Advertisment

निजी स्कूल की मनमानी पर कैसे लगे रोक: फीस एक्ट लागू होने के 33 महीने बाद बना सके नियम, 6 साल बाद भी नहीं बनी जिला कमेटी

Private School ki Manmani पर रोक लगाने वाले एक्ट ही मध्य प्रदेश में कछुआ चाल से चल रहा। अब तक इस एक्ट के तहत कार्रवाई नहीं हुई।

author-image
Rahul Sharma
निजी स्कूल की मनमानी पर कैसे लगे रोक: फीस एक्ट लागू होने के 33 महीने बाद बना सके नियम, 6 साल बाद भी नहीं बनी जिला कमेटी

   हाइलाइट्स

  • दिसंबर 2017 में MP विधानसभा से पास हुआ एक्ट
  • 25 फरवरी 2018 से मध्यप्रदेश में लागू है फीस एक्ट
  • 33 महीने बाद 2 नवंबर 2020 को बने इसके नियम
Advertisment

Private School ki Manmani: मध्य प्रदेश में सीएम के आदेश के बाद निजी स्कूलों की मनमानी रोकने प्रदेशभर में प्रशासन ने कार्रवाई की।

जबलपुर में 18 स्कूलों के खिलाफ एफआईआर तक हुई, तो वहीं भोपाल में स्टेशनरी संचालकों पर कार्रवाई हुई।

यदि आपको लगता है कि यह कार्रवाई पर्याप्त है, शासन ने बहुत सजगता से अपनी जिम्मेदारी निभाई तो आप गलत है।

Advertisment

https://twitter.com/bansalnewsmpcg/status/1776069338342023240?s=48

   एमपी में 2018 से लागू है एक्ट

निजी स्कूलों की मनमानी (Private School ki Manmani) रोकने सूबे में मध्य प्रदेश निजी विद्यालय फीस अधिनियम 2017 यानी फीस एक्ट (MP Private School Fees Act 2017) 2018 से लागू है।

6 साल बाद कार्रवाई हुई है, वह भी पर्याप्त नहीं। पेरेंट्स अब इस दिखावे की कार्रवाई पर सवाल खड़ा कर रहे हैं।

   MP में दम तोड़ता एक्ट

प्राइवेट स्कूलों की मनमानी (Private School ki Manmani) रोकने मध्य प्रदेश विधानसभा में दिसंबर 2017 को फीस एक्ट (MP Private School Fees Act 2017) पास किया गया।

Advertisment

Private-School-ki-Manmani-01

25 जनवरी 2018 को इसका नोटिफिकेशन जारी हुआ और 25 फरवरी 2018 को इसे लागू किया गया।

   नियम बनाने में लग गए 33 महीने

शायद ये पहला अधिनियम होगा ​जिसके नियम लागू होने के 33 महीने बाद बने। फीस एक्ट प्रदेश में 25 फरवरी 2018 से लागू है।

Private-School-ki-Manmani-02

लेकिन इस एक्ट के नियम नहीं बनने से नवंबर 2020 तक एक कार्रवाई नहीं हुई। इस बीच निजी स्कूल की मनमानी (Private School ki Manmani) खुलेआम जारी रही।

Advertisment

   कार्रवाई करने कमेटी आज तक नहीं बनी

प्राइवेट स्कूलों की मनमानी रोकने (Private School ki Manmani) के लिए 33 महीने बाद ही सही लेकिन 2 नवंबर 2020 को फीस एक्ट (MP Private School Fees Act) के तहत नियम बन गए।

Private-School-ki-Manmani-03

नियमानुसार शिकायतों के निपटारे के लिए जिला स्तर पर कमेटी बनना थी। जिसके अध्यक्ष कलेक्टर और सचिव जिला शिक्षा अधिकारी समेत अन्य सदस्यों की नियुक्ति होना थी। ये कमेटी आज तक बनी ही नहीं है।

   जिला कमेटी नहीं बनने से ये नुकसान

पहला नुकसान तो यही है कि पेरेंट्स इस एक्ट के तहत निजी स्कूलों की मनमानी (Private School ki Manmani) के खिलाफ आवाज ही नहीं उठा सके। पेरेंट्स जिला कमेटी को शिकायत नहीं कर पा रहे।

कमेटी समीक्षा कर स्वत: कार्रवाई नहीं कर पा रही है। दूसरा नुकसान हाल ही में हुई कार्रवाईयों में देखने को मिली।

Private-School-ki-Manmani-04

फीस एक्ट के तहत कार्रवाई करने पर स्कूल या स्टेशनरी संचालक के विरुद्ध 2 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता था।

कमेटी नहीं बनी तो जिला कमेटी के अध्यक्ष होने के नाते नहीं बल्कि कलेक्टर होने के नाते धारा 144 में कार्रवाई की। जिसमें जुर्माने का कम प्रावधान है।

ये भी पढ़ें: भर्ती में पेंच: हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी EWS चयनित शिक्षकों की अटकेगी नियुक्ति, ये है वजह

   फीस एक्ट पेरेंट्स के लिए क्यों जरुरी

मध्य प्रदेश में ये इकलौता एक्ट है जो पेरेंट्स को स्कूल की मनमानी (Private School ki Manmani) रोकने का अधिकार देता है।

Private-School-ki-Manmani-prabodh-pandey

एक्ट (MP Private School Fees Act 2017) के अंतर्गत स्कूल द्वारा ली जा रही सभी राशि को लिया गया है।

स्टेशनरी, यूनिफॉर्म, ट्रांसपोर्ट, एडमिशन, ट्यूशन फीस को इसके दायरे में लाया गया और सभी के नियम बनाए गए। इनमें से किसी भी नियम का पालन नहीं करने पर जुर्माने से लेकर कार्रवाई तक के प्रावधान है।

ये भी पढ़ें: MP High Court का MPPSC से तीखा सवाल: किस आधार पर होल्ड किये 13% पद, OBC Reservation याचिका पर ये अपडेट

   ऐसे लग सकती थी निजी स्कूल की मनमानी पर लगाम

मध्य प्रदेश निजी विद्यालय फीस अधिनियम 2017 यानी फीस एक्ट (MP Private School Fees Act 2017) के तहत नियमों का पालन नहीं करने पर पेरेंट्स पहले जिला कमेटी को शिकायत कर सकते थे।

Private-School-ki-Manmani-khushboo-sharma

यहां सुनवाई नहीं होने पर राज्य स्तरीय कमेटी को शिकायत की जा सकती थी। कमेटियां खुद भी समीक्षा कर आवश्यक दिशा निर्देश जारी करती।

इस व्यवस्था से निजी स्कूलों के मनमानी (Private School ki Manmani) पर रोक लगती। लेकिन मध्य प्रदेश में इस एक्ट को लेकर हमेशा अधिकारियों का उदासीन रवैया ही रहा।

Advertisment
WhatsApp Icon चैनल से जुड़ें