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Navratri 2023: ये हैं छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध देवी मंदिर, जहां दर्शन करने से मनोकामनाएं होती हैं पूरी

इस साल 15 अक्‍टूवर से नवरात्रि पर्व शुरू हो रहा है। इस दौरान देवी माता के मंदिरों में भक्तों की काफी भीड़ उमड़ पड़ती है।

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Bansal News
Navratri 2023: ये हैं छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध देवी मंदिर, जहां दर्शन करने से मनोकामनाएं होती हैं पूरी

Navratri 2023: इस साल 15 अक्‍टूवर से नवरात्रि पर्व शुरू हो रहा है। इस दौरान देवी माता के मंदिरों में भक्तों की काफी भीड़ उमड़ पड़ती है।नवरात्रि के नौ दिनों में माता के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है।

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आज हम छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध देवी मंदिरों के बारे चर्चा करेंगे, जो ना केबल प्रदेश में ही, बल्कि पूरे देशभर में प्रसिद्ध हैं। साथ ही कहा जाता है के यहां दर्शन करने से मनोकामनाएं  पूरी होती हैं।

मां जतमई का मंदिर, जतमई

राजधानी रायपुर से महज 80 किमी दूर यह मंदिर झरनों के बीच जतमई में स्थित है। मां जतमई का यह मंदिर जंगलों के बीचों बीच बना हुआ है।

मां के चरणों को छुकर बहती जलधाराएं वर्षों से भक्‍तों के आकर्षिण का केंद्र है। कहा जाता है कि ये जलधाराएं माता की सेविकाएं हैं। यहां आप बस, ट्रेन के अलावा अपने निजी वाहन से यात्रा कर पहुंच सकते हैं।

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मां बम्लेश्वरी मंदिर, राजनांदगांव

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राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ में स्थित यह मंदिर देशभर में प्रसिद्ध हैं। जहां नवरात्रि के दौरान हर साल विशाल मेले का आयोजन किया जाता है।

देशभर से लोग यहां मां बम्लेश्वरी के दर्शन करने व ज्योति कलश जलाने के लिए आते हैं। कहा जाता है कि ऐसा करने से मां सबकी मन्‍नत पूरी करती हैं।

बता दें कि मां बम्लेश्वरी मंदिर का इतिहास काफी पुराना है, जो छत्तीसगढ़ की सबसे ऊंची चोटी पर विराजमान हैं। यहां आप बस और ट्रेन से यात्रा कर पहुंच सकते हैं।

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चंडी माता मंदिर, घुंचापाली

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महासमुंद जिले के घुंचापाली के पहाड़ पर स्थित चंड़ी माता का मंदिर देशभर में प्रशिद्ध है। जिसका इतिहास करीब डेढ़ सौ साल पुराना है। नवरात्रि के समय यहां काफी अधिक भीड़ रहती हैं।

मान्‍यता है कि चंडी माता की प्रतिमा यहां स्वयं प्रकट हुई थी। साथ ही यह मंदिर तंत्र साधना के लिए मशहूर था। महासमुंद से इस मंदिर की दूरी 40 किमी है, यहां पर आप बस और ट्रेन दोनें से यात्रा कर पहुंच सकते हैं।

महामाया मंदिर, बिलासपुर

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महामाया मंदिर बिलासपुर जिले 25 किमी दूरी पर रतनपुर में स्थित है। यहां का इतिहास काफी प्राचीन और गौरवशाली है।

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बताया जाता है कि त्रिपुरी के कलचुरियों की एक शाखा रतनपुर को अपनी राजधानी बनाकर काफी अधिक समय तक छत्तीसगढ़ पर राज किया था।

इस प्राचीन मंदिर से जुड़ एक पौराणित का भी  है। साथ इस मंदिर को माता के 51 शक्तिपीठों में शामिल किया गया। कहा जाता है कि नवरात्र में यहां की गई पूजा कभी निष्फल नहीं होती है।

दंतेश्वरी माता मंदिर, दंतेवाड़ा

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दंतेवाड़ा जिले में स्थित यहा का मंदिर 51 शक्तिपीठों में एक है। कहा जाता है कि माता सती का दांत यहां गिरा था, इसलिए यहां विराजमान देवी माता को दंतेश्वरी कहा जाता है।

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मान्यता है कि यहां आने वाले सभी भक्तों की मनोकामना जल्द पूरी होती है। साथ ही नवरात्रि के दौरान काफी अधिक भीड़ रहती हैं।

अगर आप भी दंतेश्वरी माता मंदिर के दर्शन करने के लिए जाना चहते हैं, तो आप आपने निजी वहन के आलाव बस और ट्रेन से भी यात्रा कर पहुंच सकते हैं।

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