MP Nursing Scam High Court Order: मध्यप्रदेश नर्सिंग घोटाले में हाईकोर्ट ने बड़ा एक्शन लिया है। नर्सिंग काउंसिल के तत्कालीन चेयरमैन डॉ. जितेन शुक्ला और वर्तमान रजिस्ट्रार अनीता चांद को तत्काल हटाने के आदेश दिए हैं। गुरुवार को लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की जनहित याचिका के साथ सभी अन्य नर्सिंग मामलों की सुनवाई मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की प्रिंसिपल बेंच में जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस अचल कुमार पालीवाल की विशेष पीठ के सामने हुई।
RKS कॉलेज को अपात्र होने के बाद दिखाया सुटेबल
एडवोकेट विशाल बघेल की ओर से हाईकोर्ट के समक्ष आवेदन पेश करके बताया गया था कि 2021-22 भोपाल के आरकेएस कॉलेज को अपात्र होने के बावजूद भी सुटेबल रिपोर्ट दर्शाकर मान्यता देने में सहायता करने वाली तत्कालीन इंस्पेक्टर अनीता चांद को उनके द्वारा की गई गड़बड़ी पर कार्रवाई करने की बजाय पुरुस्कृत करते हुए नर्सिंग काउंसिल की रजिस्ट्रार बना दिया गया है और शिकायत करने के बाद भी 2 महीने में कोई एक्शन नहीं लिया गया है।
इस स्थिति में जब हाईकोर्ट में विचाराधीन है और जिनकी कार्यकाल की गड़बड़ियां हैं, उन्हें ही यदि महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाएंगी तो निष्पक्ष कार्रवाई नहीं हो सकेगी, साथ ही नर्सिंग घोटाले से जुड़े साक्ष्य भी प्रभावित किए जा सकते हैं।
हाईकोर्ट का सरकार को समय देने से इनकार
गुरुवार को हाईकोर्ट में हुई सुनवाई में सरकार ने अपना जवाब देते हुए कहा रजिस्ट्रार के मामले में याचिकाकर्ता की शिकायत की जांच के लिए उन्होंने जांच कमेटी बनाई है, लेकिन हाईकोर्ट ने सरकार को अब कोई भी समय देने से इनकार कर दिया है। हाईकोर्ट ने टिप्पणी की है कि जब मामला हाईकोर्ट की मॉनिटरिंग में और सीबीआई जांच में है तो इन परिस्थितियों में इस गड़बड़ी में लिप्त अधिकारियों को कैसे जिम्मेदारी दी जा सकती है और उनसे किस प्रकार की सही कार्रवाई की अपेक्षा की जा सकती है।
सबूत प्रभावित करने की आशंका
इस बात की भी प्रबल संभावना है कि ये अधिकारीगण जिनके ऊपर गड़बड़ी में लिप्त होने का आरोप वो पुनः प्रमुख पदों पर बैठकर उनके विरुद्ध उपलब्ध साक्ष्यों को प्रभावित कर सकते हैं। हाईकोर्ट ने प्रिंसिपल सेक्रेटरी, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग को आदेश दिया है कि दोनों अधिकारियों को तत्काल हटाकर कोर्ट को बताएं। हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव को भी इस मामले का संज्ञान लेकर कारवाई सुनिश्चित करने के आदेश दिए हैं।
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CBI की दूसरी जांच में डिफिशिएंट पाए गए थे 129 कॉलेज
हाईकोर्ट ने अपने पहले आदेश में ये व्यवस्था दी थी कि CBI की पहली जांच में सुटेबल पाई गई जांच में दोबारा 129 कॉलेज जो डेफिशिएंट पाए गए हैं, वो हाईकोर्ट द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति के सामने ज्यादा काम होने के कारण हाइकोर्ट ने नर्सिंग काउंसिल पर भरोसा जताते हुए इन कॉलेजों की इस स्क्रूटनी की जिम्मेदारी नर्सिंग काउंसिल को सौंपी थी।
अगर ये अपनी कमियां पूर्ति करते हैं तो उसकी पुष्टि करने के बाद नर्सिंग काउंसिल ने मान्यता की प्रक्रिया में शामिल कर सकती है। ऐसा आदेश भी हाइकोर्ट ने दिया था, लेकिन तत्कालीन जिम्मेदारों को कार्रवाई करने की जगह पर नर्सिंग काउंसलिंग में पुनः पदस्थापित करने की बात सामने आने के बाद हाईकोर्ट ने अपने पूर्व आदेश में संशोधन कर लिया है और पुनः सभी डेफिशिएंट कॉलेजों की जांच हाईकोर्ट की बनाई कमेटी को सौंप दी है।
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