MP Bhopal News: पढ़े लिखें युवाओं में बेरोजगारी की समस्या इस कदर बढ़ती जा रही है कि अब इसके असर से अपराध का ग्राफ बढ़ रहा है। खासकर ये युवा अपराध में संलिप्त होते जा रहे हैं।
आजकल यूट्यूब और इंटरनेट (Internet) का बढ़ता उपयोग इसमें और अधिक इजाफा कर रहा है। जी हां हाल में भोपाल (Bhopal Crime News) में एक मामला सामने आया है जहां छोला निवासी दो युवकों ने इंटरनेट का उपयोग कर नकली नोट बनाना सीखा। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इन दो आरोपियों में से एक बीटेक और एक एमबीए कर चूका है।
बीते 6 महीने से बना रहे थे नकली
पुलिस द्वारा पकड़े गए मुख्य आरोपी विकास साहू के बारे में पुलिस ने बताया कि वह बीते 6 महीने से नकली नोट बनाने का काम कर रहा था। अभी तक बाजार में विकास और उसका दोस्त 50 हजार रुपए खपा चुके हैं। ये दोनों ही जल्दी पैसा कमाने के चक्कर में इस गलत काम में पड़ गए हैं।
ऐसे पकड़े गए आरोपी
दरअसल पुलिस को 6 दिन पहले सूचना मिली थी कि छोला रोड पर दो लड़के ऐसे हैं जो सब्जी के ठेले पर 500 रुपए नगद लेने के बदले ज्यादा पैसा दे रहे हैं। यहां मुखबिर के आधार पर जब युवकों को पकड़ा गया तो उनके पास से सौ—सौ रुपए के 200 जाली नोट यानी 2000 रुपए के नकली नोट पकड़ाए गए हैं।
साइंस ग्रेजुऐट आरोपी
आपको बता दें बेरोजगारी के इस युग में पढ़े लिखे युवा अपराध में संलग्न हो रहे हैं। ये क्राइम भी पढ़े-लिखे युवकों द्वारा किया गया है। जहां एक आरोपी बीटेक पास है तो दूसरी एमबीए। इन दोनों के पास से नकली नोट बनाने की मशीन के साथ-साथ 100-100 रुपए के कुल 45 जाली नोट जब्त किए गए हैं।
आरोप कबूला, बताया इंटरनेट से सीखा
दोनो आरोपियों से जब पुलिस ने पूछताछ की तो आरोपियों ने बताया कि उन्होंने इंटरनेट से नकली नोट बनाना सीखा है। आरोपी विकास साहू ने बताया कि 2 साल पहले उसके पिता का निधन हो गया था। परिवार में मां और तीन बहनें हैं। दो बहनों की शादी हो चुकी है। पूरे परिवार की जिम्मेदारी अकेले उसी पर थी, साथ ही कोई ढंग की नौकरी न मिल पाने की वजह से उसे ये कदम उठाना पड़ा है।
पहले जुआ खेलने की लत, फिर नकली नोटों बनाने का आइडिया
विकास की मां के अनुसार कुछ दिन पहले उन्होंने विकास को परिवार का गुजारा करने के लिए टैक्सी बनाई थी। जिसे वो इंदौर और भोपाल के बीच चलाता था। इस बीच उसे जुआ खेलने की लत लग गई। कर्ज अधिक होने पर उसने कार को गिरवी रख दिया था। फिर कार को उठाने के लिए पैसों की कमी हुई तो इंटरनेट पर सीखकर नकली नोट बनाने लगे। इसके बाद पकड़े गए।
दोस्त के साथ शेयर किया आइडिया
आरोपी विकास के घर से मात्र 200 मीटर दूर दूसरे आरोपी विशाल की मोबाइल रिपेयरिंग की दुकान है। विकास विशाल की दुकान पर जाता रहता था। विशाल चूंकि हार्डवेयर का काम करता था इसलिए वह भी अक्सर यू ट्यूब पर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर सुधारने की तरीके देखता रहता था। जब विकास ने नकली नोट बनाने का आइडिया विशाल को बताया तो दोनों ने एक साथ मिलकर जाली नोट बनाने की टेक्निक यूट्यूब पर देखना शुरू कर दी।
नोट बनाने के लिए हाईटेक पेपर का उपयोग
दोनों ने ही नोट बनाने के लिए हाई क्वालिटी के 80 जीएसएम पेपर का उपयोग किया। जो हूबहू असली करेंसी के पेपर की तरह होता है। इसके लिए दोनों ने 100 रुपए के एक नोट को स्कैन किया, उसके बाद हूबहू उसका प्रिंट निकालना शुरू किया। नोट पर सिक्योरिटी थ्रेड (तार) बनाने के लिए ग्लिटर पेन का उपयोग भी किया।