हाइलाइट्स
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मोहन सरकार के MSME मंत्री ने छोड़ी सैलरी
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MP विधानसभा के सदन में मंत्री ने की घोषणा
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मंत्री को हर महीने 1.70 लाख रुपये मिलती है सैलरी
MP Minister Chetan Kashyap: मध्य प्रदेश के एक कैबिनेट मंत्री सरकार से सैलरी नहीं लेंगे।
मानसून सत्र के दौरान 4 जुलाई को विधानसभा के अंदर उन्होंने सदन में इसकी घोषणा की।
उन्होंने यहां तक कहा कि सरकार उनकी सैलरी और भत्ते जिस मद से जारी किये जाते हैं, वहां से जारी ही न करे।
ये मंत्री मध्य प्रदेश के सबसे अमीर विधायक (Chaitanya Kashyap is richest MLA of MP) हैं।
चैतन्य कश्यप ने पेश की अनोखी मिसाल
रतलाम सीट से BJP विधायक और कैबिनेट मंत्री चेतन्य कश्यप (MP Minister Chetan Kashyap) एक बार फिर चर्चा में हैं।
उन्होंने एक बार फिर अनोखी मिसाल पेश करते हुए मंत्री पद के तौर पर मिलने वाली सैलरी, भत्ता और पेंशन नहीं लेने का फैसला किया है।
चैतन्य कश्यप ने सदन में ये कहा
एमएसएमई मंत्री चैतन्य कश्यप ने गुरुवार को सदन में कहा कि- मैं सरकार में मंत्री पद के तौर पर काम करता रहूंगा, जनता की सेवा करता रहूंगा।
लेकिन मैं सरकार की ओर से दिया जाना वाला वेतन, भत्ता और पेंशन नहीं लूंगा। मैं अपना खर्चा खुद उठाने में सक्षम हूं। इस राशि का उपयोग जनसेवा में किया जाए।
सबसे अमीर विधायक हैं चैतन्य कश्यप
आपको बता दें कि चेतन्य कश्यप तीसरी बार के विधायक हैं। इससे पहले अपने दो कार्यकाल में भी उन्होंने सैलरी न लेने का ऐलान किया था।
उन्होंने दोनों बार अपनी सैलरी को राजकोष से जनहित कामों में लगाने की बात कही थी।
विधायक रहने के साथ-साथ कश्यप साल 2016 से 2018 तक राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी रहे।
मोहन के ये मंत्री नहीं लेंगे सैलरी: MP के सबसे अमीर विधायक ने सदन में की घोषणा, कैबिनेट मिनिस्टर को ये मिलती है सैलरी#MPNews #CMMohanYadav @CMMadhyaPradesh @PMOIndia @ChetanyaKasyap
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लेकिन उस दौरान भी उन्होंने कोई सरकारी लाभ नहीं लिया था। आपको बता दें कश्यप, मध्य प्रदेश के सबसे अमीर विधायक हैं।
एमपी के टॉप-10 रईस विधायकों में वो पहले नंबर पर हैं।उनकी संपत्ति 294 करोड़ रुपए है।
कैबिनेट मंत्री को मिलती है 1.70 लाख सैलरी
बता दें कि मंत्रियों को हर महीने 45 हजार रुपए वेतन (Salary of Cabinet Minister in MP) 45 हजार रुपए सत्कार भत्ता, 35 हजार निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, 45 हजार रुपए मासिक (राज्य से बाहर रहने पर 2500 प्रतिदिन) दैनिक भत्ता मिलता है। कुल मिलाकर 1 लाख 70 हजार रुपये महीने दिये जाते हैं।
इधर माननीयों के वेतन को बढ़ाए जाने का प्रस्ताव लंबित
कैबिनेट मंत्री चैतन्य कश्यप ने जहां एक ओर अपने वेतन भत्ते का त्याग कर अनोखी मिसाल पेश की, वहीं मध्य प्रदेश की ही माननीय ही इसे और अधिक बढ़ाने के पक्ष में रहे हैं।
विधानसभा में विधायकों का वेतन 40 हजार रुपये बढ़ाए जाने का प्रस्ताव (Proposal to increase salary of MP MLAs) एक साल से लंबित है।
पेंशन पुनरीक्षण के लिए गठित तत्कालीन समिति ने विधायकों को मिलने वाले वेतन भत्तों (Salary of MLAs in MP) के संबंध में अन्य राज्यों से जानकारी बुलाई, पर इस पर अब तक फैसला नहीं हो सका है।
9 साल में चार बार बढ़ा वेतन
वर्ष 2007 में विधायकों का वेतन बढ़ाकर 35 हजार रुपए महीना किया गया था।
वर्ष 2010 में इसे बढ़ाकर माननीयों का वेतन 50 हजार रुपए कर दिया गया।
वर्ष 2012 में फिर वेतन बढ़ाया गया और 71 हजार रुपए विधायकों की सैलरी हुई।
वर्ष 2016 में विधायकों की सैलरी 1 लाख 10 हजार रुपए हो गई।
इन राज्यों में MP से भी कम माननीयों का वेतन
मेघालय में 20 हजार रुपये, नागालैंड में 1 लाख रुपये, पंजाब में 94 हजार रुपये, ओडिशा में 65,170 रुपये, केरल में 70 हजार रुपये और छत्तीसगढ़ में 80 हजार रुपये महीना विधायकों को वेतन मिलता है।
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इन राज्यों में MP से ज्यादा विधायकों का वेतन
बिहार में 1.24 लाख रुपये, गुजरात 1.10 लाख रुपये, हरियाणा 1.95 लाख रुपये, हिमाचल 2.10 लाख रुपये, महाराष्ट्र 2.32 लाख रुपये, राजस्थान 1.12 लाख रुपये, अरुणाचल 1.20 लाख रुपये, असम 1.20 लाख रुपये और झारखंड में 1.38 लाख रुपए मासिक विधायकों को वेतन दिया जाता है।
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MP में 50 साल में 550% तक बढ़ा वेतन
मध्य प्रदेश में 1972 से विधायकों को वेतन-भत्ते (Salary of MLAs in MP) दिए जा रहे हैं। तब उन्हें 200 रुपए मासिक वेतन मिलता था।
वर्तमान में ये 1.10 लाख रुपए है। ये वेतन 2016 में बढ़ाया गया। यानी बीते 50 साल में इनका वेतन 550% बढ़ चुका है।