भोपाल। नवरात्र यानि मां की आराधना का पर्व चल रहा है। durga saptashati paath karane mein rakhen ye saavadhaaniyaan कोरोना काल में सभी शक्ति की भक्ति में लगे हुए हैं। हर कोई पूजा ,पाठ, भजन व जाप आदि से मां को प्रसन्न करने में लगा हुआ है। श्री दुर्गा सप्तशति का पाठ भी इसी साधना का एक माध्यम है। वैसे तो मां के नौ दिन ही आराधना के लिए अच्छे माने जाते हैं लेकिन सप्तशति पाठ के लिए चतुर्दशी, अष्टमी और नवमी का दिन श्रेष्ठ माना गया है और अगर इसका सही तरीके से पाठ किया जाए तो सभी प्रकार के कष्ट हरतीं हैं। आइए हम बताते हैं इसे करने का सही तरीका।
इस तरह से करें तो मिलेगा फल
ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविन्द शास्त्री के अनुसार सप्तशति का पाठ करने के कुछ नियम होते हैं। कलश की स्थापना कर बाईं ओर तेल का और दाईं ओर घी का दीपक जलाकर पूजन प्रारंभ करना चाहिए। जिसका सही तरीके से पालन करके इसका पाठ किया जाए तो निश्चित रूप से मां प्रसन्न होती हैं। इसे करने का सही क्रम इस प्रकार है।
1 — सापोदृदार
2 — कवच
3 — अर्गला
4 — कीलक
5 — रात्रि सूक्त
6 — नवारणव मंत्र का 108 बार जाप
7 — उत्कीलन
8 — 13 अध्याय
कभी भी बीच में छोड़ें पाठ
सप्तशति के पाठ को कभी भी बीच में नहीं छोड़ना चाहिए। पाठ में मां के द्वारा विभिन्न दानवों का वध किया गया है। जिसका विस्तार से वर्णन किया गया है। इसमें एक दानव के वध हो जाने के उपरांत जहां पाठ की समाप्ति होती है वहां पाठ को रोक कर दूसरे वक्त या दूसरे दिन पाठ किया जा सकता है। परन्तु वर्णन में मां के द्वारा बिना दानव के वध किए हुए पाठ को बीच में नहीं छोड़ना चाहिए। इससे प्रतिकूल फल मिलता है।