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Navratri Muhurti 2022 : आ गईं मां दुर्गा, नवरात्री का पहला दिन, ऐसे करें कलश स्थापना

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Preeti Dwivedi
Navratri Muhurti 2022 : आ गईं मां दुर्गा, नवरात्री का पहला दिन, ऐसे करें कलश स्थापना

नई दिल्ली। 25 सितंबर यानि आज से Shardiye Navratri Muhurti 2022 शारदीय नवरात्री प्रारंभ हो गए हैं। घरों में कलश स्थापना हो रही है। आप जानते हैं ये कलश स्थापना क्यों की जाती है। साथ ही इसका क्या महत्व क्या है। आपको कलश स्थापना कैसे करनी चाहिए। हम आपको आज बताएंगे।

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इसलिए होती है कलश स्थापना
ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविन्द शास्त्री के अनुसार कलश में भगवान का वास होता है। विशेष रूप से इसमें गणेश जी का वास माना जाता है। गणेशजी का प्रथम पूज्य मानते हैं। अत: कलश के बिना सभी प्रकार पूजन अधूरे माने जाते हैं। इनकी स्थापना से घर में खुशियां आती हैं। साथ ही नकारात्मकता भी दूर होती है।

ऐसे करें कलश की स्थापना
स्थापना के लिए सबसे पहले सही दिशा का चयन ​करें। इसके बाद आटे का चौक बनाकर उस पर लकड़ी की चौकी रखें। ​इस पर लाल कपड़ा रखकर मां का चित्र रखें। इसके बाद सामने भगवान के दाई ओर एक तांबे के लोटे में जलकर भरकर उसमें चावल और एक रुपए का सिक्का डालेें। लोटे के नीचे भी चावल का ढेर बनाएं। इसके बाद नारियल सुपाड़ी, पान आदि रखकर स्थापना करें। हल्दी, चंदन, रोली आदि से मां की विधिवत पूजन कर आशीर्वाद करें।

कलश स्थापना के नियम —

घर की पूर्व दिशा में आटे से चौक पूर कर उस पर पाटा रखें। फिर इस पर लाल कपड़रा बिछाकर मां की फोटो रखें।
कलश स्थापना चौकी के ठीक सामनें करें। जिसके लिए एक तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें हल्दी की गांठ, सुपारी, सिक्का और चावल जरूर डालें। इस पर पांच पत्ते आम के डालकर उस पर नारियल रखें।

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किस दिशा में रखें दीपक —

कलश स्थापना के बाद देवी जी के बायीं ओर शक्ति यानि तेल का और दाईं ओर शिव यानि घी का दीपक जलाना चाहिए। पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार देवी जी की शक्ति वामांग होती हैं। इसलिए इस दिशा में तेल का दीपक जलाना चाहिए।

भूलकर भी न करें ये काम —
पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार किसी भी पूजन में शुभ काम के लिए एक बाती के उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। फूल बाती के लिए ये नियम चल सकता है। लेकिन जब लंबी वाली बाती का उपयोग पूजन में करते हैं तो भूलकर भी एक बाती का उपयोग नहीं करना चाहिए। एक बाती का उपयोग अशुभ कार्यों में होता है। शुभ कार्य हमेशा दो बाती वाले दीपक के साथ करना चाहिए।

शुरूआत होगी मां शैलपुत्री के पूजन से –
पंडित राम गोविंद शास्त्री के अनुसार इस बार की मां दुर्गा की सवारी गजराज होंगे। गज यानि हाथी पर बैठी मां लक्ष्मी का प्रतीक होती हैं। इसलिए

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ग्रहों की स्थिति बेहद खास, केंद्र में होंगे गुरू
आपको बता दें जिस दिन मां आ रही हैं उस दिन सोमवार है। साथ ही इस दिन गुरू अपनी स्वराशि यानि केंद्र में और शुक्र के नीच राशि में होने के कारण तंत्र साधना के लिए ये समय बेहद खास माना जा रहा हैै। केंद्र यानि गुरू अपने घर में होने से धार्मिक कार्यों में वृद्धि कराएंगे।

