MP Sarkari Bharti High Court Decision: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। मध्यप्रदेश में हाईकोर्ट समेत आगामी सभी भर्ती परीक्षाओं में अनारक्षित पदों पर मेरिट के हिसाब से कैंडिडेट्स का सिलेक्शन होगा। बुधवार को न्यायालय ने सिविल जज भर्ती परीक्षा 2022 सहित अन्य सभी चयन परीक्षाएं याचिका के अंतिम फैसले के अधीन कर दी थीं, वहीं आज फैसला सुना दिया।
याचिका के फैसले के अधीन थीं सभी भर्तियां
इस मामले में हाईकोर्ट ने प्रारंभिक सुनवाई 20 नवंबर को की, इसमें हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार से जवाब तलब करके हाईकोर्ट सहित प्रदेश की सभी भर्तियां याचिका के आखिरी फैसले के अधीन कर दी थीं, लेकिन शाम को 4:45 बजे फुल कोर्ट मीटिंग के बाद याचिका को फिर 21 नवंबर को सुनवाई के लिए लिस्ट किया गया। वकीलों को मोबाइल पर शाम 7:30 बजे सूचना दे दी गई थी।
हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
हाईकोर्ट में याचिका पर 12 बजे सुनवाई हुई। मुख्य न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन ने हाईकोर्ट और शासन के अधिवक्ता से कहा कि इस याचिका में उठाए गए मुख्य बिंदु पर सुप्रीम कोर्ट ने 1 मई 2024 को फैसला सुना दिया है। इसमें कहा गया है कि हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच द्वारा 7 अप्रैल 2022 को पारित निर्णय को अपहेल्ड किया गया है जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि चयन परीक्षा के प्रत्येक चरण में अनारक्षित पदों को सभी वर्गों के प्रतिभावान अभ्यर्थियों से ही भरा जाएगा।
प्रतिभावान कैंडिडेट्स का होगा सिलेक्शन
इसलिए इस याचिका को लंबित रखकर आरक्षित वर्ग के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का मौका नहीं दिया जा सकता। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने याचिका को अंतिम रूप से निराकृत करके स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि हाईकोर्ट सहित प्रदेश की आगामी समस्त भर्तियों में चयन परीक्षा के हर चरण में (प्रारंभिक और मुख्य ) में अनारक्षित पद सिर्फ और सिर्फ प्रतिभावान अभ्यर्थियों से ही भरे जाएंगे चाहे वो किसी भी वर्ग के हों।
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हाईकोर्ट बेंच ने और क्या कहा ?
हाईकोर्ट ने फैसला पारित करते समय जस्टिस शील नागू और जस्टिस वीरेंदर सिंह की डिवीजन बेंच द्वारा एक याचिका में पारित फैसला दिनांक 2 जनवरी 2023 को कानून एवं सामाजिक न्याय के सम्मत नहीं पाया और तत्कालीन चीफ जस्टिस रवि मालिमठ और विशाल मिश्रा की खंडपीठ द्वारा 17387/2023 में 1 अप्रैल 2024 को पारित फैसले को भी सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के और कानून सम्मत नहीं पाते हुए पटाक्षेप कर दिया। कहा कि हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच द्वारा एक याचिका में 7 अप्रैल 2024 को पारित फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने अपने कई फैसलों में रेखांकित किया है। इसे दीपेंद्र यादव बनाम मध्य प्रदेश शासन में अपहेल्ड किया गया है। गुजरात, कलकत्ता, बॉम्बे, दिल्ली, तेलंगाना सहित कई हाईकोर्ट ने इस फैसलों को अपने निर्णयो में रेखांकित किया गया है।
चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन ने खुले न्यायालय में फैसला सुनाते हुए याचिका एलाउ कर दी। याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक प्रसाद शाह, पुष्पेंद्र शाह ने की।
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