Neet PG Doctors: एमबीबीएस करने के बाद पोस्ट ग्रेजुएशन (पीजी) करने वाले सभी छात्रों को पढ़ाई के साथ अब तीन महीने तक जिला अस्पताल में अनिवार्य सेवा देनी होगी। इस सेवा के बाद ही उन्हें पीजी फाइनल ईयर की परीक्षा में बैठने के योग्य माना जाएगा। 2019 में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के बोर्ड ऑफ गर्वनेंस ने यह फैसला लेते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा था, जिसे मंजूरी मिल गई थी। हालांकि कोविड के चलते उस दौरान इसे लागू नहीं किया जा सका। गुरुवार को नेशनल मेडिकल कमिशन ने एक बार फिर इस आदेश को जारी किया है।
नए आदेशों के मुताबिक, एकेडमिक ईयर 2020-21 से ही ये नियम किए गए हैं। इसके मुताबिक एमडी या एमएस करने वाले सभी पीजी छात्र 3 माह के लिए जिला अस्पताल या जिला स्वास्थ्य केंद्र में सेवाएं देंगे। यह रोटेशन तीसरे, चौथे और 5वें सेमेस्टर में शामिल किया है, जिसे जिला रेजीडेंसी कार्यक्रम (डीआरपी) नाम दिया गया। जिला अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को दूर करने यह बदलाव किया है। भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम 1956 के तहत सभी मेडिकल कॉलेजों के लिए अनिवार्य होगा |
लागू
सीनियर डॉक्टर देंगे ट्रेनिंग नए नियम के तहत जिला अस्पताल में तैनात होने के बाद मेडिकल स्टूडेंट को ट्रेनिंग के लिए सीनियर डॉक्टर की निगरानी में रखा जाएगा। स्टूडेंट को ओपीडी, आपातकालीन, आईपीडी के अलावा रात में भी ड्यूटी देनी होगी। संबंधित जिला अस्पताल को भी पहले से इस रोटेशन के बारे में मेडिकल छात्रों की सूची उपलब्ध हो जाएगी, ताकि उन्हें यह पता रहे कि कौन कौन छात्र नए रोटेशन के तहत उनके यहां सेवाएं देने वाले हैं।
अस्पतालों में दूर होगी डॉक्टरों की कमी
मामले में जूडा यूजी विंग के पूर्व प्रेसीडेंट डॉ. आकाश सोनी ने बताया कि इस नियम से जिला अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी दूर होगी। जूड़ा रोटेशन के आधार पर जिला अस्पताल में काम करेंगे इससे वहां लगातार डॉक्टर बने रहेंगे। लेकिन इससे छात्रों को एकेडमिक लॉस हो सकता है। हालांकि इस नियम से जूनियर डॉक्टरों को मेडिकल कॉलेज से अलग अस्पताल के बारे में जानकारी भी मिलेगी।