Navratri 2023: इस साल 15 अक्टूबर से नवरात्रि पर्व शुरू हो रहा है। इस दौरान नौ दिनों तक दुर्गा जी के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है।
इस समय दुर्गा माता के सामने अखंड त्योति जलाने का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि ऐसा करने से दुर्गा जी अपने भक्तों से प्रसन्न होती है।
आज हम इस लेख में अखंड त्योति के महत्व और इसे जलाने के नियमों के बारें में चर्चा करेंगे।
अखंड ज्योति जलाने का महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, नवरात्रि पर्व के पहले दिन कलश स्थापना के बाद अखंड ज्योति जलाने का विधान है।
इस ज्योति का मतलब है, एक ऐसी ज्योति से जो खंडित ना हो। अखंड ज्योति प्रज्ज्वालित करने से घर में खुशहाली आती है। साथ ही मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
कहा जाता है नवरात्रि में इस अखंड ज्योति का बुझना अशुभ होता है। इसलिए ज्योति को जलाने के बाद समय-समय पर दीपक में तेल या घी डालना होता है, साथ ही हवा से बचाकर रखते हैं।
अखंड ज्योति जलाने के नियम
अखंड ज्योति जलाने का अर्थ होता है कि नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा आपके घर में विराजमान हैं। इसे प्रज्ज्वालित करने से पहले मां दुर्गा की आराधना करनी चाहिए।
अखंड ज्योति को जलाने का पहला नियम है कि ज्योति की देखरेख के लिए एक व्यक्ति ज्योति के पास जरूर होना चाहिए।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अगर आप चौकी पर ज्योति जलाते हैं, तो वहां लाल कपड़ा जरूर बिछाएं। वहीं अगर कलश के ऊपर ज्योति जलाते है, तो उसके नीचे गेहूं रखने का विधान है।
अखंड ज्योजि प्रज्ज्वलित करने के लिए सरसों का तेल या घी का उपयोग करते हैं। साथ ही इसे मां दुर्गा के दाईं ओर रखना चाहिए। वहीं अगर दीपक में सरसों के तेल का उपयोग किया गया है, तो उसे बाईं ओर रखने का विधान है।
बता दें कि दीपक को किभी हालत में बुझना नहीं चाहिए। इसलिए जैसे ही ज्योति जल रहे दीपक में घी या तेल कम हो तुरंत डाल दें। वहीं नवरात्रि के नौ दिनों बाद दीपक को बुझाने वजाए उसे खुद ही बुझने देंना चाहिए।
नोट- यहां दी गई जानकारी केवल सूचना के लिए है, बंसल न्यूज इसकी पुष्टी नहीं करता है। किसी सभी उपाय को अमल में लाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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