Advertisment

MP नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़ा: एक ही बिल्डिंग में चल रहे थे नर्सिंग और बीएड के कॉलेज, दोनों फर्जी, HC में याचिका खारिज

MP Nursing College Scam: मध्य प्रदेश के गुना में स्थित ओंकार नर्सिंग कॉलेज ने जबलपुर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने दावा किया कि सीबीआई जांच में उनके कॉलेज को पहले सूटेबल माना गया था।

author-image
Shashank Kumar
MP Nursing College Scam

MP Nursing College Scam: मध्य प्रदेश के गुना में स्थित ओंकार नर्सिंग कॉलेज ने जबलपुर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने दावा किया कि सीबीआई जांच में उनके कॉलेज को पहले सूटेबल माना गया था, लेकिन बाद में सीबीआई को यह जानकारी मिली कि एक ही भवन में नर्सिंग और बीएड कॉलेज चलाए जा रहे हैं। इसके बाद सीबीआई ने कॉलेज को अनसूटेबल श्रेणी में रख दिया।

Advertisment

एक भवन में चलाए जा सकते हैं दो कॉलेज

कॉलेज संचालक ने अदालत में दावा किया कि उनके पास ग्राउंड प्लस तीन मंजिल की इमारत है, जिसमें नर्सिंग कॉलेज ग्राउंड प्लस दो मंजिल पर और बीएड कॉलेज शीर्ष मंजिल पर चलाया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि आईएनसी नियमों के अनुसार, एक भवन में अलग फ्लोर पर दो कॉलेज चलाए जा सकते हैं।

टॉप फ्लोर पर बीएड कॉलेज और ग्राउंड प्लस दो फ्लोर पर नर्सिंग कॉलेज

हाईकोर्ट ने महाधिवक्ता प्रशांत सिंह को निर्देश दिए कि वे जिला मजिस्ट्रेट से मौके का निरीक्षण करने के लिए कहें। निरीक्षण के बाद, हाईकोर्ट ने आदेश में लिखा कि टॉप फ्लोर पर बीएड कॉलेज और ग्राउंड प्लस दो फ्लोर पर नर्सिंग कॉलेज चलाया जा रहा है।

हालांकि, अदालत ने यह भी कहा कि नियमानुसार नर्सिंग कॉलेज के लिए अकादमिक भवन के रूप में 19 हज़ार वर्गफीट न्यूनतम बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है, जबकि बीएड कॉलेज के लिए आवश्यक तीस हज़ार वर्गफीट खुली भूमि और बीस हजार वर्गफीट निर्मित क्षेत्र न्यूनतम बुनियादी ढांचा होना चाहिए।

Advertisment

दो पाठ्यक्रम चलाने हेतु पृथक क्षेत्रफल नहीं है उपलब्ध

अदालत ने यह भी कहा कि सीबीआई के पंचनामा और जिला मजिस्ट्रेट द्वारा भेजी वीडियो-रिकॉर्डिंग से स्पष्ट है कि कॉलेज द्वारा चलाए जा रहे दोनों पाठ्यक्रमों के लिए कुल क्षेत्रफल 24912 वर्गफीट है और 3956 वर्गफीट क्षेत्र निर्माणाधीन है।

बीएड और नर्सिंग कोर्स की आवश्यकता के अनुसार कुल निर्मित क्षेत्रफल उनतालीस हजार वर्गफीट होना चाहिए। इससे प्रमाणित होता है कि संस्था के पास दोनों पाठ्यक्रम चलाने हेतु पृथक क्षेत्रफल उपलब्ध नहीं है। अंत में, हाईकोर्ट ने कहा कि सीबीआई द्वारा संस्था को अनसूटेबल श्रेणी में रखने का निर्णय दखल के योग्य नहीं है, और इसी आधार पर याचिका खारिज कर दी गई।

ये भी पढ़ें: MP-ESB में टॉपर को 100 से ज्यादा नंबर: वन और जेल रिक्रूटमेंट टेस्ट का फाइनल रिजल्ट घोषित

Advertisment

डेफिसिएंट 129 कॉलेज पुन: हाई कोर्ट की गठित कमेटी के हवाले

वहीं एक दूसरे मामले में सुनवाई करते हुए मप्र हाई कोर्ट ने कहा कि सीबीआई की पूर्व में सूटेबल पाई गई जांच में दोबारा 129 कॉलेज जो डेफिसिएंट पाए गए हैं, वे अपनी कमियों को पूरा कर नर्सिंग काउंसिल मान्यता की प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं।

हाई कोर्ट द्वारा गठित हाई लेवल कमेटी के सामने अधिक कार्य होने के कारण हाई कोर्ट ने नर्सिंग काउंसिल (Nursing College Scam) पर भरोसा जताते हुए इन कॉलेजों की स्क्रूटनी की जिम्मेदारी नर्सिंग काउंसिल को सौंपी थी। परंतु तत्कालीन जिम्मेदारों पर कार्रवाई करने के स्थान पर नर्सिंग काउंसिल में दुबारा पदस्थापित करने के तथ्य सामने आने के बाद हाई कोर्ट ने अपने पूर्व आदेश में संशोधन कर लिया है, और पुनः सभी डेफिशिएंट कॉलेजों की जांच हाईकोर्ट द्वारा गठित कमेटी को सौंप दी है।

ये भी पढ़ें:  MP Weather Update: मध्यप्रदेश के 4 जिलों में पड़ेगा पाला, कोल्ड वेव का अलर्ट, ज्यादातर जिलों में कड़ाके की ठंड

Advertisment
highcourt of mp Nursing College Scam nursing college B.Ed College MP Nursing College
Advertisment
WhatsApp Icon चैनल से जुड़ें