नई दिल्ली। भारत में एक खास प्रकार का फूल पाया जाता है। जिसे देखने के लिए 12 साल का लंबा इंतजार करना पड़ता है। हम बात कर रहे हैं नीलकुरिंजी के फूलों (Neelakurinji flowers) की । 12 सालों बाद केरल का इडुक्की जिला एक बार फिर नीलकुरिंजी के फूलों से गुलजार हो गया है। आइए जानते हैं इस फूल के बारे में।
बेहद ही दुर्लभ फूल है
इडुक्की जिले के संथानपारा पंचायत के अंतर्गत आने वाली शालोम पहाड़ी इन दिनों नीलकुरिंजी फूलों की चादर से पटा पड़ा है। नीलकुरिंजी कोई साधारण फूल नहीं बल्कि एक बेहद ही दुर्लभ फूल है। इन फूलों को देखने के लिए 12 साल का इंतजार करना पड़ता है। नीलकुरिंजी एक मोनोकार्पिक पौधा होता है जो खिलने के बाद जल्दी ही मुरझा भी जाता है।
#WATCH | Shantanpara Shalom hills under Santhanpara Panchayat in Kerala's Idukki are covered in hues of blue as Neelakurinji flowers bloom, which occurs once every 12 years pic.twitter.com/DyunepahAv
— ANI (@ANI) August 2, 2021
अब 2033 में खिलेंगे फूल
एक बार मुरझाने के बाद इसे दोबारा खिलने में 12 साल का लंबा समय लग जाता है। इस साल खिलने के बाद अब अगली बार इसकी खूबसूरती साल 2033 में देखने को मिलेगी। इस फूल की खास बात यह है कि यह सिर्फ भारत में ही खिलता है और इसमें भी इसे खासकर केरल , कर्नाटक और तमिलनाडु में ही देखा जा सकता है।
कुरिंजी के नाम से भी जाना जाता है
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नीलकुरिंजी स्ट्रोबिलैंथेस की एक किस्म है और ये एक मोनोकार्पिक प्लांट है। ये एक ऐसा पौधा है जिसे एक बार मुरझाने के बाद दोबारा खिलने में 12 साल का समय लगता है। आमतौर पर नीलकुरिंजी अगस्त के महीने से खिलना शुरू हो जाते हैं और अक्टूबर तक ही रहते हैं। स्ट्रोबिलेंथेस कुन्थियाना को मलयालम और तमिल में नीलकुरिंजी और कुरिंजी के नाम से जाना जाता है।
देखने के लिए सैलानियों की जबरदस्त भीड़ आती है
नीलकुरिंजी को देखने के लिए केरल में सैलानियों की जबरदस्त भीड़ आती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनियाभर के कई सैलानी तो सिर्फ नीलकुरिंजी को देखने के लिए लाखों रुपये खर्च करते हैं। लेकिन, इस बार राज्य में कोरोनावायरस के मौजूदा हालात को देखते हुए यहां सैलानियों के भ्रमण पर पूर्णतः रोक लगाई गई है।