तो पट्टी पर दबाव पड़ने के कारण बिजली उत्पन्न होती है।

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