MP Police vs Bhind Journalists: मध्यप्रदेश के भिंड में एसपी असीत यादव की मौजूदगी में पत्रकारों के साथ की गई बर्बरता की प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, इंडियन विमेन प्रेस कॉप्से और दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स ने कड़ी निंदा की है और मप्र के डीजीपी कैलाश मकवाना से मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है। साथ ही पत्रकारों को प्रताड़ित करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। इन जर्नलिस्ट एसोसिएशन ने कहा, हम उन पुलिस अफसरों को याद दिलाना चाहते हैं कि भ्रष्टाचार और अवैध कार्यों के खिलाफ रिपोर्ट करना कोई अपराध नहीं बल्कि पत्रकारों कर कर्तव्य है।
एसपी की मौजूदगी में पत्रकारों से मारपीट
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष गौतम लहरी और महासचिव नीरज ठाकुर ने प्रेस विज्ञप्ति में पत्रकारों के साथ हुई बर्बरता का सिलसिलेवार विवरण देते हुए बताया कि 1 मई को पत्रकार शशिकांत गोयल और अमरकांत चौहान के साथ जो कुछ हुआ, वह लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर एक सीधा हमला है। इन दोनों पत्रकारों को एसपी कार्यालय में “चाय पर चर्चा” के नाम पर बुलाया गया और फिर खुद एसपी असीत यादव की मौजूदगी में उनके साथ मारपीट की गई। शशिकांत गोयल दैनिक बेजोड़ रत्न से जुड़े हैं जबकि अमरकांत चौहान स्वराज एक्सप्रेस के भिंड ब्यूरो प्रमुख हैं।
एसपी की मौजूदगी में पत्रकारों से मारपीट
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष गौतम लहरी और महासचिव नीरज ठाकुर ने प्रेस विज्ञप्ति में पत्रकारों के साथ हुई बर्बरता का सिलसिलेवार विवरण देते हुए बताया कि 1 मई को पत्रकार शशिकांत गोयल और अमरकांत चौहान के साथ जो कुछ हुआ, वह लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर एक सीधा हमला है। इन दोनों पत्रकारों को एसपी कार्यालय में “चाय पर चर्चा” के नाम पर बुलाया गया और फिर खुद एसपी असीत यादव की मौजूदगी में उनके साथ मारपीट की गई। शशिकांत गोयल दैनिक बेजोड़ रत्न से जुड़े हैं जबकि अमरकांत चौहान स्वराज एक्सप्रेस के भिंड ब्यूरो प्रमुख हैं।
पत्रकारों को अंडरगारमेंट्स उतार कर किया प्रताड़ित
उन्होंने मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए बताया इन पत्रकारों ने चंबल नदी में अवैध रेत खनन और उसमें स्थानीय पुलिस की मिलीभगत को उजागर किया था। इससे नाराज भिंड पुलिस ने उन्हें सबक सिखाने की कोशिश की। रिपोर्ट्स ये भी बताती हैं कि एसपी के कक्ष में पहले से आधा दर्जन से अधिक पत्रकार मौजूद थे, जिन्हें उनके अंडरगारमेंट्स उतार कर प्रताड़ित किया गया और बाद में जब शशिकांत और अमरकांत पहुंचे तो उन्हें भी पुलिस अधिकारियों ने बेरहमी से पीटा।
पत्रकारों को बहलाकर फिर एसपी बंगले ले गए और समझौते का दबाव बनाया
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के पदाधिकारियों ने बताया कि 4 मई को दोनों पत्रकार ग्वालियर से दिल्ली रवाना हो रहे थे ताकि केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से मिलकर अपनी आपबीती सुना सकें, लेकिन ग्वालियर स्टेशन से ही एक अन्य पत्रकार सौरभ शर्मा के बहाने उन्हें सड़क मार्ग से दिल्ली चलने के नाम पर बहला कर एक ढाबे पर ले जाया गया, जहां पहले से पुलिसकर्मी मौजूद थे। उन्हें फिर से एसपी के बंगले ले जाकर समझौते कर दबाव डाला गया और कहा गया कि उनके खिलाफ कई शिकायतें दर्ज की गई हैं। इसलिए वे अब इस मामले को आगे न बढ़ाएं।
एसपी ऑफिस में मामला सुलझने की बात कहलवाई गई, फिर वायरल की
इतना ही नहीं अगले दिन यानी 5 मई को फिर एसपी ऑफिस बुलाकर दोनों पत्रकारों पर दबाव डालकर वीडियो बयान दर्ज कराया गया। जिसमें कहलवाया गया कि मामला सुलझ गया है। उसके बाद यह वीडियो भिंड पुलिस ने सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। ताकि पत्रकारों की साख को धूमिल किया जा सके।
प्रताड़ित पत्रकारों ने दिल्ली पहुंचकर की शिकायत
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने बताया कि लगातार हो रही प्रताड़ना के कारण शशिकांत गोयल और अमरकांत चौहान को पत्रकारिता का काम अस्थायी रूप से छोड़ना पड़ा और उन्होंने 19 मई को दिल्ली आकर प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई। हालांकि, इस बीच मध्यप्रदेश स्टेट प्रेस क्लब ने 3 मई को ही मामले का संज्ञान लेते हुए पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी।
डीजीपी से मामले की निष्पक्ष जांच की अपील
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने मध्यप्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP) कैलाश माकवाना से अपील की कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराएं और 1 मई को हुई घटना तथा उसके बाद पत्रकारों को प्रताड़ित करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने कहा, हम पुलिस को याद दिलाना चाहते हैं कि भ्रष्टाचार और अवैध कार्यों के खिलाफ रिपोर्ट करना कोई अपराध नहीं बल्कि पत्रकारों कर कर्तव्य है।
प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया से भी आग्रह
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया से आग्रह किया कि इस घटना को गंभीरता से लिया जाए और भिंड के एसपी असीत यादव व अन्य दोषी अधिकारियों के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया शुरू करें। साथ ही, भिंड एसपी कार्यालय और उनके आवास की CCTV फुटेज और अन्य इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों को संरक्षित रखने के निर्देश जारी करें।
आयोग से कार्रवाई की मांग
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) से कहा कि PCI की स्थापना प्रेस की स्वतंत्रता और पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ही की गई थी। उसे प्रेस काउंसिल एक्ट, 1978 के तहत मिले अधिकारों का पूरी सख्ती से इस्तेमाल करना चाहिए।
साथ ही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) से भी अनुरोध किया कि आयोग इस मामले में स्वतः संज्ञान ले और दोषी अधिकारियों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करे।
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