(रतलाम से दिलजीत सिंह मान की रिपोर्ट)
MP Ratlam Virupaksha Mahadev Mandir: महाशिवरात्रि पर बुधवार लोग भक्ति के रंग में रंगने वाले हैं। आज आपको मध्यप्रदेश के एक ऐसे शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसको लेकर मान्यता है कि यहां के प्रसाद से भक्तों की सूनी गोद भर जाती है।
जी हां हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के बिलपांक गांव में स्थित विरुपाक्ष महादेव मंदिर MP Ratlam Virupaksha Mahadev की, जो न केवल अपनी प्राचीन वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां मिलने वाले खीर प्रसाद को लेकर भी अटूट आस्था है।
मान्यता है कि महाशिवरात्रि के बाद मंदिर में वितरित होने वाली यह विशेष खीर संतान सुख की प्राप्ति में सहायक होती है। यही कारण है कि हर साल महाशिवरात्रि पर लाखों श्रद्धालु इस मंदिर में पहुंचते हैं।
महाशिवरात्रि पर उमड़ता है श्रद्धालुओं का सैलाब
हर साल महाशिवरात्रि के अवसर पर इस मंदिर में विशाल आयोजन होता है। भोर से ही भोलेनाथ के दर्शन के लिए भक्तों की लंबी कतारें लग जाती हैं। मंदिर में विशेष हवन और यज्ञ का आयोजन किया जाता है और इस यज्ञ की पूर्णाहुति के साथ चमत्कारी खीर प्रसाद तैयार किया जाता है।
क्या है खीर के प्रसाद का चमत्कार?
यहां की परंपरा के अनुसार महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2025) के अगले दिन प्रसाद के रूप में विशेष खीर भक्तों को बांटी जाती है। मान्यता है कि जिन महिलाओं को संतान प्राप्ति में बाधा आ रही हो, अगर वे इस खीर को पूरी आस्था और विश्वास के साथ ग्रहण करती हैं, तो उनकी सूनी गोद भर जाती है।
आपको बता दें इस चमत्कारी खीर को पाने के लिए श्रद्धालु महाशिवरात्रि से पहले ही मंदिर पहुंचना शुरू कर देते हैं। खासकर महिलाएं बड़ी संख्या में यहां आती हैं, ताकि वे इस प्रसाद को ग्रहण कर अपनी मुराद पूरी कर सकें।
संतान होने पर, बांटनी पड़ती है खीर
यहां की एक और अनोखी परंपरा है जिसके अनुया जिन महिलाओं को इस प्रसाद के प्रभाव से संतान प्राप्त होती है, वे अपने बच्चे के वजन के बराबर खीर मंदिर में चढ़ाती हैं। फिर इस खीर को अन्य श्रद्धालुओं में वितरित किया जाता है। जानकारों की मानें तो ये परंपरा सदियों से चली आ रही है और इसे पूरी श्रद्धा के साथ निभाया जाता है।
विरुपाक्ष महादेव मंदिर, खंभों का रहस्य
ये मंदिर अपनी कई तरह की मान्यताओं को लेकर तो प्रसिद्ध है ही साथ ही यहां की अद्भुत वास्तुकला और रहस्यमयी खंभों भी आज भी एक पहले बने हुए हैं।
विरुपाक्ष महादेव मंदिर, 64 खंभों की भूल-भुलैया
मंदिर में कुल 64 स्तंभ (खंभे) हैं, लेकिन इनकी गिनती एक बार में कोई नहीं कर सकता। लोग इन्हें कई बार गिनने की कोशिश करते हैं, लेकिन हर बार उनकी गिनती में अंतर आ जाता है। यह भूल-भुलैया जैसी अनोखी संरचना प्राचीन भारतीय वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण है।
विरुपाक्ष महादेव मंदिर, इतिहास और मान्यता
ये मंदिर सैकड़ों वर्षों पुराना बताया जाता है, इसकी निर्माण शैली बेहद विशिष्ट है। कुछ मान्यताओं के अनुसार, यह मंदिर त्रेतायुग का है और यहां भगवान राम और लक्ष्मण ने भी आकर भगवान शिव की उपासना की थी।
मंदिर का नाम क्यों पड़ा विरुपाक्ष महादेव मंदिर
ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में शिवलिंग की स्थापना ऋषि विरुपाक्ष ने की थी, इसलिए इसे विरुपाक्ष महादेव मंदिर कहा जाता है।
आस्था और विज्ञान की जंग!
इस मंदिर में मिलने वाली खीर प्रसाद (Kheer ka Prasad) और उसकी चमत्कारी मान्यताओं को लेकर लोगों में अलग-अलग मत हैं।
कुछ लोग इसे भगवान शिव की कृपा मानते हैं, जिससे नि:संतान महिलाओं को संतान सुख की प्राप्ति होती है।
कुछ वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखने वाले लोग इसे मात्र संयोग मानते हैं, लेकिन वे भी इस रहस्य को पूरी तरह से खारिज नहीं कर पाते।
चमत्कार हो या आस्था, लेकिन यह सत्य है कि यहां आने वाले हजारों श्रद्धालु हर साल अपनी मुरादें लेकर आते हैं और शिव कृपा से उन्हें पूरा होने की आशा रहती है।
यह भी पढ़ें: Grah Gochar: शुक्र ने मारी पल्टी, 27 मार्च तक का समय किसके लिए दे रहा अशुभ संकेत, भूलकर भी न करें ये काम
नोट: इस लेख में दी गई जानकारियां सामान्य सूचनाओं पर आधारित है। बंसल न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता। अमल में लाने के पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर ले लें।