भोपाल। पिछले साल केद्र सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की घोषणा की थी। जिसके बाद मध्य प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य है जिसने प्रदेश में नई शिक्षा नीति को लागू कर दिया है। वहीं देश के दूसरे राज्यों में भी नई शिक्षा नीति को लागू करने की तैयारी चल रही है। लेकिन मध्य प्रदेश सरकार ने शैक्षणिक सत्र 2021-22 में ही इसे लागू कर दिया है।
इन पर लागू होगी नई शिक्षा नीति
मौजूदा शिक्षा सत्र में UG स्तर पर प्रवेश लेने वाले स्टूडेंट यानी फर्स्ट ईयर के छात्रों पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार करिक्यूलम होगा। इसके बाद इसे आगे सेकेंड ईयर और थर्ड ईयर में भी लागू किया जाएगा। बतादें कि अब तक प्रदेश के 4 लाख 40 हजार स्टूडेंट्स ने UG फर्स्ट ईयर के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया है। इन सभी पर नई शिक्षा नीति प्रभावी होगी। आइए जानते हैं नई शिक्षा नीति से शिक्षा व्यवस्था में क्या-क्या बदलाव होंगे।
नई शिक्षा नीति लागू होने से अभी तक चला आ रहा स्कूल एजुकेशन सिस्टम और कॉलेज, विश्वविद्यालयों में चल रहा ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन, एमफिल, पीएचडी का सिस्टम काफी बदल जाएगा। हालांकि प्रदेश में अभी इसे UG स्तर पर ही लागू किया गया है। नई शिक्षा नीति के तहत स्कूल के बच्चों की परफॉर्मेंस का आकलन करने के लिए कई बदलाव किए गए हैं। अब उनके प्रदर्शन को तीन स्तर पर परखा जाएगा। बच्चों के रिपोर्ट कार्ड में बदलाव होगा। उनका तीन स्तर पर आकलन किया जाएगा। एक स्वयं छात्र करेगा, दूसरा सहपाठी और तीसरा उसका शिक्षक। नेशनल एसेसमेंट सेंटर-परख बनाया जाएगा जो बच्चों के सीखने की क्षमता का समय-समय पर परीक्षण करेगा।
रिपोर्ट कार्ड बच्चे का पोर्टफोलियो होगा
बच्चों के रिपोर्ट कार्ड के स्वरूप में बदलाव करते हुए समग्र मूल्यांकन पर आधारित रिपोर्ट कार्ड की बात कही गई है। हर कक्षा में जीवन कौशल परखने पर जोर होगा ताकि जब बच्चा 12वीं कक्षा में निकलेगा तो उसके पास पूरा पोर्टफोलियो होगा। इसके अलावा पारदर्शी एवं आनलाइन शिक्षा को आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया है। नई शिक्षा नीति में बच्चों का तनाव कम करने और छात्रों को ज्यादा से ज्यादा सहूलियत देने के लिए कई बड़ी बातें कहीं गई हैं। कक्षा पांचवीं तक और जहां तक संभव हो सके आठवीं तक मातृभाषा में ही शिक्षा उपलब्ध कराई जाएगी।
कक्षा छह से कौशल विकास
नई शिक्षा नीति में कक्षा छह से ही छात्रों में कौशल विकास को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए विशेष तौर पर वोकेशनल कोर्स शुरू किए जाएंगे। इसके लिए इसके इच्छुक छात्रों को छठी क्लास के बाद से ही इंटर्नशिप करवाई जाएगी। इसके अलावा संगीत और कला को बढ़ावा दिया जाएगा। इन्हें पाठयक्रम में भी लागू किया जाएगा। ये कोर्स हिन्दी अंग्रेजी भाषाओं के अलावा आठ क्षेत्रीय भाषाओं में भी ई-कोर्स होगा। साथ ही नई शिक्षा नीति में वर्चुअल लैब के कार्यक्रम को भी आगे बढ़ाया जाएगा।
बोर्ड परीक्षाओं को आसान बनाया जाएगा
नई शिक्षा नीति में तकनीक पर ज्यादा जोर होगा। सबसे बड़ी बात इस नीति में 10वीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षाओं को आसान बनाया जाएगा। मीडिया रिपोर्ट की माने तो इन परीक्षाओं को दो बार में कराया जा सकता है। साथ ही इसमें वस्तुनिष्ठ और व्याख्यात्मक दो भाग होंगे। ताकि बोर्ड परीक्षाओं में विद्याथियों की वास्तविक क्षमताओं एवं योग्यताओं को परखा जाए। छात्रों द्वारा रटे हुए सवालों पर अब बोर्ड परीक्षाओं का दारोमदार नहीं होगा।
सर्टिफिकेट कोर्स में नई शिक्षा नीति के लाभ
बोर्ड परीक्षाओं के अलावा सर्टिफिकेट कोर्स की बात करें तो अब आपका समय बर्बाद नहीं होगा। मान लीजिए, 12वीं के बाद आप इंजिनियरिंग करना चाहते हैं। आपने B.tech में एडमिशन ले लिया। लेकिन एक सा ल बाद आपको लगा कि नहीं यार इसमें मैं अच्छा नहीं कर सकता। मुझे कोई दूसरा कोर्स करना चाहिए। अगर आप पहले ऐसा करते थे तो आपका एक साल खराब हो जाता था। लेकिन अब नई शिक्षा नीति में 1 साल तक पढ़ाई करने के बाद आपको सर्टिफिकेट दिया जाएगा। अगर आप दो साल तक पढ़ते हैं तो डिप्लोमा का सर्टिफिकेट दिया जाएगा। वहीं 3 साल तक पढ़ने पर ग्रेजुएशन का सर्टिफिरेट दिया जाएगा। इतना ही नहीं मान लिजिए आपने 1 साल इंजिनियरिंग करने के बाद कोई दूसरा कोर्स किया और बाद में आप चाहते हैं कि फिर से इंजिनियरिंग की पढ़ाई की जाए। तो ऐसे में आप पढ़ाई पूरी कर सकते हैं। जबकि पहले आप ऐसा नहीं कर पाते थे।
नई शिक्षा नीति में तीन साल कोर्स करने के बाद 1 साल रिसर्च के लिए भी जोड़ा गया है। यानी आपको इस नीति में दो तरह के विकल्प मिलेंगे। पहला कि आप 3 साल तक UG करें और ग्रेजुएशन का सर्टिफिकेट लें। दूसरा कि आप अगर रिसर्च करना चाहते हैं तो आप 4 साल यानी बैचलर विद रिसर्च के साथ जा सकते हैं। वहीं अगर इसके बाद PG करेंगे तो आपको 1 साल तक ही पढ़ाई करनी होगी।
एक से अधिक सब्जेक्ट की कर सकेंगे पढ़ाई
नीई शिक्षा नीति में स्टूडेंट एक से अधिक सब्जेक्ट की पढ़ाई कर सकेगा। जैसे अगर आप साइंस के स्टूडेंट हैं और चाहते हैं कि आर्ट्स या कॉमर्स की भी पढ़ाई करें। तो आप ऐसा कर सकते हैं। साथ ही पहले और दूसरे साल में सब्जेक्ट बदलने का भी विकल्प उपलब्ध कराया गया है। इसके अलावा अगर आप एक कॉलेज से दूसरे कॉलेज में ट्रांसफर लेते हैं तो स्टूडेंट को क्रेडिट ट्रांसफर की भी सुविधा रहेगी।