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केंद्र सरकार पुलिस अफसर को दे वीरता पुरस्कार: इंदौर हाईकोर्ट ने अवमानना याचिका पर दिया आदेश, जानें क्या है पूरा मामला

Madhya Pradesh Police Veerta Puraskar Case: हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने केंद्र सरकार को एक अवमानना याचिका पर आदेश दिया है कि जिस पुलिस अफसर ने डकैतों को मुठभेड़ में मारा, उसे 15 अगस्त (2025) पर वीरता पुरस्कार दिया जाए।

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BP Shrivastava
MP Police Veerta Puraskar

हाइलाइट्स

  • इंदौर हाईकोर्ट बेंच ने सुनाया अहम फैसला
  • 22 साल पुराने मामले में अवमानना केस में निर्णय
  • पुलिस अफसर को मिलना है वीरता पुरस्कार
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MP Police Veerta Puraskar Case: हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने केंद्र सरकार को एक अवमानना याचिका पर आदेश दिया है कि जिस पुलिस अफसर ने डकैतों को मुठभेड़ में मारा, उसे 15 अगस्त (2025) पर वीरता पुरस्कार दिया जाए। हालांकि हाई कोर्ट ने बीते दिसंबर में पुरस्कार देने के आदेश दिए थे, लेकिन सरकार ने इसका पालन नहीं किया। इस पर अवमानना दायर की गई थी।

क्या है पूरा मामला ?

22 साल पहले यानी 24 जून 2003 को ग्वालियर जिले में पदस्थ पुलिस अधिकारी विवेक सिंह चौहान ने डकैतों का एनकाउंटर किया था। राज्य सरकार ने उन्हें राष्ट्रपति पुलिस पदक (वीरता पुरस्कार) देने की अनुशंसा की थी, लेकिन मामला केंद्र सरकार के पास अटक गया। कई साल तक निराकरण नहीं होने पर उन्होंने हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में याचिका दायर की। जिस पर दिसंबर 2024 में वीरता पुरस्कार दिए जाने के आदेश हुए। लेकिन मामला अधर में लटक गया। जिसके बाद अब कोर्ट में अवमानना याचिका पर फिर केंद्र सरकार को आदेश किए गए हैं।

[caption id="attachment_811827" align="alignnone" width="861"]publive-image पुलिस अधिकारी विवेक सिंह चौहान ने साल 2003 में ग्वालियर में एक मुठभेड़ में डकैत का मार गिराया था।[/caption]

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राज्य ने 7 महीने में ही भेज दी थी केंद्र को अनुशंसा

इस केस में केंद्र सरकार की ओर से कहा गया कि राज्य सरकार द्वारा गृह मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार तय समय सीमा में पुरस्कार के लिए प्रस्ताव नहीं भेजा गया था, इसलिए लंबित है। इसके बाद राज्य सरकार द्वारा पेश जवाब में कहा गया था कि नियमानुसार घटना के एक वर्ष में दिनांक 18 दिसंबर 2003 को ही प्रदेश सरकार केंद्र सरकार को अनुशंसा भेज चुकी थी।
यहां बता दें, तत्कालीन एसआई विवेक सिंह ने 24 जून 2003 को ग्वालियर डकैतों को मुठभेड़ में मार गिराया था यानी घटना के घटना के 7 महीने में ही राज्य सरकार ने केंद्र का अनुशंसा भेज दी थी।

हाई कोर्ट ने सभी की बात सुनने के बाद याचिका को मंजूर कर लिया और भारत सरकार को कहा कि वो याचिकाकर्ता को एक महीने के अंदर वीरता पुरस्कार दिलवाए।

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 अब अवमानना याचिका पर आदेश

याचिकाकर्ता की तरफ से सीनियर वकील मृगेंद्र सिंह ने अपनी बात रखी थी। चार महीने गुजरने के बाद भी आदेश का पालन नहीं हुआ, इसलिए अवमानना की याचिका दायर की गई थी। मंगलवार को हाई कोर्ट ने 15 अगस्त को पुरस्कार देने का आदेश दिया। ध्यान देने वाली बात है कि याचिकाकर्ता चौहान इंदौर में कार्यरत रहे हैं।

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