हाइलाइट्स
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बच्चों को हर महीने देंगे सुरक्षा से जुड़े टिप्स
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आपदा वाले इलाकों के शिक्षकों को दी ट्रेनिंग
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छात्रों को हर मौसम में सावधानी रखने टिप्स
Mukhyamantri Shala Suraksha Karyakram: छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूल अब मिशाल के रूप में भी जाने जा रहे हैं। इन स्कूलों में मुख्यमंत्री शाला सुरक्षा कार्यक्रम योजना के तहत बच्चों को अलग तरह की शिक्षा दी जा रही है।
इसके तहत प्रदेश के 55 लाख से ज्यादा बच्चे ये गुर सीख रहे हैं। स्कूलों में ऐसा कार्यक्रम चलाया जा रहा है, जिसमें बच्चों को यौन दुर्व्यवहार, जादू-टोना, अंध विश्वास, गुड और बैड टच समझने की शिक्षा दी जा रही है। इतना ही नहीं भगदड़ से बचने के साथ ही अपनी सुरक्षा के लिए सभी गुर हर शनिवार को दिए जाते हैं।
इसके साथ ही बच्चों के कोर्स में हर महीने के हिसाब से और मौसम के अनुसार शेड्यूल बनाया गया है, जिसमें मौसम के अनुरूप आने वाली आपदाओं के बारे में भी जानकारी देकर उन्हें मानसिक रूप से तैयार किया जा रहा है।
हर शनिवार को अपनी सुरक्षा पर शिक्षा
प्रदेश के 55 लाख स्कूली बच्चों के लिए मुख्यमंत्री शाला सुरक्षा कार्यक्रम (Mukhyamantri Shala Suraksha Karyakram) चल रहा है। इस कार्यक्रम के तहत बच्चों को अपनी सुरक्षा करने की शिक्षा के साथ ही विपरीत हालात और विपत्ति से निपटने के टिप्स भी इस दौरान दिए जा रहे हैं।
इसकी विशेषता यह है कि कोर्स में शामिल चीजों को भी इस कार्यक्रम से जोड़ा गया है। हर शनिवार को नए विषय पर बच्चों को संबोधन, थ्योरी व प्रैक्टिकल के माध्यम से शिक्षा दी जा रही है।
50 स्कूलों से शुरुआत की है
बता दें कि रायपुर जिले में 50 स्कूलों में मुख्यमंत्री शाला सुरक्षा कार्यक्रम (Mukhyamantri Shala Suraksha Karyakram) की शुरुआत हो गई है। इस प्लान को लागू करने के लिए पहले देखा गया है कि स्कूलों में फर्स्ट-एड बॉक्स है या नहीं।
इसके साथ ही सुरक्षा से संबंधित इंतजाम पर प्रश्नावली भेजकर 21 बेस लाइन को आधार बनाया था, इसकी जानकारी मांगी गई थी।
300 शिक्षकों ने दी 76 हजार टीचर्स को ट्रेनिंग
बता दें कि 21 बेसलाइन पर 100 उप बेसलाइन बनाई गई है। प्रदेश में लगभग 5 हजार वार्तालाप- गोष्ठियां की गई। इसके साथ ही 300 टीमें बनाई हैं। लगभग 100 हेडमास्टर से साक्षात्कार (Mukhyamantri Shala Suraksha Karyakram) लिया है।
ये ऐसी जगह पदस्थ हैं, जहां अलग-अलग तरह की करीब 10 से ज्यादा आपदाएं आती हैं। जहां 44 से ज्यादा टॉपिक तैयार किए हैं। इन टॉपिक्स में भूकंप व प्राकृतिक विपत्ति के साथ अंध विश्वास, जादू-टोना, बैड टच आदि को शामिल किया गया है।
300 शिक्षकों को मास्टर ट्रेनर्स बनाकर 67 हजार शिक्षकों को दक्ष करने का जिम्मा दिया है। वे स्कूलों में बच्चों को इन सब आपदाओं के लिए ट्रेंड कर रहे हैं। इन ट्रेनिंग्स के वीडियो भी बनाए हैं, ताकि शिक्षकों और बच्चों को समझने में आसानी हो सके।
सुरक्षित शनिवार की मार्ग दर्शिका की तैयार
डीपीआई दिव्या मिश्रा ने जानकारी दी कि समग्र शिक्षा के जरिए यह कार्यक्रम (Mukhyamantri Shala Suraksha Karyakram) चलाए जा रहे हैं।
