नई दिल्ली। Neha Narkhede कंप्यूटर आंकड़ों और संख्याओं के भंडार से भरा रहता है तथा हर गुजरते दिन के साथ साथ यह भंडार बढ़ता जाता है। बड़ी कंपनियों के लिए अपने इस डेटा को संभालना किसी सिरदर्द से कम नहीं है। डेटा प्रबंधन के क्षेत्र में व्यापक संभावना को देखते हुए अमेरिका में बसी भारतीय मूल की नेहा नारखेड़े ने तकरीबन आठ बरस पहले अपने दो सहयोगियों के साथ मिलकर एक कंपनी बनाई।
कैसा रहा सफर
छोटे से अर्से में उन्होंने इतनी दौलत और शोहरत कमाई कि 2020 में फोर्ब्स ने उन्हें अमेरिका की ‘सेल्फ मेड’ महिलाओं की सूची में शुमार किया और हाल ही में उन्हें आईआईएफएल वेल्थ हुरून इंडिया की 2022 की सूची में भारत की सबसे कम उम्र की ‘सेल्फ मेड’ महिला उद्यमी चुना गया है। महाराष्ट्र के पुणे में जन्मी नेहा ने स्थानीय स्कूल में अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की और स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद पुणे की ही सावित्री देवी फुले यूनिवर्सिटी से 2002 से 2006 के बीच कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। वह आगे की पढ़ाई के लिए विदेश चली गईं और 2006 से 2007 के बीच अटलांटा के जार्जिया में जार्जिया इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एमएस की पढ़ाई पूरी की। फरवरी 2008 में नेहा नारखेड़े ने ओराकल कॉरपोरेशन में टेक्निकल स्टाफ के तौर पर अपना करियर शुरू किया और फरवरी 2010 तक इसी पद पर रहीं। इसके बाद वह कंप्यूटर इंजीनियर के तौर पर लिंकेडिन से जुड़ गईं और यहीं से उनकी जिंदगी एक नए रास्ते पर चल पड़ी। लिंकेडिन में काम करने के दौरान उन्होंने अपने दो सहयोगियों-जुन राव और जे क्रेप्स के साथ एक प्रोजेक्ट पर काम करते हुए अपाचे काफ्का नाम से एक ओपन सोर्स प्लेटफॉर्म बनाया।
कैसे मिला प्रोत्साहन
नेहा ने इस संबंध में बताया कि काम के दौरान क्रेप्स को डेटा एक्सेस में कुछ दिक्कत आ रही थी और नेहा ने उन्हें इस इस संबंध में मदद की पेशकश की तथा एक बड़े विचार की शुरूआत हुई। नेहा बताती हैं कि उन लोगों ने कोई नयी तकनीक बनाने की बजाय उन तकनीकों का अध्ययन और विश्लेषण करना शुरू किया, जो इस क्षेत्र में पहले से ही काम कर रही थीं और इस नतीजे पर पहुंचे कि इस समस्या का दरअसल कोई हल है ही नहीं तथा इसकी जरूरत सबको है। यहां से अपाचे काफ्का के निर्माण की नींव पड़ी। इसके दो साल बाद सितंबर 2014 में इन तीनों से मिलकर सॉफ्टवेयर कंपनी कांफ्लेयट की शुरुआत की और बाद में बिजनेस टू बिजनेस ढांचागत कंपनी के तौर पर इसका विस्तार किया। कंप्यूटर प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नाम कमाने वाली महिला उद्यमी के साथ साथ नेहा कलम की भी धनी हैं और उन्होंने ग्वेन शापिरा और टोड बालिनो के साथ मिलकर एक किताब ‘काफ्का : द डेफिनिटिव गाइड’ लिखी है, जिसमें काफ्का द्वारा निर्मित तमाम प्रौद्योगिकियों के बारे में बताया गया है। मार्च 2020 में नेहा ने स्टार्टअप निवेशक और सलाहकार के तौर पर काम करना शुरू किया तथा वह तकनीक आधारित बहुत सी बड़ी-बड़ी कंपनियों को तकनीकी सलाह मुहैया कराती हैं।
माता-पिता का बड़ा योगदान
कंप्यूटर प्रौद्योगिकी के साथ अपने लगाव की बात करते हुए नेहा बताती हैं कि जब वह आठ वर्ष की थीं तो उनके माता-पिता ने उन्हें एक कंप्यूटर लाकर दिया और वहीं से कंप्यूटर टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में उनकी रुचि बढ़ने लगी। एक टेलीविजन चैनल पर नेहा ने बताया कि उनकी सफलता में उनके माता -पिता का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने बचपन से ही उन्हें शिक्षा के महत्व के बारे में बताया और उनमें यह विश्वास पैदा किया कि वह दुनिया का हर काम कर सकती हैं। अपने पति सचिन कुलकर्णी के साथ नए-नए स्थानों की यात्रा करने और स्कूबा डाइविंग का अपना शौक पूरा करने वाली नेहा बताती हैं कि उनके माता पिता उन्हें बचपन से ही ऐसे तमाम लोगों के बारे में बताते थे, जिन्होंने जीवन में बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं, विशेष रूप से उन महिलाओं के बारे में जिन्होंने अपने दम पर अपने लिए एक बेहतर मुकाम बनाया।
कई सूचियों में नाम
इनमें उन्हें जिन लोगों ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया उनमें इलेक्ट्रिक कार बनाने वाली अमेरिकी स्टार्टअप कंपनी एनआईओ की मुख्य कार्यकारी पद्माश्री वारियर, भारत की पहली महिला आईपीएस अधिकारी किरण बेदी और पेप्सीको की अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी इंदिरा नुई शामिल हैं। उपलब्धियों की बात करें तो नेहा नारखेड़े ने भी दुनिया में अपना एक खास मुकाम बनाया है और भारतीय मीडिया से लेकर फोर्ब्स तथा वॉल स्ट्रीट जर्नल तक में उनके चर्चे हैं। इसमें दो राय नहीं कि नेहा नारखेड़े बहुत कम उम्र में इन स्थापित चेहरों की कतार में अपना नाम लिखवा चुकी हैं।