MP Medical Exam Update 2025: मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (MPMSU) जबलपुर ने मेडिकल और डेंटल छात्रों के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। अब से जो छात्र-छात्राएं मातृभाषा (हिंदी) में परीक्षा देंगे, उन्हें परीक्षा शुल्क में 50% की छूट दी जाएगी। यह निर्णय इसी शैक्षणिक सत्र की परीक्षाओं से लागू होगा और इसका लाभ 25,000 से ज्यादा विद्यार्थियों को मिलेगा।
इसके साथ ही, जो छात्र-छात्राएं हिंदी माध्यम से परीक्षा देकर मेरिट में आएंगे, उन्हें नकद इनाम और विशेष उपाधियां भी मिलेंगी। यह देश में पहली बार हो रहा है जब किसी मेडिकल विवि ने मातृभाषा को बढ़ावा देने के लिए इतने व्यापक स्तर पर प्रोत्साहन योजना लागू की है।
छात्रों को मिलेंगी ये ये सुविधाएं
जो छात्र-छात्राएं हिंदी में परीक्षा देंगे उन्हें परीक्षा शुल्क में 50% की छूट दी जाएगी। वहीं ग्रेजुएट छात्रों के लिए सामान्यत 6000 का शुल्क अब 3000 में, वहीं पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों के लिए 15000 का शुल्क अब 7500 में रहेगा। बतादें कि, इसका लाभ उन्हें मिलेगा जो परीक्षा हिंदी में देंगे।
मेरिट में आने पर नकद पुरस्कार और उपाधि
प्रथम स्थान: 2 लाख + “मातृभाषा रत्न”
द्वितीय स्थान: 1.5 लाख + “मातृभाषा विभूषण”
तृतीय स्थान: 1 लाख + “मातृभाषा श्री”
विश्वविद्यालय स्तर पर अन्य पुरस्कार
प्रथम: 1 लाख
द्वितीय: 75,000
तृतीय: 50,000
चतुर्थ: 25,000
यह व्यवस्था कहां लागू होगी?
यह अधिसूचना मध्य प्रदेश के 28 मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में लागू होगी। जिसमें 20 मेडिकल कॉलेज और 8 डेंटल कॉलेज है। परीक्षा फॉर्म भरने की प्रक्रिया एक माह बाद शुरू होगी।
परीक्षा फॉर्म में मिलेगा हिंदी का विकल्प
अब छात्र परीक्षा फॉर्म भरते समय स्पष्ट रूप से बता सकेंगे कि वे परीक्षा हिंदी में देना चाहते हैं। इससे पहले यह जानकारी केवल उत्तर पुस्तिका देखकर ही पता चलती थी, जिससे छात्रों की सही संख्या का आकलन नहीं हो पाता था।
सुपर स्पेशियलिटी परीक्षाएं भी शामिल
यदि कोई छात्र सुपर स्पेशियलिटी परीक्षा भी मातृभाषा में देता है, तो उसे भी यह लाभ और पुरस्कार मिलेगा।
राजभाषा समिति ने की सराहना
हाल ही में राज्यसभा की राजभाषा समिति के 11 सांसदों ने विवि की इस पहल की सराहना की और कहा कि यह पूरे देश के लिए मॉडल बनेगा।
‘मिशन मातृभाषा’ की ओर बढ़ता कदम
कुलपति प्रो. अशोक खंडेलवाल स्वयं कॉलेजों में जाकर टीचर्स और छात्रों को हिंदी में परीक्षा की ट्रेनिंग दे रहे हैं। कॉलेजों से उन छात्रों की लिस्ट मांगी जा रही है जो स्वेच्छा से हिंदी माध्यम में परीक्षा देना चाहते हैं।
यह क्यों खास है?
इस फैसले के साथ मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है जिसने मेडिकल-डेंटल परीक्षाओं में मातृभाषा के प्रयोग को न केवल बढ़ावा दिया है बल्कि प्रत्यक्ष लाभ और पुरस्कार भी तय किए हैं। यह कदम मेडिकल शिक्षा में भाषाई समावेशन और विद्यार्थियों के आत्मविश्वास को बढ़ाएगा।
डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल ने ये कहा
डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार ने उच्च शिक्षा में भाषाई बंधन से प्रतिभा को बाधित नहीं होने देने के लिए मातृभाषा में उच्च शिक्षा के कई कोर्स के संचालन की व्यवस्था की है। प्रदेश में मातृभाषा हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई सफलतापूर्वक संचालित हो रही है। मध्यप्रदेश सरकार ने चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए हिंदी माध्यम से अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों के लिए विशेष प्रोत्साहन की व्यवस्था की है। यह योजना इसी दिशा में एक अतिरिक्त प्रेरणा प्रदान करने का कार्य करेगी।
विद्यार्थियों को मिलेगा नया मंच
डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल ने कहा कि यह योजना केवल परीक्षा उत्तीर्ण करने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह उन विद्यार्थियों के लिए सम्मान और स्वाभिमान की पहचान है जो हिंदी माध्यम में दक्ष हैं और चिकित्सा क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करना चाहते हैं। इस पहल से प्रदेश के ग्रामीण, अर्ध-शहरी और हिंदी भाषी क्षेत्रों के विद्यार्थियों को अपनी क्षमता सिद्ध करने का नया मंच प्राप्त होगा।
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