हाईलाइट्स
- ग्वालियर में मनरेगा योजना के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा
- भितरवार की ग्राम पंचायत बड़ैरा भारस का मामला
- आलीशान घर और एसयूवी के मालिक बने मजदूर
Gwalior MNREGA Fraud: मध्य प्रदेश के ग्वालियर से मनरेगा योजना (MGNREGS YOJANA) के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। यहां लग्जरी एसयूवी कार और आलीशान मकान वाले पूर्व सरपंच और उनका परिवार के लोग योजना का लाभ ले रहे हैं। रिकार्ड में उन्हें मजदूर बताया गया है। ये पूरा खेल फर्जी जॉब कार्ड बनाकर किया गया। जानें पूरा मामला
योजना में घोटाला, सरकारी रिकॉर्ड में मजदूर
दरअसल, पूरा मामला जनपद पंचायत भितरवार की ग्राम पंचायत बड़ैरा भारस से सामने आया है। यहां मनरेगा योजना के तहत फर्जी जॉब कार्ड बनाकर लाखों रुपए का फर्जीवाड़ा किया गया। मामसे में पूर्व सरपंच सरबदी बाई पर गंभीर आरोप लगे हैं। आरोप है कि पूर्व सरपंच सरबदी बाई और उनके परिवार के आठ सदस्यों ने सरकारी रिकॉर्ड में मजदूर के रूप में पंजीकरण कराया था, जबकि उनकी असलियत में आलीशान घर और एसयूवी जैसी संपत्ति थी। (Gwalior MNREGA Scam)
आलीशान घर और एसयूवी के मालिक बने मजदूर
सरकारी पोर्टल से मिली जानकारी के अनुसार, सरबदी बाई ने 17 जून से 7 जुलाई 2024 तक सड़क निर्माण में मजदूरी की। इसी दौरान उनकी बहू अलका यादव और बेटा धर्मेंद्र यादव भी उसी स्थान पर मजदूरी करते दिखाए गए हैं। इन तीनों के अलावा परिवार के अन्य सदस्यों के नाम से भी जॉब कार्ड बने हैं। (Gwalior MNREGA Yojana Fraud)
पूर्व सरपंच के परिवार के बने जॉब कार्ड
सामने आया है कि पूर्व सरपंच के पति पंजाब सिंह यादव समेत परिवार के टोटल 8 लोगों के नाम से जॉब कार्ड बनाए गए हैं। इन लोगों भुगतान भी मनरेगा के तहत किया गया है। अब इस मामले में गंभीर सवाल उठ है कि इन लोगों जॉब कार्ड किसने और किन नियमों के तहत बनाए हैं। नियमों के अनुसार, जिनके पास चार पहिया वाहन होता है, उन्हें मनरेगा के तहत मजदूरी नहीं दी जा सकती। इसके बावजूद इनके परिवार को मजदूरी के रिकॉर्ड में शामिल किया गया।
सप्लाई फर्म और लाखों का भुगतान
जांच में सामने आया है कि ग्राम पंचायत में सप्लाई का अधिकांश काम मै. बजरंग बली कंस्ट्रक्शन एंड सप्लाय के द्वारा किया गया। 9 नवंबर 2024 को इस फर्म को सरिया सप्लाई के लिए 92.60 रुपए प्रति किलो की दर से भुगतान हुआ। अन्य काम के लिए भी इसी फर्म को लाखों का भुगतान किया गया। जब फर्म के मालिकों की जानकारी निकाली गई तो पता चला कि मनरेगा मजदूर आकाश यादव और केदार सिंह इसके संचालक हैं। इस फर्म ने एक भी रुपया जीएसटी में नहीं भरा और इसका खाता निलंबित है।
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सीईओ को नहीं मामले में जानकारी
जनपद पंचायत भितरवार के सीईओ एलएन पिप्पल ने कहा कि पूर्व सरपंच सरबदी बाई और उनके परिवार को योजना के तहत मजदूरी दिए की जानकारी उन्हें नहीं है। मजदूरी से जुड़े काम ग्राम रोजगार सहायक सचिव के होते हैं।
बिल्डिंग मटेरियल का काम
इस पूरे मामले में पूर्व सरपंच के पति पंजाब सिंह का कहना है कि हम सभी लोग मजदूरी करते हैं। अभी हम गौशाला में काम कर रहे हैं। परिवार का कोई सदस्य सरकारी सेवा में नहीं है। पहले 240 अब 262 रुपए दिहाड़ी मिलती है। बेटा बिल्डिंग मटेरियल के काम में है।
इन सदस्यों के नाम पर बने जॉब कार्ड…..
पंजाब सिंह यादव (पति), सरबदी बाई (पूर्व सरपंच), आकाश यादव (पुत्र), बीरबल यादव (भाई), श्रीपदी बाई (पत्नी बीरबल), ज्योति (बीरबल की बेटी जो शादीशुदा है), धर्मेंद्र यादव (बीरबल का पुत्र), अलका यादव (पत्नी धर्मेंद्र)
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