भोपाल। मध्य प्रदेश की राजनीति में कई ऐसे किस्से रहे हैं, जिनका जिक्र गाहे बगाहे होता रहा है। ऐसे में आज हम आपको संविदाकाल का एक ऐसा किस्सा आपको बताएंगे जिसका जिक्र भारतीय राजनीति में होता रहा है। यह एक ऐसे सीएम की कहानी है, जिन्होंने अपने मंत्री के रिश्वत लेने की बात कबूल की थी और कहा था कि मैं मंत्री जी के मजबूरी को समझता हूं। तो चलिए जानते हैं पूरा किस्सा।
मामला संविदाकाल की सरकार का है
यह मामला है संविदाकाल की सरकार का। तब गोविंद नारायण सिंह मध्य प्रदेश के सीएम हुआ करते थे।उनकी सरकार पर तब भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे थे। मध्यप्रदेश की राजनीति पर गहरी पकड़ रखने वाले और राजनीतिनामा किताब लिखने वाले पत्रकार ‘दीपक तिवारी’ बताते हैं कि इस दौरान प्रदेश में ट्रांसफर उद्योग जमकर फला-फूला, मंत्रियों ने भी गोविंद नारायण सिंह की सरकार में खूब भ्रष्टाचार किया। एक बार सिंचाई मंत्री बृजलाल वर्मा ने लिफ्ट इरिगेशन के लिए पंप सेट खरीदने का प्रस्ताव रखा, जिसके लिए मुख्यमंत्री का अनुमोदन जरूरी था। ऐसा इसलिए क्योंकि खरीदी प्रक्रिया में स्थापित मापदंडों को बाईपास किया गया था।
मुख्य और सिंचाई सचिव इसका विरोध कर रहे थे
बताया जाता है कि उस दौरान मुख्य सचिव नरोन्हा और सिंचाई सचिव एसबी लाल ने इसका विरोध किया। लेकिन जब फाइल मुख्यमंत्री के पास पहुंची, तो उन्होंने साफ लिखा, “मैं अपने मुख्य सचिव और सिंचाई सचिव की बात से सहमत हूं, क्योंकि यह प्रस्ताव अनैतिक है और इसे मंजूर नहीं किया जा सकता। लेकिन मैं अपने सिंचाई मंत्री की मजबूरी को समझ सकता हूं। चूंकि उन्होंने इस मामले में 20 हजार रुपए की मूर्खतापूर्ण रिश्वत चेक से ली है, इसलिए इस परिस्थिति में यह प्रस्ताव स्वीकार किया जाता है।”
स्वीकृत करने के बाद अस्वीकृत किया प्रस्ताव
हालांकि, इस मंजूरी के विरोध में मुख्य सचिव नरोन्हा फिर से मुख्यमंत्री गोविंद नारायण सिंह के पास चल गए और इसे अनुचित करार दिया। इस पर सीएम ने नोटशीट पर टिप में लिखा- ‘मेरे मुख्य सचिव ने यह फाइल वापस भेज दी है कि ऐसा प्रस्ताव स्वीकृत करना उपयुक्त नहीं है। मैं उनसे सहमत हूं और प्रस्ताव को अब अस्वीकृत करता हूं।”
इसके बाद मुख्य सचिव ने मुख्यमंत्री गोविंद नारायण सिंह से कहा कि आपने जो पिछली बार टिप्पणी की थी, जिसमें मंत्री के रिश्वत लेने का जिक्र था उसे रिकॉर्ड से हटा दिजिए। इसपर तत्कालीन सीएम ने कहा कि नहीं ऐसा नहीं हो सकता और बोले- ‘बृजलाल वर्मा मूर्ख हैं, उन्हें यह भी नहीं मालूम कि रिश्वत चेक से नहीं ली जाती है।’
नोट- यह कहानी राजनीतिक विशेषज्ञ दीपक तिवारी की किताब ‘रजनीतिनामा’ और मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर तैयार की गई है।