MP Teacher Recruitment Issue: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने प्राथमिक शिक्षक भर्ती से जुड़े एक मामले में अहम फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक 11 अगस्त 2023 के पहले जो भी बीएड डिग्रीधारक अभ्यर्थियों की नियुक्ति हुई है, वो सभी नौकरी पर बने रहेंगे। हालांकि SC की शर्त के अनुसार इन सभी बीएड डिग्रीधारकों को 6 महीने का ब्रिज कोर्स करना अनिवार्य होगा। कोर्ट ने साफ कहा है कि अगर एक साल के अंदर ब्रिज कोर्स नहीं किया तो उनकी नियुक्ति रद्द हो जाएगी।
प्राथमिक शिक्षकों के रूप में Bed डिग्रीधारियों की नियुक्ति अवैधानिक
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्राथमिक शिक्षकों के रूप मे बीएड डिग्रीधरियों की नियुक्तियों को हाईकोर्ट ने अवैधानिक माना है। वहीं शिक्षक भर्ती नियम 2018 की वैधानिकता के संबंध में अलग से याचिका दायर करने की स्वंत्रता दी है। ये फैसला जस्टिस शील नागू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने दिया।
क्या था मामला ?
सैकड़ों डीएलएड छात्रों की ओर से मप्र हाईकोर्ट में याचिका दायर कर प्राथमिक शिक्षक के पद पर बीएड डिग्रीधारकों को नियुक्ति देने को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने 8 नवंबर 2023 को प्राथमिक शिक्षक के पद पर नियुक्ति के लिए बीएड डिग्रीधारियों को अयोग्य घोषित किया था। इस फैसले के स्पष्टीकरण के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट पुनर्विचार याचिका दायर की थी। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने शपथ पत्र दाखिल कर बताया था कि प्राथमिक शिक्षकों की कुल 21962 नियुक्तियों में से 11,583 बीएड अभ्यर्थी हैं। बाकी पद डीएलएड उम्मीदवारों से भरे गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद प्रतीक्षा सूची में से 284 बीएड डिग्री वाले अभ्यर्थियों को नियुक्त किया गया है।
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वकील ने क्या कहा ?
अधिवक्ता का कहना है कि फैसले में उठे सभी मुद्दों पर हाईकोर्ट ने फैसला नहीं दिया है, क्योंकि याचिका में मुख्य रूप से मध्यप्रदेश शिक्षक भर्ती सेवा संवर्ग नियम 2018 की सूची-3 के कॉलम-5 की संवैधानिकता को चुनौती दी गई थी।