रतलाम से दिलजीत सिंह मान की रिपोर्ट
MP Ratlam Mahalaxmi Mandir: मातालक्ष्मी की पूजा का सबसे बड़ा त्योहार दीपावली की शुरुआत आज धनतेरस (Dhanteras 2024) से हो गई है। इस अवसर पर आज हम आपको मध्यप्रदेश के एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं जहां भक्तों के चढ़ाए गए पैसों से महालक्ष्मी का श्रृंगार किया गया है। ये राशि सैकड़ों, हजारों में नहीं बल्कि करोड़ों में हैं।
जी हां रतलाम के महालक्ष्मी मंदिर में देशी-विदेशी नोट और आभूषणों के साथ माता के दर्शन होंगे। यहां महालक्ष्मी मंदिर के कोने-कोने को नकदी और हीरों से जड़े जेवरों से सजाया गया है।
भारत का यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां दीपावली पर्व पर करोड़ों रुपए के साथ ही आभूषणों से सजावट की जाती है। ये रुपए और आभूषण भक्तों द्वारा दिए जाते हैं।
इस दिन प्रसाद में बट जाता है नोट
आपको बता दें इस मंदिर में देश विदेश से आकर लोग धनतेरस पर करोड़ों नोट और जेवर चढ़ाते हैं। इसके बाद दीपावली पर्व के समापन पर यानी भाईदूज के दिन ये पैसे प्रसादी के रुपए में भक्तों को उनके नोट और आभूषण लौटा दिए जाते हैं।
अभी तक 1 करोड़ 47 लाख की हो चुकी गिनती
जानकारी के अनुसार अभी तक मंदिर में 1 करोड़ 47 लाख रुपए की गिनती हो चुकी है। साथ ही आभूषणों की बात करें तो एक अनुमान के अनुसार अभी तक 3 करोड़ से ज्यादा के गहने चढ़ाए जा चकुे हैं।
मध्यप्रदेश में यहां स्थित है महालक्ष्मी मंदिर
आपको बता दें मध्यप्रदेश के जिस मंदिर की हम बात कर रहे हैं वो रतलाम के माणक चौक पर स्थित है। इस मंदिर में नोटों और आभूषणों से सजावट की शुरुआत शरद पूर्णिमा यानी 14 अक्टूबर से हो गई है। इतना ही नहीं यहां मंदिर में भक्त निशुल्क सेवाएं भी देते हैं। इसके लिए लोग नोटों की लड़िया बनाने उन्हें सजाने में मदद करते हैं।
इतने रुपए के नोटों से सजावट
आपको बता दें इस मंदिर में सजावट के लिए 1 से लेकर 500 रुपए तक के नोटों का उपयोग किया गया है। जिसमें 20, 50, 100 और 500 रुपए के नए नोटों से मंदिर को सजाया जाता है।
इन शहरों से श्रद्धालुओं ने जमा कराई राशि
जानकारी के अनुसार रतलाम के महालक्ष्मी मंदिर में सजावट के लिए रतलाम के अलावा मंदसौर, नीमच, इंदौर, उज्जैन, नागदा, खंडवा, देवास समेत राजस्थान के कोटा से भी भक्तों ने अपनी श्रद्धानुसार राशि जमा की है।
मंदिर में एक साथ लाखों रुपए चढ़ाते हैं भक्त
रतलाम के इस महालक्ष्मी में भक्तों इतनी श्रृद्धा है कि यहां कई भक्त एक साथ 5 लाख रुपए तक मंदिर में रखते हैं। इन नोटों से यहां वंदनवार यानी तोरण बनाया जाता है। महालक्ष्मी का आकर्षक श्रृंगार कर गर्भगृह को खजाने के रूप में सजाया जाता है।
कुबेर के खजाने के रूप में सजता है दरबार
चूंकि धनतेरस पर कुबरे भगवान की पूजा खास तौर पर होती है। ऐसे में इस मंदिर को कुबेर के खजाने के रूप में सजाया जाता है। इतना ही नहीं यहां भक्त अपने घरों की तिजोरी तक मंदिर में सजावट के लिए रख जाते हैं।