MP Wild Life Board Decisions: मध्यप्रदेश में वन्यजीवों के संरक्षण और पर्यावरणीय संतुलन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बुधवार, 21 मई को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में आयोजित वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में दो नए संरक्षित क्षेत्रों को मंजूरी दी गई है। अब बालाघाट जिले का सोनेवानी क्षेत्र (163.195 वर्ग किमी) और बैतूल जिले का ताप्ती क्षेत्र (250 वर्ग किमी) को कंजर्वेशन रिजर्व के रूप में घोषित किया जाएगा।
सीएम ने दिए हाथियों के निर्देश
सोन नदी पर पुल बनाने, पुलिस कैंप लगाने और अन्य प्रस्तावों को मंजूरी मिली। मुख्यमंत्री ने हाथियों के प्रबंधन और गिद्धों, चीलों और मगरमच्छों के संरक्षण के लिए प्रयास तेज करने के निर्देश दिए। उन्होंने इंदौर की तरह भोपाल के वन विहार में भी वन्य प्राणियों का पुनर्वास करने को कहा। बैठक में बताया गया कि वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व में अब 20 बाघ हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश के रिहायशी इलाकों में जंगली हाथियों की आमद और उनके आवागमन पर रोक लगाई जाए। नई तकनीकों का इस्तेमाल करें ताकि हाथियों की रिहायशी इलाकों तक पहुंच को रोका जा सके। उन्होंने कहा कि जरूरत के अनुसार व्यवस्थाएं कर जंगली हाथियों का स्थायी प्रबंधन करें ताकि इन्हें आबादी से दूर रखा जा सके।
बोत्सवाना से 5-5 जिराफ और जेब्रा लाए जाएंगे
मुख्य जीव अभिरक्षक शुभरंजन सेन ने कहा कि वन्यजीवों के संरक्षण के लिए लघु फिल्में बनाई जा रही हैं। कर्नाटक से दो किंग कोबरा लाकर भोपाल के वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में रखा गया है। मुख्यमंत्री की योजना के अनुसार बोत्सवाना से पांच जिराफ और पांच जेब्रा लाने के लिए बातचीत चल रही है। असम से वन भैंसा और गेंडा भी मध्यप्रदेश लाने की कोशिश की जा रही है। इसके अलावा, नर्मदा नदी और अन्य वेटलैंड्स के संरक्षण के लिए जुलाई 2025 में पचमढ़ी में एक राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की जाएगी, जिसमें जलीय जीवों के संरक्षण के लिए विशेष योजना बनाई जाएगी।
गिद्धों के संरक्षण पर काम होगा
बैठक में सदस्यों ने गिद्धों के संरक्षण पर जोर देते हुए उनके आवासों को सुरक्षित करने की बात की। मुख्यमंत्री ने बताया कि बुंदेलखंड में गिद्धों की संख्या सबसे ज्यादा है, इसलिए इन्हें अन्य क्षेत्रों में भी फिर से बसाने की योजना बनाई जाएगी।
सोन घड़ियाल क्षेत्र पर भी हुई चर्चा
सोन घड़ियाल क्षेत्र पर चर्चा हुई। अभयारण्य को और मजबूत करने की योजना बनाई गई। जिन जगहों पर घड़ियाल नहीं हैं, उन्हें राजस्व विभाग को सौंपने का विचार किया गया। मुख्यमंत्री ने बताया कि इन जगहों पर अवैध रेत खनन हो रहा है, जिसे रोकने और राजस्व बढ़ाने के लिए यह कदम जरूरी है। इसके साथ ही घड़ियाल, कछुओं, दुर्लभ मछलियों और अन्य जलजीवों के संरक्षण के लिए एक विस्तृत योजना बनाने के निर्देश भी दिए गए।
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