हाइलाइट्स
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मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में OBC आरक्षण केस
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हाईकोर्ट ने सरकार को दिया जवाब देने का आखिरी मौका
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16 जून को होगी अगली सुनवाई
MP OBC Reservation: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अन्य पिछड़ा वर्ग को उसकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण देने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सरकार को जवाब पेश करने अंतिम मोहलत दी है। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ ने कहा कि यदि जवाब नहीं आया तो 15 हजार रुपए की कॉस्ट लगाई जाएगी। मामले पर अगली सुनवाई 16 जून को होगी।
सरकार ने पेश नहीं किया जवाब
जबलपुर की एडवोकेट यूनियन फॉर डेमोक्रेसी एन्ड शोशल जस्टिस की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक प्रसाद शाह ने पक्ष रखा। 2024 में याचिका दायर कर प्रदेश में ओबीसी वर्ग को संख्या के अनुपात में आरक्षण दिए जाने की मांग की गई थी। पिछले एक साल में 11 बार सुनवाई हुई, लेकिन सरकार ने जवाब पेश नहीं किया।
जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण की मांग
हाईकोर्ट को बताया गया कि 2011 की जनगणना के अनुसार मध्य प्रदेश में एससी की 15.6 प्रतिशत, एसटी की 21.14 प्रतिशत, ओबीसी की 50.9 प्रतिशत, मुस्लिम की 3.7 प्रतिशत आबादी है। शेष 8.66 प्रतिशत अनारक्षित वर्ग की जनसंख्या है। प्रदेश में एससी को 16 फीसदी, एसटी को 20 प्रतिशत, ओबीसी को 14 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। प्रदेश में ओबीसी वर्ग 51 प्रतिशत की आबादी है, इसलिए उसी अनुपात में आरक्षण दिया जाना चाहिए।
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कोर्ट में दी गई ये दलील
हाईकोर्ट में दलील दी गई कि इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को यह निर्देश दिए थे कि ओबीसी वर्ग को निर्धारित मापदंडों के आधार पर उनकी सामाजिक, आर्थिक शैक्षणिक स्थितियों का नियमित रूप से परीक्षण करने के लिए स्थायी अयोग गठित किया जाए। आयोग तो बना लेकिन ओबीसी वर्ग के उत्थान के लिए काम नहीं हुआ।
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