भारत में हर साल के दिसंबर महीने में भारतीय किसानों के नाम पर एक दिन समर्पित है। जिसके तहत भारत में 23 दिसंबर को राष्ट्रीय किसान दिवस या किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन ‘कृषक’ और ‘खेतिहर’ के नाम से पहचाने जाने वाले भातीय किसानों के लिए मनाए जाने वाले इस दिन को किसान दिवस के रूप में मनाए जाने का उद्देश्य किसानों के जीवन को बेहतर बनाना है। भारत के 5वें प्रधान मंत्री चौधरी चरण सिंह के जन्मदिन पर मनाए जाने वाले इस किसान दिवस पर कार्यक्रमों, वाद-विवाद, सेमिनार, प्रश्नोत्तरी के साथ ही किसान से जुड़ी प्रतियोगिताओं का आयोजन व चर्चाओं, कार्यशालाओं, प्रदर्शनियों, निबंध लेखन का आयोजन किया जाता है। राष्ट्रीय किसान दिवस की तरह ही 15 अक्टूबर को “अंतर्राष्ट्रीय ग्रामीण महिला किसान दिवस” 3 दिसंबर को कृषि शिक्षा दिवस मनाया जाता है।
भारत में कब शुरू हुई खेती
भारत एक एक कृषि प्रधान देश है। भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग सबसे ज्यादा कृषि कार्य करते हैं। एक आंकड़े के मुताबिक करीब 70% भारतीय लोग किसानी करते हैं, जिसे देखते हुए साल 2001 में भारत सरकार द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती के दिन 23 दिसम्बर को राष्ट्रीय किसान दिवस की घोषणा की गई। ऐसा माना जाता है कि भारत में 9000 ईसा पूर्व में मानव ने कृषि और इससे संबंधित औजारों का विकास कर लिया था। उस वक्त दोहरा मानसून होने के चलते एक साल में हीं दो फसलें ली जाती थीं। जिसके परिणामस्वरूप धीरे-धीरे खेती से संबंधित बाजार के रूप में भारत को देखा जाने लगा। साथ ही भारत की अर्थव्यवस्था भी कृषि आधारित रही।
कौन हैं चरण सिंह
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का जन्म एक किसान परिवार में 1902 में हुआ था। वह उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के नूरपुर के निवासी थे। उनकी गिनती देश के लोकप्रिय नेताओं ने की जाती है। देश के किसानों के बीच उन्होंने अपना विश्वास कायम किया। इसके लिए किसानों के हितों के लिए उठाए गए उनके सकारत्मक कदमों को माना जाता है।