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भोपाल। मध्य प्रदेश भारत के उन राज्यों में से है। जहां का आदिवासी समुदाय आधुनिक युग में भी अपने परमंपराओं को जीवित रखे हुए है। इन्हीं में से एक परंपरा है भगोरिया मेला (bhagoria fair)। इसे प्रदेश के कुछ आदिवासी बहुल इलाको में लगाया जाता है। खास कर निमाड़ क्षेत्र में इस परंपरा को जोर-शोर से मनाया जाता है।
क्या है भगोरिया शादी
दरअसल, आदिवासी समुदाय (Tribal community) भील और भिलाल में ये परंपरा सदियों से चली आ रही है। आदिवासी परंपरा के अनुसार भगोरिया के लिए मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें आदिवासी युवक अपने लिए योग्य युवती चुनता हैं। चुनने से पहले उसे युवती को पान का बीड़ा पेश करना होता है अगर युवती बीड़ा ले लेती है तो इसका मतलब है कि उसे भी युवक पसंद है। दोनों की रजामंदी होने के बाद उन्हें इस मेले से भाग जाना होता है और तब तक घर नहीं लौटना होता है, जब तक की दोनों के परिवार उनकी शादी के लिए राजी ना हो जाए।
ऐसे शुरू हुआ था भगोरिया मेला
मालूम हो कि मध्य प्रदेश के निमाड (Nimar) क्षेत्र में रहने वाले आदिवासी समुदाय भील और भिलाल, भगोरिया मेले को मानते हैं। इस मेले की शुरूआत दो भील राजाओं कासूमार और बालून के समय से बताई जाती है। जिसमें इन दोनों राजाओं ने मिलकर अपनी राजधानी भगोर में मेले का आयोजन करवाया था। जिसके बाद दूसरे राजा इस मेले का आयोजन लगातार करवाते आए और आज यह एक प्रथा बन गया है। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि ये सच नहीं है। दरअसल, भील समुदाय में लड़के पक्ष को शादी के लिए लड़कियों को दहेज देने पड़ते हैं। इसी से बचने के लिए कुछ लोगों ने भगोरिया मेला का आयोजन किया जिसमें लड़का-लड़की बिना पैसे के शादी कर ले।
इस बार 6 दिनों का होगा मेला
भगोरिया मेले को लेकर युवक और युवतियों में काफी उत्साह होता है। इस दौरान नौजवनों को अपने जीवनसाथी चुनने की पूरी आजादी होती है। मालूम हो कि इस मेले में युवा बस अपने जीवनसाथी ही नहीं चुनते। बल्कि यहां संगीत, नृत्य और कई तरह से मनोरंजन के साधन भी मौजूद होते हैं। खासकर जिन्हें शादी करनी होती है वो इस मेले में पारंपरिक रंगीन कपड़ों में सज-संवरकर पहुंचते हैं। भारत में इस तरह से मेले में अपने जीवनसाथी चुनने की परंपरा वाकई में अजब और गजब है। इस बार मेले का आयोजन 22 मार्च 2021 से लेकर 29 मार्च 2021 तक होने वाला है।