भोपाल। आज एमपी में मां नर्मदा जयंती उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। प्रदेश के जबलपुर और होशंगाबाद में इस दौरान आस्था का जन सैलाब उमड़ रहा है। श्रद्धालु घाटों पर पहुंच रहे हैं। कहते हैं इस दिन मां नर्मदा के दर्शन मात्र से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। एमपी में इसकी विशेषता इसलिए और अधिक बढ़ जाती है क्योंकि यहां मां जीवनदायिनी सभी के जीवन के सहारा है।
राजा मैकल की पुत्री हैं मां नर्मदा —
ऐसा माना जाता है कि मां नर्मदा राजा मैकल की पुत्री थीं। इनका जन्म 12 साल की कन्या के रूप में हुआ था। भगवान शिव के पसीने से 12 साल की कन्या के रूप में इनका जन्म होने के कारण इन्हें शिवसुता भी कहते हैं। चिरकुंवारी मां नर्मदा के बारे में ऐसा कहा जाता है कि मां को अनंत काल तक संसार में रहने का वरदान प्राप्त है।
एमपी के अमरकंटक से हुआ मां नर्मदा का उद्गम —
एमपी में इनके महत्व की बात करें तो प्रदेश के अमरकंटक में मां नर्दमा का उद्गम माना जाता है। जो कि सतपु़ड़ा पर्वत मालाओं के बीचोंबीच स्थित है। इतना ही नहीं यहां मां रेवा का विवाह मंडप भी आज भी देखने को मिलता है। ऐसी मान्यता है कि एक बार क्रोध के चलते मां नर्मदा ने अनंत काल तक अकेले बहने की ठानी थी और तभी से मां नर्मदा अन्य नदियों की अपेक्षा विपरीत दिशा में ही बहती है। उनके इसी निर्णय के चलते उन्हें चिरकुवंवारी नाम दिया गया।
आज मां नर्मदा जी की जयंती पर सभी मध्यप्रदेशवासियों को और देशवासियों को हार्दिक बधाइयां।
मां नर्मदा जी के चरणों में प्रणाम करके हम एक ही प्रार्थना करते हैं कि मैया मध्यप्रदेश पर कृपा की वर्षा करते रहना। pic.twitter.com/tVFpt1qL2F
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) January 28, 2023
जबलपुर में नौकाओं के संचालन पर रोक —
तो वहीं जबलपुर के ग्वारीघाट, तिलवारा घाट, नर्मदापुरम घाट पर पुलिस और जिला प्रशासन द्वारा में उत्सव की धूम सुबह से ही है। सबसे बड़ी बात यहां जबलपुर के अलावा दूर—दूर से श्रृद्धालु आते हैं। साथ ही देर रात तक इनके आने—जाने का सिलसिला जारी रहता है। साथ ही यहां सुरक्षा की दृष्टि से ग्वारीघाट, तिलवारा घाट, नर्मदापुरम घाट पर पुलिस और जिला प्रशासन द्वारा नौकाओं के संचालन पर रोक लगा दी गई है।