हाइलाइट्स
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रिजर्व रतलाम सीट पर कांटे की टक्कर
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भील-भिलाला 65:35 के अनुपात में हैं
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ग्रामीण क्षेत्रों राम मंदिर फैक्टर कमजोर
Loksabha Seat Ratlam: एमपी में कुल 29 लोकसभा सीट हैं। इनमें से 21 पर तीन चरणों में चुनाव संपन्न हो चुके हैं। चौथे चरण में एमपी की 8 सीटों पर 13 मई को वोटिंग होगी।
इन 8 लोकसभा साटों में सबसे ज्यादा कड़ी टक्कर रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट पर मानी जा रही है। जहां सियासी समीकरण में कोई किसी का भी पक्ष भारी नहीं बता सकता।
यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट है।
मध्य प्रदेश की रतलाम लोकसभा सीट (Loksabha Seat Ratlam) पर बीजेपी की अनीता चौहान और कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया के बीच सीधा मुकाबला हो रहा है।
इस सीट पर कुल 12 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इस सीट पर 2019 के चुनाव में बीजेपी के गुमान सिंह डामोर ने कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया को 90 हजार वोटों से शिकस्त दी थी, लेकिन इस बार कांग्रेस कड़ी चुनौती दे रही है।
इस बार कांतिलाल भूरिया और उनके बेटे बिक्रांत भूरिया इस सीट पर जमकर मेहनत कर रहे हैं।
इस सीट पर नोटा का भी असर
रतलाम लोकसभा सीट (Loksabha Seat Ratlam) में 8 विधानसभा सीटें शामिल हैं। इसमें से अलीराजपुर, पेटलावद, रतलाम ग्रामीण, रतलाम शहर और सैलाना सीट पर बीजेपी, जबकि तीन विधानसभा सीटों जोवट, झाबुआ और थांदला सीट पर कांग्रेस काबिज है।
इस सीट पर कांग्रेस की पकड़ मजबूत मानी जाती है। 1952 से लेकर 2019 तक इस सीट पर 18 चुनाव हुए, जिसमें से बीजेपी सिर्फ तीन बार ही जीत सकी है।
2015 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया ने विजयी हुए थे। पिछले कुछ चुनावों की बात करें तो यहां नोटा का असर ज्यादा दिखता है।
2019 के चुनाव में सबसे ज्यादा 30 हजार 364 वोट नोटा को मतदाताओं ने दिए थे।
पहले रहा कांग्रेस का अभेद किला
रतलाम-झाबुआ लोकसभा (Loksabha Seat Ratlam) क्षेत्र कांग्रेस का अभेद किला रहा है। इस सीट से पहले कांतिलाल भूरिया 1998 से लेकर 2009 तक लोकसभा चुनाव जीते हैं।
इसके बाद 2014 लोकसभा चुनाव में दिलीप सिंह भूरिया ने कांग्रेस के इस रथ को रोक दिया था। जिसके बाद यहां हुए उपचुनाव में कांतिलाल भूरिया ने फिर से जीत दर्ज की।
2019 में गुमान सिंह डामोर ने फिर भूरिया को हराया।
आरक्षित सीट का जातीय समीकरण
रतलाम लोकसभा सीट (Loksabha Seat Ratlam) अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट है। यहां पर कांग्रेस उम्मीदवार कांतिलाल भूरिया भील समुदाय से आते हैं।
इधर BJP से अनीता नागर सिंह चौहान प्रत्याशी हैं। अनीता भिलाला समुदाय से आती हैं। ऐसे में रतलाम लोकसभा सीट पर भील और भिलाला 65:35 के अनुपात में हैं।
यही वजह है कि कांग्रेस ने कांतिलाल भूरिया को चुनावी मैदान में उतारा है। राम मंदिर और मोदी फैक्टर रतलाम-झाबुआ के शहरी मतदाताओं के बीच ही सिमटकर रह गए हैं।
ऐसे में यहां कांटे की टक्कर हो गई है।
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परिसीमन में हुई रतलाम सीट
रतलाम लोकसभा सीट (Loksabha Seat Ratlam) को 2008 में हुए परिसीमन के बाद लोगों ने जाना है, इससे पहले इस सीट को झाबुआ लोकसभा नाम से जानते थे।
इस लोकसभा सीट में पूरा अलीराजपुर और झाबुआ जिला शामिल है। इन दो जिलों के अलावा इस सीट में रतलाम जिले का कुछ हिस्सा भी है।
मप्र में झाबुआ जिला आदिवासियों का जिला है। यहां के तीज-त्यौहार भी आदिवासियों के रीति-रिवाजों के आधार पर मनाए जाते हैं।
यहां पर हर हस्त शिल्प के कई छोटे उद्योग हैं, जो आदिवासियों के कल्चर को दर्शाते हैं।