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MP में शराबबंदी की उठी मांग:कांग्रेस बोली- महुआ छोड़ बाकी शराब पर लगे प्रतिबंध, आदिवासी क्षेत्रों को बताया शराब का अड्डा

MP Sharabbandi Demand, Congress leader Vikrant Bahuria Liquor Ban: मध्य प्रदेश में एक बार फिर शराबबंदी को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है।

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Shashank Kumar
MP Sharabbandi Demand Liquor Ban

MP Sharabbandi Demand Liquor Ban

MP Sharabbandi Demand, MP Liquor Ban : मध्य प्रदेश में एक बार फिर शराबबंदी को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। कांग्रेस ने राज्य के आदिवासी बहुल इलाकों में शराब के बढ़ते प्रभाव पर चिंता जताते हुए महुआ की परंपरागत शराब को छोड़कर बाकी सभी प्रकार की शराब पर तत्काल प्रतिबंध लगाने की मांग की है। आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और झाबुआ विधायक डॉ. विक्रांत भूरिया ने भोपाल में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया।

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आदिवासी क्षेत्रों को बना दिया शराब का गढ़: विक्रांत भूरिया

[caption id="attachment_800883" align="alignnone" width="1098"]MP Sharabbandi Demand Liquor Ban MP Sharabbandi Demand Liquor Ban[/caption]

विक्रांत भूरिया (Congress leader Vikrant Bahuria) ने सरकार पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि एक तरफ धार्मिक स्थलों पर शराबबंदी (MP Sharabbandi Demand) की बात की जाती है, वहीं दूसरी ओर आदिवासी क्षेत्रों को शराब का अड्डा बना दिया गया है।

उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि पूरे प्रदेश में शराबबंदी लागू की जाए और आदिवासी क्षेत्रों में महुआ की परंपरागत शराब को छोड़कर अन्य सभी प्रकार की शराब पर रोक लगाई जाए, क्योंकि महुआ का उपयोग आदिवासी समाज धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में करता है।

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आदिवासी क्षेत्रों में चल रही D3 मुहिम

विधायक भूरिया (Congress leader Vikrant Bahuria) ने बताया कि आदिवासी क्षेत्रों में D3 मुहिम चलाई जा रही है, जिसका मतलब है- दहेज, दारू और डीजे के खिलाफ अभियान। उन्होंने कहा कि इस अभियान से समाज में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिल रहा है। अब युवा खुद नशा मुक्ति के लिए आगे आ रहे हैं। शराबबंदी की यह मांग केवल राजनीतिक नहीं बल्कि सामाजिक परिवर्तन की दिशा में एक अहम कदम है।

"400 करोड़ का शराब ठेका गरीब जिलों में कैसे?"

डॉ. भूरिया ने झाबुआ और अलीराजपुर जिलों में शराब ठेके को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि ये दोनों जिले देश के सबसे गरीब जिलों में गिने जाते हैं, फिर वहां 400 करोड़ रुपये का शराब ठेका कैसे हो सकता है? क्या हर व्यक्ति सालाना एक लाख की शराब पी रहा है? ये बीस हजार करोड़ का खेल है, जिसमें सबसे बड़ा शराब सिंडिकेट वेस्टर्न एमपी में काम कर रहा है और सरकार खुद उसका हिस्सा बन चुकी है।

गुजरात जैसे ड्राय स्टेट तक हो रही शराब की सप्लाई

कांग्रेस नेता ने खुलासा किया कि मप्र से गुजरात तक अवैध शराब की सप्लाई हो रही है, जबकि गुजरात ड्राय स्टेट है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से जवाब मांगा कि क्या गुजरात वास्तव में ड्राय स्टेट है या केवल कागजों पर? उन्होंने कहा कि शराब की जब्त खेपों में मालिकों और ठेकेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं होती, केवल ड्राइवर को दोषी ठहराकर छोड़ दिया जाता है।

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शराब सिंडिकेट के पीछे सरकार का संरक्षण

विक्रांत भूरिया ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार खुद शराब माफियाओं को संरक्षण दे रही है। उन्होंने कहा कि धार जिले के कलेक्टर ने भी नकली होलोग्राम के ज़रिए चल रहे अवैध शराब कारोबार की पुष्टि की है। लेकिन जब भी शराब पकड़ी जाती है, केवल वाहन चालक पर कार्रवाई होती है, असली जिम्मेदारों को बचा लिया जाता है।

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सरकार आदिवासी समाज की D3 मुहिम को दे समर्थन

भूरिया ने सरकार से अपील की कि वह आदिवासी समाज की D3 मुहिम का समर्थन करे और शराब माफियाओं पर कड़ी कार्रवाई करे। उन्होंने कहा कि अगर सरकार वाकई आदिवासियों की हितैषी है, तो उसे महुआ को छोड़ बाकी शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना चाहिए और गुजरात बॉर्डर के सभी शराब ठेकों पर निगरानी के लिए सीसीटीवी लगाना चाहिए।

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