रिपोर्ट – कमलेश सारडा
Neemuch Land Scam: नीमच में जावद के बरखेड़ा कामलिया में हुए बड़े सरकारी जमीन के घोटाले में अब प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। 2 दिन में आरोपी 12 से 9 कैसे हो गए। SDM ने 2 दिन में 2 लेटर जारी किए हैं। इनमें पहले 12 लोगों को आरोपी माना फिर 3 को FIR की लिस्ट से बाहर कर दिया। SDM अपने ही आदेशों को लेकर संदिग्ध भूमिका में नजर आ रहे हैं।
सरकारी जमीन के प्लॉट बनाकर दिए पट्टे
बरखेड़ा कामलिया में 17 हजार वर्गफीट से ज्यादा सरकारी जमीन को अवैध रूप से अलग-अलग प्लॉट बनाकर पट्टे देने के साथ व्यावसायिक लाभ कमाया गया। मामले की शिकायत उमाशंकर ने पहले नीमच जिला प्रशासन को की गई थी, लेकिन प्रभावी कारवाई न होने पर मुख्यमंत्री को शिकायत की गई। इसके बाद हड़कंप मच गया। इससे पहले जनपद और एसडीएम स्तर पर विभिन्न पक्षों की 13 पेशी में सुनवाई चलती रही, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला।
आनन-फानन में कार्रवाई, आरोपी 12 से हुए 9
जब शिकायत ऊपर पहुंची तो आनन-फानन में कार्रवाई शुरू की गई। 7 नवंबर को SDM राजेश शाह द्वारा जारी एक पत्र में इस पूरे मामले में 12 लोगों को दोषी माना गया और FIR दर्ज करने की प्रक्रिया बढ़ाने के लिए मार्गदर्शन मांगा गया। जबकि अगले ही दिन 8 नवंबर को जारी पत्र में दोषियों की संख्या 12 से घटकर 9 बताई गई।
इनके नाम रातों-रात हटाए
रानू ओझा, अनिल पाटीदार, घनश्याम मंडावरिया के नाम रातों-रात FIR की लिस्ट से हटा दिए गए। जबकि इस मामले में वेंडर सहित पंजीयन कार्यालय तक की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए थी। अब ठोस कार्रवाई की बजाय रातों-रात आरोपियों का नाम लिस्ट से क्यों हटाए गए ये चर्चा का विषय बन गया है।
सिर्फ सचिव निलंबित
इस मामले में सिर्फ सचिव श्यामसुंदर पाटीदार को निलंबित किया गया है। वहीं संदेही भूमिका वाले सरपंच नरेश पाटीदार समेत अन्य दोषियों के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
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जावद SDM राजेश शाह से सीधे सवाल
सवाल – आपके 7 नवंबर के पत्र में 12 लोगों को दोषी माना गया था और बाद में 8 नवंबर के पत्र में 9 लोगों को दोषी माना गया। क्या 1 दिन में तीनों लोग बेकसूर हो गए ?
SDM राजेश शाह – नहीं, हमने गवर्नमेंट अधिवक्ता से राय मांगी थी। उनकी राय के आधार पर हमने 3 लोगों के नाम हटाए हैं, उसके बावजूद भी जनपद पंचायत CEO को अधिकृत किया है कि वे सरकारी वकील से बात करके FIR दर्ज करवाएंगे।
सवाल – क्या पहले शासकीय अधिवक्ता से राय नहीं ली गई थी ?
SDM राजेश शाह – हां, हमने पहले शासकीय अधिवक्ता से राय नहीं ली थी, फिर मामले की गंभीरता को देखने के बाद शासकीय अधिवक्ता से भी चर्चा की।
सवाल – आप अपने इस आदेश के बारे में क्या कहेंगे ?
SDM राजेश शाह – मैं तो 50 आदेश निकालता रहता हूं। उसका कोई अर्थ नहीं है। बात यह है कि आदेश के संबंध में शासकीय अधिवक्ता से ही राय लेकर काम करना पड़ेगा क्योंकि अंत में हमें कोर्ट में खड़ा होना पड़ता है।
सवाल – ये दो अलग-अलग आदेश के पीछे क्या मकसद है ?
SDM राजेश शाह – कोई मकसद नहीं है, बस शासकीय अधिवक्ता से जानकारी जरूरी थी इसलिए। Neemuch Land Scam
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