MP New Promotion Rules 2025 Controversy: मध्यप्रदेश के मंत्रालय वल्लभ भवन में नए पदोन्नति नियमों के खिलाफ सामान्य वर्ग, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक वर्ग के कर्मचारियों ने विरोध जताया। बुधवार, 25 जून को कर्मचारियों ने स्लोगन लिखी टोपी पहनकर काम किया। उनका आरोप है कि 2025 के नए नियम पुराने 2002 के असंवैधानिक नियमों की पुनरावृत्ति हैं, जिन्हें हाईकोर्ट ने पहले ही निरस्त कर दिया था।

26 जून को मंत्रालय के बाहर धरना- प्रदर्शन
कर्मचारियों ने घोषणा की है कि वे 26 जून (गुरुवार) को दोपहर 01:30 बजे वल्लभ भवन क्रमांक 01 मेन गेट पर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करेंगे। वे कह रहे हैं कि नए नियमों से सामान्य वर्ग, ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्ग के कर्मचारियों के लिए उच्च पदों पर पदोन्नति के अवसर लगभग समाप्त हो गए हैं।

प्रमोशन नियम 2002 को हाईकोर्ट ने किया था निरस्त
मंत्रालय सेवा अधिकारी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष इंजी सुधीर नायक ने बताया कि पदोन्नति नियम 2002 को असंवैधानिक बताते हुए हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया गया था। साथ उक्त नियमों के तहत 2002 के बाद पदोन्नति पाए कर्मचारियों को रिवर्ट करने के निर्देश भी दिए गए थे।
अब 2025 में बनाए गए नये नियम
इसके बाद में सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए थे। अब 2025 में जो नये नियम बनाए गए हैं। उनमें वही सब पुराने प्रावधान शामिल किए गए हैं, जो कि खारिज हो चुके हैं। यथास्थिति बनाए रखने का मतलब होता है कि न तो प्रमोशन होगा और न रिवर्सन (Reversion)।

जिनके प्रमोशन अवैधानिक, उन्हें फिर पदोन्नति मिलेगी
उन्होंने बताया कि फिर भी आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों को एक और प्रमोशन दिया जा रहा है, जबकि उनके पहले के प्रमोशन ही अवैधानिक थे। आरक्षित वर्ग के लोग अपना कोटा तो लेंगे ही अनारक्षित पदों पर भी आएंगे। उन्हें योग्यता में एक कृपांक दिया जाएगा। आरक्षित वर्ग का व्यक्ति दोनों प्रतीक्षा सूचियों में रहेगा। आरक्षित की प्रतीक्षा सूची में भी और अनारक्षित की प्रतीक्षा सूची में भी।
नये नियम एकतरफा
उन्होंने बताया कि आरक्षित वर्ग का व्यक्ति अपने सम्पूर्ण सेवाकाल में कितनी भी बार आरक्षित से अनारक्षित, फिर अनारक्षित से आरक्षित, फिर आरक्षित से अनारक्षित वर्ग में जा सकता है। इस तरह के एकतरफा नियमों के कारण सामान्य वर्ग पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक वर्ग के कर्मचारियों के उच्च पदों पर जाने (Promotion) के सारे अवसर समाप्त हो चुके हैं।
उच्च पदों पर केवल आरक्षित वर्ग के लोग ही पहुंच पा रहे हैं। अनारक्षित वर्ग का व्यक्ति सम्पूर्ण सेवाकाल में मुश्किल से एक पदोन्नति ले पाता है।

अवर सचिव के 65 पदों में से 58 पर आरक्षित वर्ग के लोग
नायक ने बताया कि मंत्रालय में यह स्थिति बन गई है कि अवर सचिव के 65 पदों में से 58 पर आरक्षित वर्ग के लोग हैं। हम आरक्षण विरोधी नहीं हैं। हम चाहते हैं कि आबादी के अनुपात में भर्ती में आरक्षण मिले, पदोन्नति में भी आरक्षण मिले, लेकिन आरक्षित वर्ग वाले अनारक्षित पदों पर न आएं।
29 जून को प्रांतीय सम्मेलन
नायक ने कहा कि कुछ पद तो अनारक्षित वर्ग के लिए छोड़े जाएं। हम सिर्फ इतना चाहते हैं। इन सब अति पक्षपातपूर्ण नियमों से क्षुब्ध और निराश होकर मंत्रालयीन अधिकारी कर्मचारी गुरुवार, 26 जून को 01:30 बजे वल्लभ भवन क्रमांक 01 मेन गेट पर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करेंगे। इसी क्रम में 29 जून को सामान्य वर्ग, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक वर्ग कर्मचारियों अधिकारियों का प्रांतीय सम्मेलन होगा और फिर उसके बाद आंदोलन के अगले चरण घोषित किए जाएंगे।
बड़ा सवाल- आरक्षित वर्ग के लोग कोटे से अधिक तो क्या होगा ?
किसी संवर्ग में आरक्षित वर्ग के लोग उनके लिए निर्धारित कोटे से अधिक संख्या में विद्यमान हैं तो उनके लिए क्या किया जाएगा? इस संबंध में नियम मौन हैं। मंत्रालय सहित अनेक कार्यालयों में यही स्थिति है। किसी संवर्ग में आरक्षित वर्ग के लोग यदि उनके कोटे से अधिक हैं तो उन्हें कम करके निर्धारित स्तर तक लाने का प्रावधान होना चाहिए था। कुल मिलाकर शब्द बदले गए हैं। भावना वही है।
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कैरी फॉरवर्ड-बैक लॉग शब्द से बचे, लेकिन व्यवस्था बरकरार
रोस्टर, बैक लॉग, कैरी फॉरवर्ड जैसे शब्द बहुत बदनाम हो गए थे। अनारक्षित वर्ग का सबसे ज्यादा कबाड़ा रोस्टर, बैक लॉग, कैरी फॉरवर्ड ने ही किया है। सामान्य वर्ग, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक वर्ग के कर्मचारी इन शब्दों से चिढ़ने लगे थे। इसलिए इन शब्दों से बचने की कोशिश पूरे नियमों में साफ दिखती है। रोस्टर की जगह प्रतिशत कर दिया गया है। कैरी फॉरवर्ड और बैक लॉग शब्द कहीं नहीं हैं, पर व्यवस्था बरकरार है।
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