यूनिसेफ के इमर्जेंसी ऑफिसर और डिजास्टर मैनेजमेंट एक्सपर्ट विशाल वासवानी ने के द्वारा जानकारी दी गई कि एक राष्ट्रीय विशेषज्ञ संस्था ऑल इंडिया डिजास्टर मिटिगेशन इंस्टीट्यूट से यूनिसेफ, छत्तीसगढ़ और समग्र शिक्षा ने स्कूलों में सुरक्षित शनिवार की मार्ग दर्शिका तैयार करवाई गई है। स्कूलों में बच्चों को सिखाने का वीडियो बनाना है, जिसे एक पोर्टल पर अपलोड कर रिपोर्ट ली जाती है।
इस तरह से बनाया मौसम के अनुरूप शेड्यूल
जून: इस माह में पौधारोपण, किचन गार्डन, ग्रीन स्कूल और परिवहन से जुड़ी पहल और डायरिया, ओआरएस बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है।
जुलाई: फोकल शिक्षकों व बाल प्रेरकों का चयन किया जाना, शाला आपदा प्रबंधन समिति का गठन करना, शाला आपदा प्रबंधन योजना का क्रियान्वयन। जंगली जानवरों से बचाव के टिप्स दिए जाते हैं।
अगस्त: सांपों और बिच्छू के काटने पर बचाव कैसे करें, वज्रपात व उलका से बचाव, डेंगू और मलेरिया से किस तरह से बचाव करें और रोकथाम के टिप्स, बाढ़ एवं उसके खतरों से बचाव के बारे में जानकारी देना।
सितंबर: नाव दुर्घटना व पानी में डूबने से बचाव कैसे करें, बाल यौन दुर्व्यवहार से संरक्षण के लिए कर्मचारियों का चयन किया है। बाल संरक्षण को लेकर शाला की भूमिका तय की गई है, पॉक्सो ई-बॉक्स की जानकारी भी दी जाएगी।
अक्टूबर: त्योहारों में बीमारी से बचाव के उपाय बताए जाएंगे। भगदड़ की जानकारी दी जाएगी, बच्चों को पोषण की जानकारी देंगे। भूकंप के कारण और बचाव कैसे कर सकते हैं।
नवंबर: अंधविश्वास के प्रति जागरूकता लाने कार्यक्रम। प्राथमिक उपचार की उपयोगी बातें बताएंगे। जलन व घाव की प्राथमिक चिकित्सा कैसे करें। विशेष इलाज वाली परिस्थितियां के बारे में जानकारी।
जनवरी: मधुमक्खी के काटने की जानकारी दी जाएगी, जलवायु परिवर्तन का प्रभाव और उपाय कैसे कर सकते हैं। शीतलहर के खतरे और बचाव के उपाय बताए जाएंगे। रिसाइक्लिंग व कचरा कम करना और इससे होने वाले नुकसान के बारे में बताएंगे।
फरवरी: बिजली से घात, जल जमाव से परेशानियों के समाधान, बोरिंग के गड्ढे से घटनाएं होती हैं, जागरूकता कार्यक्रम, कुपोषण से परेशानियां और समाधान क्या हो सकते हैं। हाथ धुलाई के फायदे, खुले में शौच के खतरे से क्या होता है। मल का सुरक्षित निपटान, बाल अधिकार, बाल विवाह और बाल यौन दुर्व्यवहार से संरक्षण के उपाय, इसके जीवन में नुकसान।
मार्च: आगजनी से बचाव व खतरे की जानकारी देना। पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण और उसके उपाय कैसे कर सकते हैं। चक्रवाती तूफान- आंधी से खतरे, बचाव और सावधानी कैसे करें।
अप्रैल: अशुद्ध पानी के खतरे, बचाव और उपाय क्या होंगे। हाथ धोने के सही तरीके की जानकारी। लू से बचाव और जल संरक्षण के बारे में जानकारी, फाइलेरिया से बचाव के उपाय की जानकारी।
मई: ऊर्जा संरक्षण, सफाई कार्यक्रम, सड़क सुरक्षा तथा स्कूल बसों और वाहनों की सुरक्षा की जानकारी, एनीमिया के लक्षण, कारण, उपचार और रोकथाम कैसे करें उसकी जानकारी देना।
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राष्ट्रीय स्तर पर मिल रही सराहना
छत्तीसगढ़ के इस कार्यक्रम को राष्ट्रीय स्तर पर भी सराहना मिली है। जहां दिल्ली की एक टीम, जिसमें सोशल पॉलिसी चीफ हेन ही बेन, सोशल प्रोटेक्शन स्पेशलिस्ट सौमेन बागची और इमर्जेंसी स्पेशलिस्ट सरबजीत सिंह अवलोकन करने के लिए राजधानी आ रहे हैं। अब दूसरे राज्य भी इसे लागू करने का प्लान बना रहे हैं। बिहार में यह कार्यक्रम छोटे स्तर पर शुरू हो गया है।