(शाजापुर से आदित्य शर्मा की रिपोर्ट): शाजापुर में डीजे की कानफोड़ू आवाज शहर से लेकर गांव की गलियों तक सुनाई पड़ता है, चाहे मौका शादी-ब्याह का हो, या फिर धार्मिक आयोजन। कोई बंदिश लगाने वाला नहीं। हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी जिम्मेदारों द्वारा कोई कार्रवाही नहीं की जा रही है।
ध्वनि प्रदूषण से संबंधित कानून का नगर में कोई मतलब नहीं रह गया है, और कोई भी कानून का पालन करने के लिये तत्पर नहीं है, यहां तक कि कानून का पालन करवाने वाले दोषियों के विरूद्ध कार्रवाई नहीं होने से ध्वनि प्रदूषण करने को बढ़ावा मिल रहा है। स्कूल, कालेज, अस्पताल, कोर्ट, ऑफिस से 100 मीटर एरियल डिस्टेन्स पर लाउड स्पीकर बजने पर प्रतिबंध किया गया है।
शासन ने शादियों, जन्मदिनों, धार्मिक, सामाजिक कार्यक्रमों में तेजी से ध्वनि यंत्र बजाने वालों पर भी कार्रवाई करते हुए डीजे वाहन जब्त किये जाने का प्रावधान किया हैं। जब भी उपरोक्त कार्यक्रमों में निर्धारित मापदन्डों से अधिक ध्वनि विस्तार होने पर अधिकारी चाहे तो वे लोगों की भावना की कद्र करते हुये नम्रता पूर्वक उन्हें शासन के आदेश का पालन करने को कहें, अगर आयोजक विरोध करता है तो उसके विरूद्ध कार्यवाही की जाने की बात कही गयी है।
बिना अनुमति ध्वनि विस्तारक यंत्रों का हो रहा उपयोग
ध्वनि प्रदूषण की रोकथाम के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा 18 जुलाई 2005 को आदेश पारित किया गया है, उक्त परिप्रेक्ष्य में उच्च न्यायालय द्वारा भी समुचित कदम उठाए जाने हेतु पुलिस व जिला प्रशासन को विस्तृत दिशा निर्देश जारी किये गये हैं। इसके बावजूद भी नगर में अनुज्ञेय सीमा से अधिक डेसिबल के ध्वनि यंत्रों (बड़े बड़े साउण्ड बाक्स) को वाहनों में परिवहन कर सार्वजनिक स्थलों पर देर रात्रि तक व अधिक आवाज में खुले आम बजाये जा रहे है।