Kuno Tiger Reserve Video: अक्सर डिस्कबरी और अन्य वीडियो में जंगली जानवरों और इंसानों की जनदीकियां लोगों को काफी रोमांचित करती हैं। अब ऐसा ही एक वीडियो कूनाे नेशनल पार्क का सामने आया है। जिसमें मादा चीता ज्वाला अपने चार शावकों के साथ पानी पीती दिख रही है। मॉनिटरिंग टीम का एक शख्स COME … कहता है और परात में पानी डाल देता है इसके बाद ज्वाला शावकों के साथ दोस्ताना अंदाज में पानी पीने आ जाती है। इसका वीडियो अब खूब वायरल हो रहा है। हालांकि इससे पहले इस चीता फैमिली ने एक बकरी का शिकार किया।
चीतों का एक रोमांचक वीडियो वायरल
कूनो नेशनल पार्क से चीतों का एक नया वीडियो जारी हुआ है। इस वीडियो में मादा चीता ज्वाला अपने चार शावकों के साथ पानी पीते हुए नजर आ रही है। मॉनिटरिंग टीम द्वारा परात में डाले गए पानी को चीता परिवार ने बहुत ही दोस्ताना माहौल में पिया।

‘COME’ की आवाज सुन दौड़े चले आते है चीते
वीडियो में दिखाया गया है कि पहले मॉनिटरिंग टीम का एक सदस्य, जिसे चीता मित्र कहा जाता है, केतली और परात लेकर आता है। उसने परात में पानी भरकर आराम कर रहे चीतों को ‘COME’ कहकर जोर से पुकारा।
जैसे ही चीतों ने यह आवाज सुनी, ज्वाला और उसके चारों शावक तुरंत वहां पहुंच गए। यह वीडियो शनिवार सुबह का है, जब चीता परिवार ने इससे पहले बकरी का शिकार किया था।
कूनो में घूम रहे 17 चीते
वर्तमान में कूनो के खुले वन में 17 चीते घूम रहे हैं। ये चीते अपने क्षेत्र का विस्तार कर रहे हैं और सक्रिय रूप से शिकार कर रहे हैं। हाल के दिनों में चीतों की गतिविधियों के कई वीडियो सामने आए हैं।

जल स्त्रोत सूखे जंगली जानवरों को पानी की कमी
इन वीडियो में चीते कभी हिरणों के समूह का शिकार करते हुए नजर आए, तो कभी बकरियों पर हमला करते हुए। क्षेत्र में कई जल स्रोत सूख जाने के कारण निगरानी टीम चीतों के लिए परात में पानी उपलब्ध करा रही है, ताकि उन्हें पानी की कमी का सामना ना करना पड़े।
जानें कौन है पानी पिलाने वाला चिता मित्र ?
कूनो के चीते अब अपने मित्रों की कमांड को समझने लगे हैं। सुरक्षा में लगे चीता मित्र, जो मॉनिटरिंग टीम के साथ काम कर रहे हैं, अब चीतों को पहचानने में सक्षम हो गए हैं। चीतों को पानी देने वाले चीता मित्र का नाम सत्तू गुर्जर है।
पहली बार पार्क के बाहर नजर आई चीता फैमिली
जानकारी के मुताबिक, डेढ़ महीने पहले जंगल में छोड़ी गई मादा चीता ज्वाला और उसके चार शावक पहली बार पार्क की सीमा से बाहर आए। इन्हें वीरपुर तहसील के श्यामपुर गांव के पास देखा गया। ये चीते निर्माणाधीन श्योपुर-ग्वालियर ब्रॉडगेज रेल ट्रैक से लगभग 1 किलोमीटर दूर थे।
चीते लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र
चीतों ने गाय पर हमला किया तो ग्रामीणों ने उन पर पत्थर फेंके। पांचों चीते कूनो सायफन के पास से होते हुए कूनो नदी तक पहुंचे और वहां निर्माणाधीन रेलवे पुल के नीचे काफी समय तक बैठे रहे। इस दौरान, कूनो सायफन से गुजरने वाले लोग चीतों को देखने के लिए इकट्ठा हो गए।
लोगों के पत्थर मारने पर शिकार को छोड़ गई चीता
जब मादा चीता और उसके शावक एक-एक करके रास्ता पार कर रहे थे, तभी उन्होंने गाय पर झपट्टा मारा। ग्रामीण लाठियां लेकर दौड़े और चीते को भगाने के लिए पत्थर फेंकने लगे। चीता ज्वाला ने काफी देर तक गाय का गला पकड़े रखा, लेकिन जैसे ही उसे पत्थर लगा, उसने गाय को छोड़ दिया और अपने शावकों के साथ भाग गई।
21 फरवरी को जंगल में छोड़े गए थे चीते
ज्वाला और उसके शावकों को 21 फरवरी को कूनो नेशनल पार्क के खजूरी क्षेत्र के जंगल में छोड़ा गया। एक महीने तक वे पार्क की सीमाओं के भीतर ही रहे। जब चीते बाहर आए, तो क्षेत्र के चीता मित्रों और उनकी टीम ने आसपास के लोगों को जागरूक किया।
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चीतों का इंसानों के साथ कितने दोस्ताना ?
चीते इंसानों के लिए कोई बड़ा खतरा नहीं बनाते, लेकिन वे जंगली जानवर हैं, इसलिए उनसे संपर्क करने से बचना चाहिए। आमतौर पर, चीते मनुष्यों पर हमला नहीं करते और वे अपनी प्रजाति के अन्य जानवरों की तुलना में अधिक शांत स्वभाव के होते हैं। चीते कुशल शिकारी माने जाते हैं, लेकिन वे आमतौर पर छोटे जानवरों का शिकार करते हैं, इंसानों का नहीं।
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