ग्वालियर। MP News: अयोध्या में श्रीराम लला प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन 22 जनवरी को किया जाएगा। इसको लेकर एमपी में घरों, शहरों, प्रतिष्ठानों और मंदिरों में साज-सज्जा शुरू हो गई है। पूरा एमपी राममय हो गया है।
इतना ही नहीं एमपी में श्रीराम ने अपने वनवास के दौरान काफी वक्त चित्रकूट में बिताया था, ओरछा में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर है।
इसी तरह और कई इतिहास एमपी (MP News) में प्रभु श्रीराम से जुड़े हुए हैं। इसी इतिहास के पन्नों में दर्ज है एमपी के ग्वालियर का एक परिवार जिसने करीब 310 साल पुरानी रामायण आज भी सहेजकर रखी हैं।
बता दें कि एमपी के ग्वालियर में एक मुस्लिम परिवार के पास फारसी में लिखी हुई 310 साल पुरानी रामायण है, जिसे उस परिवार ने आज भी सहेजकर रखी है।
बता दें एक मुसलमान परिवार में हिंदुओं की सबसे बड़ी आस्था वाली किताब रामायण होना अपने आप में आश्चर्य करती है, लेकिन यह सत्य है। यह ही असली गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल है।
छह पीढ़ियों से सहेजकर रखी रामायण
बता दें कि एमपी के ग्वालियर (MP News) में एक मुस्लिम परिवार के पास 310 साल पुरानी फारसी रामायण के अलावा भी छह पीढ़ियों से 200 साल पुरानी अनुवादित मराठी रामायण भी उपलब्ध है।
बताया जाता है कि 78 साल पुरानी लाहौर से प्रकाशित रामायण और फादर कामिल बुल्के की रामकथा भी सेंट्रल लाइब्रेरी में मौजूद है। 1713 में फारसी में अनुवादित रामायण मौजूद हैं।
वहीं अरबी में लिखी रामायण की स्याही की चमक आज भी बरकरार है। 1901 की रामायण तुलसी मानस प्रतिष्ठान में रखी है।
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कई भाषाओं में लिखी रामचरितमानस मौजूद
सिद्धपीठ श्री रामजानकी बड़ी गंगादास की बड़ी शाला के महंत से मिली जानकारी के मुताबिक तुलसी मानस प्रतिष्ठान मानस भवन फूलबाग के संग्रहालय और वाचनालय में 200-250 साल पुरानी रामचरितमानस उपलब्ध है।
बता दें ये सभी रामचरितमानस देश और विदेश की कई भाषाओं में लिखी गई हैं।
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पीएम ने ईरान के राष्ट्रपति को रामायण की थी भेंट
अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले श्रीराम लला प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर उत्साह है।
इसी उत्साह के साथ एमपी में भी रामभक्त अयोध्या राम मंदिर से जुड़ी हुई वस्तु या इतिहास या फिर उस घटना से जुड़े हुए लम्हों को याद कर रहे हैं।
इन्हीं लम्हों के बीच ग्वालियर के मुसलमान परिवार ने रामायण सहेजकर रखी है। अब यह चर्चा का विषय बना हुआ है। बता दें कि इस रामायण की मूल प्रति रामपुर की रजा लाइब्रेरी में है।
फारसी में लिखी इस रामायण (Ramayan) की प्रति को साल 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति डॉ. हसन रोहानी को भेंट की थी।
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पुरानी अरबी में अनुवादित रामायण
जानकारी मिली है कि अकबरकाल की 468 साल पुरानी अरबी में अनुवादित हस्तलिखित रामायण की कॉपी पड़ाव स्थित गंगादास की बड़ी शाला में रखी हुई है। बता दें कि इस स्थान पर महारानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों से लड़ते-लड़ते शहीद हो गईं थीं। वहीं मानस भवन फूलबाग में भी वर्षों पुरानी कई भाषाओं में अनुवादित रामायण सहेजकर रखी गईं हैं।
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