MP Tourism Pani ka Diya Wala Mandir: दुनिया में ऐसे कई मंदिर है जो आज भी मिस्ट्री बने हुए हैं। आज हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के एक ऐसे ही रहस्यमयी मंदिर के बारे में जिसकी कुछ अनसुलझी कहानियां हैं और कुछ रहस्य। जिन्हें कोई समझ ही नहीं पाया है। मध्यप्रदेश में टूरिज्म (MP Tourism) की कई जगहें हैं लेकिन अगर आप भी कभी मध्यप्रदेश आएं तो इस मंदिर में जरूर आएं।
यहां तेल नहीं पानी से जलता है दीया
तेल, घी से दीया जलना तो आम बात है लेकिन क्या आपने कभी पानी से दीया जलने की बात सुनी है। यदि नहीं तो चलिए आज हम आपको बताते हैं मध्यप्रदेश के उस रहस्यमयी मंदिर के बारे में। इस मंदिर की मिस्ट्री आज भी लोगों के लिए मिस्ट्री है। मध्यप्रदेश के इस टूरिस्ट प्लेस (MP Tourist Place) पर जरूर आते हैं।
ये है एमपी का वो रहस्यमयी मंदिर
आज हम जिस मंदिर की बात कर रहे हैं वो है मध्यप्रदेश का गड़ियाघाट माताजी का मंदिर (Gadhiya Ghat Mata Temple) । जी हां पर आज भी घी, तेल नहीं बल्कि पानी से दिया जलता है। इस मंदिर का ये चमत्कार (Mysterious Temples) देखने के लिए लोग दूर-दूर से देखने के लिए आते हैं।
आगर मालवा के इस गांव में स्थित है ये रहस्यमयी मंदिर
आज हम मध्यप्रदेश के जिस रहस्यमयी मंदिर (Mysterious Temples) की बात कर रहे हैं वो मध्यप्रदेश के आगर मालवा में स्थित है। ये मंदिर काली सिंध नदी के किनारे आगर-मालवा के नलखेड़ा गांव से करीब 15 किलोमीटर दूर गाड़िया गांव में स्थित है।
ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में बीते 5 सालों से पानी से दीपक जलाया जा रहा है। हालांकि इसे लेकर किसी तरह के कोई साक्ष्य नहीं हैं फिर भी यहां के पुजारी के अनुसार इस यहां पहले तेल का दीपक जला करता था।
सपने से शुरू हुआ रहस्य
पुजारी के अनुसार करीब 5 साल पहले उन्हें एक बार मां काली ने सपने में दर्शन देकर पानी से दीपक जलाने की बात कही थी। इसके बाद से ही तकरीबन यहां घी का नहीं बल्कि पानी से दीपक जलते आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि मां के बताए अनुसार सपने के बाद उन्होंने सुबह उठकर पास बह रही कालीसिंध नदी से पानी भरकर दीये में डाला। जैसे ही पानी डाला तो वह दीपक जल उठता है।
इस समय बुझ जाता है दीया
जानकारी के अनुसार इस दीपक का एक और रहस्य है। चूंकि ये काली मंदिर कालीसिंध नदी के किनारे है। इसलिए बारिश में नदी का स्तर बढ़ने पर पानी मंदिर में भर जाता है। जिसके चलते मंदिर में दीया नहीं जलता। इस दौरान यहां पूजा नहीं हो पाती।
इस समय फिर दोबारा जलता है दीया
आसपास के रहवासियों और पुजारी की मानें तो बारिश के बाद शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) आने पर सितंबर अक्टूबर में एक बार फिर इस मंदिर में पानी से दीपक जलाया जाता है। जिसके बाद वह एक साल तक लगातार यानी अगली बारिश (Barish) तक जलता रहता है।
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