MP Transfer Policy Aatki: मध्य प्रदेश के कर्मचारियों को एक फिर झटका लगा है। तबादला नीति फिर अटक गई है। लगातार दूसरी बार ऐसा हुआ जब कैबिनेट में इसे लेकर चर्चा होना संभावित थी।
लेकिन कैबिनेट की बैठक में ट्रांसफर पॉलिसी पर कोई फैसला नहीं हो सका। इसके बाद प्रदेश के कर्मचारियों के तबादले फिलहाल के लिए टल (MP Transfer Policy Aatki) गए हैं।
कैबिनेट मीटिंग खत्म होने के बाद ट्रांसफर पॉलिसी के सवाल पर डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल ने कहा कि अभी इसके लिए इंतजार करना पड़ेगा।
सवा साल से लगी हुई है ट्रांसफर पर रोक
प्रदेश में कर्मचारियों के ट्रांसफर पर रोक सवा साल से लगी है। जून 2023 के बाद से ट्रांसफर नहीं हुए हैं।पहले विधानसभा और फिर लोकसभा इलेक्शन के कारण कर्मचारियों के ट्रांसफर नहीं हो सके। सवा साल से प्रदेश के लाखों कर्मचारी ट्रांसफर की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
बार बार इसलिए अटक रही पॉलिसी
पहले उम्मीद थी कि कर्मचारियों के ट्रांसफर 20 अगस्त के बाद से शुरु हो जाएंगे, लेकिन शिक्षकों के उच्च पद प्रभार की प्रक्रिया के कारण ये मामला अटक गया। ये मामला खत्म हुआ तो लगा कि कर्मचारियों के ट्रांसफर अब 3 सितंबर के बाद शुरु हो जाएंगे, लेकिन यहां भी निराशा ही हाथ लगी।
इस बार तबादला नीति पर अतिशेष शिक्षकों का मुद्दा हावी हो गया। दरअसल प्रदेश में अभी अतिशेष शिक्षकों को रिक्त पदों पर ट्रांसफर करने की प्रक्रिया चल रही है।
ट्रांसफर नीति के लिए इतने महत्वपूर्ण क्यों है शिक्षक?
प्रदेश में सबसे ज्यादा ट्रांसफर स्कूल शिक्षा विभाग में होते हैं। यह संख्या कुल ट्रांसफर के 60 प्रतिशत से भी अधिक है। ऐसे में सरकार शिक्षकों के तबादलों को होल्ड कर अन्य कर्मचारियों के लिये तबादला नीति जारी नहीं करना चाहती।
यही कारण है कि कभी उच्च पद प्रभार तो कभी अतिशेष शिक्षकों की प्रक्रिया के कारण कर्मचारियों के तबादलों पर ग्रहण लग रहा है।
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ट्रांसफर के लिए शिक्षक संगठनों ने खोला मोर्चा
ट्रांसफर से सबसे ज्यादा बड़ा वर्ग शिक्षकों का ही जुड़ा है। सवा साल से ट्रांसफर की राह देख रहे शिक्षकों का भी सब्र का बांध टूट रहा है।
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यही कारण है कि हाल ही के कुछ दिनों में कई स्तर पर अलग अलग शिक्षक संगठनों ने ज्ञापन देकर सरकार से जल्द से जल्द ट्रांसफर शुरु करने की मांग की है।
अतिशेष शिक्षकों की प्रक्रिया पूरी होने के बाद निर्णय
अभी प्रदेश में अतिशेष शिक्षकों की प्रक्रिया चल रही है। इसमें भी कई विसंगतियां सामने आ रही हैं। जानकार बताते हैं कि जब तक ये अतिशेष की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, तब तक ट्रांसफर नीति पर फैसला संभव नहीं है।
एक बार शिक्षकों का स्कूल में आने जाने का मामला थमे, उसके बाद ही ट्रांसफर पर कोई निर्णय हो सकेगा।