National News: नयी दिल्ली | सरकार ने लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने के मुद्दे पर गौर करने और जल्द से जल्द सिफारिशें देने के लिए शनिवार को आठ सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति की अधिसूचना जारी की और इस समिति के अध्यक्ष रामनाथ कोविंद भारत के राष्ट्रपति के रूप में एक साथ चुनाव कराये जाने के समर्थक रहे हैं।
अधिसूचना में कहा गया है कि समिति की अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद करेंगे और इसमें गृहमंत्री अमित शाह, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद और वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एन के सिंह सदस्य होंगे। उच्च स्तरीय समिति में पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष सी कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी भी सदस्य होंगे।
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में समिति की बैठकों में हिस्सा लेंगे, जबकि कानूनी मामलों के सचिव नितेन चंद्रा समिति के सचिव होंगे। कोविंद भारत के राष्ट्रपति के रूप में एक साथ चुनाव कराये जाने के समर्थक रहे हैं।
संसद के संयुक्त सत्र को 29 जनवरी, 2018 को संबोधित करते हुए, कोविंद ने कहा था कि देश में शासन की स्थिति से जूझ रहे नागरिक भारत के किसी न किसी हिस्से में बार-बार होने वाले चुनावों को लेकर चिंतित हैं, जो अर्थव्यवस्था और विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।
उन्होंने कहा था- बार-बार चुनाव न केवल मानव संसाधनों पर भारी बोझ डालते हैं, बल्कि आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण विकास प्रक्रिया भी बाधित होती है। इसलिए, एक साथ चुनाव कराये जाने के विषय पर निरंतर बहस की आवश्यकता है और सभी राजनीतिक दलों को इस मुद्दे पर आम सहमति बनाने की आवश्यकता है।
समिति के अन्य सदस्य हैं:
अमित शाह: केंद्रीय गृह मंत्री शाह सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष रहे हैं। वह लोकसभा के सदस्य होने के साथ-साथ गुजरात सरकार में मंत्री भी रहे थे।
अधीर रंजन चौधरी: वह लोकसभा में कांग्रेस के नेता हैं। वह संसद के निचले सदन में विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी के नेता के रूप में विभिन्न समितियों में विपक्ष का प्रतिनिधित्व करते हैं।
हरीश साल्वे: एक वरिष्ठ वकील, वह पूर्व सॉलिसिटर जनरल हैं। साल्वे ने मई 2017 में कुलभूषण जाधव मामले में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) के समक्ष भारत का प्रतिनिधित्व किया था।
गुलाम नबी आज़ाद: राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता, आजाद का कांग्रेस से लंबा जुड़ाव रहा। बाद में उन्होंने अपना खुद का राजनीतिक दल – डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी – बना लिया। वह जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री भी हैं।
सुभाष सी कश्यप: एक संवैधानिक विशेषज्ञ कश्यप लोकसभा के महासचिव रहे। उन्होंने सरकार को पंचायती राज कानूनों और संस्थाओं पर सलाह दी है।
एन के सिंह: 15वें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष सिंह राज्यसभा के सदस्य रहे हैं। राजनीति में आने से पहले उनका नौकरशाह के रूप में लंबा करियर था।
संजय कोठारी: पूर्व नौकरशाह कोठारी मुख्य सतर्कता आयुक्त रह चुके हैं। उन्होंने राष्ट्रपति के सचिव के रूप में भी काम किया है।
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