MP Teacher Bharti: मध्यप्रदेश में माध्यमिक शिक्षक भर्ती के लिए लंबे समय से कैंडिडेट्स इंतजार कर रहे हैं। अब 2023-24 भर्ती के तहत 7,929 पदों पर वैकेंसी तो निकली है। लेकिन इसमें विज्ञान विषय के उम्मीदवारों के लिए पद ही नहीं हैं। ऐसे में भर्ती प्रक्रिया साइंस सब्जेक्ट वालों के लिए बढ़ी चुनौती बन गई है। भर्ती में विज्ञान विषय के लिए एक भी पद न होने के कारण 66,000 से अधिक उम्मीदवार निराश और आक्रोशित हैं। इसी के विरोध में कैंडिडेट्स ने भर्ती में पदों को बढ़ाने के लिए DPI में ज्ञापन सौंपा है।
विज्ञान विषय के लिए नहीं रखा गया कोई पद
स्कूल शिक्षा विभाग ने इस बार माध्यमिक शिक्षक भर्ती के तहत हिंदी, अंग्रेजी, गणित, सामाजिक विज्ञान, और अन्य विषयों के लिए पद निर्धारित किए हैं, लेकिन विज्ञान विषय के लिए कोई पद नहीं रखा गया है। इस निर्णय से विज्ञान विषय से पढ़ाई करने वाले उम्मीदवारों में गहरी निराशा है। उम्मीदवारों का कहना है कि विज्ञान जैसे महत्वपूर्ण विषय को भर्ती प्रक्रिया में शामिल न करना शिक्षा प्रणाली के लिए घातक साबित हो सकता है।
ट्राइबल डिपार्टमेंट में 14 पद
जनजातीय विभाग ने कुल 14 पदों का आवंटन किया है, जिनमें से 50 प्रतिशत यानी 7 पद अतिथि शिक्षकों के लिए आरक्षित हैं। शेष 7 पदों पर अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS), और दिव्यांगजन के लिए आरक्षण लागू किया गया है।
66,000 उम्मीदवारों के भविष्य पर संकट
विज्ञान विषय के 66,000 से अधिक उम्मीदवार परीक्षा देने के लिए तैयारी कर रहे थे, लेकिन विषय से संबंधित पद न होने के कारण उनका भविष्य अधर में लटक गया है। विज्ञान विषय के उम्मीदवारों ने डीपीआई (डायरेक्टोरेट ऑफ पब्लिक इंस्ट्रक्शन) में ज्ञापन सौंपते हुए इस मुद्दे पर तुरंत संज्ञान लेने की मांग की है। साथ ही चेतावनी भी दी है कि यदि पद नहीं बढ़ाए जाते तो वे आंदोलन करेंगे साथ ही कोर्ट का भी रुख करेंगे।
पदों की संख्या बढ़ाई जाए
भोपाल में बड़ी संख्या में विज्ञान विषय के उम्मीदवारों ने डीपीआई कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया और ज्ञापन सौंपा। प्रदर्शनकारी उम्मीदवारों का कहना है कि विज्ञान विषय के बिना यह भर्ती प्रक्रिया अधूरी है। इस भर्ती प्रक्रिया से जुड़े एक उम्मीदवार ने कहा, “हमने कड़ी मेहनत से विज्ञान की पढ़ाई की और शिक्षक बनने का सपना देखा। लेकिन इस बार विज्ञान विषय के लिए एक भी पद नहीं होना हमारे सपनों पर कुठाराघात जैसा है। यह सरकार की ओर से विज्ञान विषय के प्रति उदासीनता को दिखाता है।”
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शिक्षा विशेषज्ञों ने भी जताई चिंता
शिक्षा विशेषज्ञों ने भी इस मामले पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि विज्ञान जैसे महत्वपूर्ण विषय को नजरअंदाज करना न केवल उम्मीदवारों के लिए अन्याय है, बल्कि यह शिक्षा व्यवस्था को कमजोर करने वाला कदम है। विशेषज्ञों का कहना है कि स्कूलों में विज्ञान शिक्षकों की जरूरत हमेशा रहती है और इसे नजरअंदाज करना गलत नीति का संकेत है।
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