पूरे नौ दिन की होगी नवरात्रि –
इस बार की नवरात्रि की खासियत है कि पूरे नौ दिन शारदीय नवरात्रि की पर्व मनाया जाएगा। तिथियों का घटबढ़ नहीं होगा। बस दसवीं तिथि नवमीं तिथि की दोपहर 1ः20 से लग जाएगी। जो 5 अक्टूबर की सुबह 10ः57 तक रहेगी। जिसके चलते दशहरा पूजन 4 अक्टूबर की रात को हो सकेगा। तो वहीं प्रतिमा विसर्जन 5 अक्टूबर को होगा।

शुभ मुहूर्त – शारदीय नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त (Shardiya Navratri 2022 Ghatasthapana Muhurat),
चौघड़िया के अनुसार शुभ मुहूर्त –

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सिंह लग्न – सुबह 6ः00-7ः30 बजे तक
वृश्चिक लग्न – 9ः53-12ः09 बजे तक
कुंभ लग्न – 4ः05 – 5ः30 बजे तक
वृषभ लग्न – 8ः38 – 10ः34 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त – 11ः30 से 12ः15 बजे तक

 शारदीय नवरात्रि घटस्थापना पूजा विधि (Shardiya Navratri Ghatasthapana Puja Vidhi),

जहां मैया की स्थापना करनी है उस स्थान को अच्छी तरह से साफ करके वहां आटे से चौक बनाएं। उस पर एक लकड़ी पटा या चौकी रखकर उस पर साफ लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। इस पर चावल की ढेरी लगाकर एक तांबे का लोटा रखें। लोटे के ऊपर आम के पत्ते रखकर उसमें कलावा बांधने लोटे में हल्दी की गांठ सुपारी और पैसा डालें। अब उस लौटे के ऊपर एक और पात्र रखकर उस पर चावल की कटोरी रखें। फिर इसमें कटोरी पर नारियल रखें। अंदर का लाल रंग का कपड़ा दिखाएं। उस पर एक लाल चमकीला कपड़ा बिछाएं।

क्या हैं दीपक जलाने के नियम – शारदीय नवरात्रि 2022 ((Shardiya Navratri 2022  diya jalane ke niyam)

आपको बता दें जब भी पूजन में दीपक जलाएं तो इसके लिए एक नियम होता है। मां की पूजा में आपको इस बात का विशेष ध्यान रखना है कि आप जब भी दीपक जलाए वह हमेशा भगवान के दांयी ओर यानि हमारे बांई ओर होना चाहिए।
दूसरा नियम ये है कि जब भी दीपक जलाएं उसमें हमेशा दो या चार बाती होनी चाहिए।
पूजन में कभी भी कलश में एक बाती वाले वाला दीपक अशुभता का सूचक होता है। ये दीपक अशुभ कामों में जलाया जाता है।
दीपक हमेशा पूर्व दिशा की ओर जलाया चाहिए।
दीपक दो बाती वाला होना चाहिए।

पूरे दिन होगी मां की आराधना –

26 सितंबर पहला दिन – सोमवार मां शैलपुत्री
27 सितंबर दूसरा दिन – मंगलवार मां ब्रह्मचारिणी
28 सितंबर तीसरा दिन – मां चंद्रघंटा
29 सितंबर चौथा दिन – मां कूष्ठमांडा
30 सितंबर पांचवा दिन – मां स्कंदमाता ‘
1 अक्टूबर छटवां दिन – मां कात्यायनी
2 अक्टूबर सातवां दिन – मां कालरात्रि
3 अक्टूबर आठवां दिन – मां महागौरी
4 अक्टूबर नवमां दिन – मां सिद्धिदात्री
5 अक्टूबर दशहरा

घटस्थापना पूजन सामग्री (Ghatasthapana Pujan Samagri),

  • सप्त धान्य के लिए साफ मिट्टी
  • 7 अलग-अलग तरह के अनाज
  • छोटा मिट्टी या पीतल का घड़ा
  • कलश को भरने के लिए गंगा जल
  • कलावा
  • इत्र
  • सुपारी
  • कलश में रखने के लिए सिक्का
  • आम या अशोक के 5 पत्ते
  • कलश को ढकने के लिए एक ढक्कन
  • अक्षत
  • बिना छिला हुआ नारियल
  • नारियल को बांधने के लिए लाल कपड़ा
  • गेंदे के फूल
  • दूर्वा घास

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नोट: इस लेख में दी गई सभी सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित है। बंसल न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता। अमल में लाने के पहले विशेषज्ञों की सलाह जरूर ले लें।

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