हाइलाइट्स
- मध्यप्रदेश में अगस्त से शुरू होगी प्रीपेड बिजली व्यवस्था।
- पहले चरण में सरकारी दफ्तरों में लागू होगी व्यवस्था।
- आम उपभोक्ताओं को भी जल्द किया जाएगा शिफ्ट।
MP Prepaid Electricity Billing System: मध्य प्रदेश में बिजली उपभोग की दिशा में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। मध्य प्रदेश में अब प्री-पेड मीटर के जरिए बिजली की सुविधा मिलेगी। अगस्त 2025 से राज्य में प्रीपेड बिजली व्यवस्था की शुरुआत होने जा रही है। पहले चरण में यह व्यवस्था केवल सरकारी कार्यालयों में लागू होगी, जिसमें सभी विभागों को दो महीने का अग्रिम बिल जमा करना अनिवार्य होगा। इसके बाद आम उपभोक्ताओं को रिचार्ज आधारित बिजली सेवा मिलेगी। उपभोक्ताओं को बैलेंस और दैनिक खपत की जानकारी स्मार्ट मीटर के जरिए मिल सकेगी। प्रीपेड सिस्टम से 25 पैसे प्रति यूनिट की छूट भी दी जाएगी।
स्मार्ट प्रीपेड मीटर से मिलेगी बिजली
नई प्रणाली के तहत उपभोक्ताओं को स्मार्ट प्रीपेड मीटर के जरिए बिजली मिलेगी, जिसमें उपभोग के अनुसार बैलेंस कम होगा और रिचार्ज के बिना बिजली आपूर्ति नहीं होगी। उपभोक्ता अपनी बिजली खपत और बैलेंस की जानकारी आसानी से मोबाइल या पोर्टल के माध्यम से प्राप्त कर सकेंगे। बिजली वितरण कंपनियों ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं। सरकारी और आम उपभोक्ताओं के लिए प्रीपेड व्यवस्था की प्रक्रिया और नियम अलग-अलग निर्धारित किए जा रहे हैं, जिससे दोनों की आवश्यकताओं के अनुसार सिस्टम को लागू किया जा सके।
पहले सरकारी कार्यालयों में लागू होगी व्यवस्था
मध्य प्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने प्रीपेड बिजली व्यवस्था लागू करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। अगस्त 2025 से कंपनी के अंतर्गत आने वाले मालवा-निमाड़ क्षेत्र के लगभग 10,000 सरकारी कार्यालयों को प्रीपेड मीटर सिस्टम से जोड़ा जाएगा, जिनमें अकेले इंदौर के 1,550 सरकारी कार्यालय शामिल हैं। योजना के तहत दिसंबर 2025 तक इस क्षेत्र के सभी 50,000 सरकारी दफ्तरों को पूरी तरह से प्रीपेड व्यवस्था में शामिल कर लिया जाएगा।
सरकार ने तय किया है कि निर्धारित समयसीमा के भीतर प्रदेश के हर सरकारी कार्यालय में यह नई बिजली व्यवस्था अनिवार्य रूप से लागू की जाए। यह बदलाव न केवल प्रशासनिक खर्चों पर नियंत्रण रखेगा, बल्कि ऊर्जा दक्षता को भी बढ़ावा देगा।
आम उपभोक्ताओं को भी किया जाएगा शिफ्ट
इस प्रक्रिया के पहले चरण के बाद दिसंबर 2025 के बाद दूसरा चरण शुरू किया जाएगा, जिसमें आम उपभोक्ताओं को प्रीपेड बिजली सिस्टम पर शिफ्ट किया जाएगा। इस चरण में सबसे पहले वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों, औद्योगिक इकाइयों और अधिक लोड वाले कनेक्शनों को जोड़ा जाएगा। इसके बाद घरेलू उपभोक्ताओं को धीरे-धीरे इस आधुनिक प्रणाली में शामिल किया जाएगा।
भरना होगा 2 महीने का अग्रिम बिल
प्रीपेड बिजली व्यवस्था के तहत सरकारी दफ्तरों को अपनी बिजली खपत का दो महीने का बिल एडवांस में जमा करना होगा। इसके लिए संबंधित अधिकारी की अनुमति से विभाग के कोषाधिकारी (अकाउंट ऑफिसर) यह भुगतान बिजली कंपनी को करेंगे। बिजली वितरण जोन और केंद्र के अधिकारी 30 जुलाई तक कोषाधिकारी को इस बारे में जानकारी भेज देंगे। इसके बाद कोषाधिकारी मांगी गई दो महीने की राशि सीधे बिजली कंपनी को ट्रांसफर कर देंगे। इस प्रक्रिया से बिजली कंपनी को शुरुआत में दो महीने की एडवांस राशि मिल जाएगी। उसके बाद हर महीने, जितनी बिजली खपत होगी, उतना ही बिल लिया जाएगा।
पहले कराना होगा रिचार्ज
प्रीपेड बिजली व्यवस्था आम उपभोक्ताओं के लिए पूरी तरह से मोबाइल या वाई-फाई रिचार्ज जैसे सिस्टम पर आधारित होगी। उन्हें सरकारी कार्यालयों की तरह दो महीने का अग्रिम बिल जमा नहीं करना पड़ेगा। बल्कि बिजली उपयोग करने से पहले रिचार्ज कराना होगा। रिचार्ज के अनुसार उपभोक्ता बिजली का उपयोग कर सकेंगे, और हर दिन की खपत के आधार पर बैलेंस घटता रहेगा। उपभोक्ताओं को बैलेंस की जानकारी मोबाइल ऐप या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए आसानी से उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे वे अपनी खपत को नियंत्रण में रख सकेंगे।
नहीं बदले जाएंगे बिजली के मीटर
प्रीपेड सुविधा के लिए मौजूदा स्मार्ट मीटर का ही उपयोग होगा। मीटर नहीं बदले जाएंगे। इस पर 25 पैसे प्रति यूनिट की छूट भी उपभोक्ताओं को मिलेगी। सरकार की ओर से सब्सिडी भी जारी रहेगी।
प्रीपेड बिजली लागू न करने पर बिजली कंपनियों पर लगेगा जुर्माना
बिजली कंपनियों को केंद्र सरकार की ओर से स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि 2025 के अंत तक कम से कम 50% बिजली कनेक्शन प्रीपेड मोड पर शिफ्ट किए जाएं। बिजली कंपनी से जुड़े सूत्रों के अनुसार, अगर निर्धारित समयसीमा तक यह लक्ष्य पूरा नहीं होता, तो इकंपनियों पर पेनल्टी लगाई जाएगी।
सरकार का उद्देश्य है कि ऊर्जा की दक्षता बढ़े और खपत पर नियंत्रण रखा जा सके, इसलिए प्रीपेड स्मार्ट मीटर को तेजी से लागू करने का निर्णय लिया गया है। यह व्यवस्था उपभोक्ताओं को अपनी बिजली खपत पर निगरानी रखने और अनावश्यक व्यय से बचने में मदद करेगी।