कोरबा। जिले के क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अफसरों का गजब का कारनामा सामने आया है। करीब 40 लाख की लागत वाले रियल टाइम कंटीनिवस वाटर क्वालिटी मोनिटर स्टेशन को नियम विरुद्ध तरीके स्थापित किया गया है।
अधिकारियों ने प्रदूषण जांच वाले सिस्टम को निगम के पंप हाउस के ऊपर लगा दिया। जबकि इस सिस्टम को बहुत गहरे पानी यानि नदी की तलहटी में लगाया जाना चाहिए था। इस लापरवाही से अब प्रदूषण नियंत्रण मंडल सवालों के घेरे में है।
हसदेव नदी प्रदूषण की चपेट में
दरअसल,कोरबा जिले की जीवनदायनी हसदेव नदी प्रदूषण की चपेट में है। कोयला खदान और पावर प्लांटों की अधिकता के कारण नदी का पानी लगातार दूषित होता जा रहा है। खासकर दर्री से उरगा तक 20 किलोमीटर के नदी के दायरे को शासन द्वारा सबसे ज्यादा प्रदूषित क्षेत्र घोषित किया गया है।
करीब 40 लाख की लागत तैयार किया गया सिस्टम
इसी बात को ध्यान में रखते हुए 20 किलोमीटर के रेंज में वाटर क्वालिटी मापने के लिए करीब 40 लाख की लागत से अप और डाउन एरिया में दो नग “रियल टाइम कंटीन्यूअस वॉटर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन” स्थापित किया गया।
नदी की गहराई में होना चाहिए सेंसर
एक मशीन हसदेव बराज के पास लगाई गई है। वहीं दूसरा सिस्टम राताखार के समीप निगम के पंप हाउस में स्थापित किया गया है। नियम के तहत ये फ्लोटिंग सिस्टम नदी की सतह पर तैरना चाहिए और सेंसर नदी की गहराई में होना चाहिए ताकि पानी का पीएच लेवल, रिजर्व ऑक्सीजन, बीओडी, सीओडी, टोटल दिजास्त सॉलिड सहित प्रदूषण के तमाम मानकों का 24 घंटे सही जांच हो सके।
अफसरों की लापरवाही
मगर प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अफसरों की लापरवाही के कारण संबंधित कंपनी ने नियम के विरुद्ध सिस्टम को पानी की सतह से 15 फीट ऊपर पंप हाउस में लगा दिया गया है। ऐसे में अब प्रदूषण विभाग को नदी में दूषित पानी की सटीक जानकारी मिलना मुश्किल है।
विभाग के वैज्ञानिक ने दिया ये जबाव
पंप हाउस में लगा “रियल टाइम कंटीन्यूअस वॉटर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन” कितना कारगर साबित हो रहा है समझना मुश्किल नहीं है। पानी की क्वालिटी को सार्वजनिक करने के लिए हसदेव बराज के पास डिजिटल स्क्रीन तो लगाया गया है लेकिन वह भी हमें बंद रहता है। इस संबंध में पूछे जाने पर विभाग के वैज्ञानिक ने क्या तर्क दिया आप भी पढ़ लीजिए।
रियल टाइम कंटीन्यूअस वॉटर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन” हाईटेक तरीके से काम करता है। सेंसर के जरिए पानी की लाइव जांच कर डिजिटल स्क्रीन पर डिस्प्ले होता है। रायपुर मुख्यालय में लगे डिजिटल स्क्रीन में लगातार डिस्प्ले होता है। मगर सवाल यही है कि जब सिस्टम का सेंसर पानी की सतह पर है ही नही तो रिपोर्ट सही है इसकी गारंटी क्या है।
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