भोपाल। कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों… इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है मध्य प्रदेश के एक पिता ने। जिन्होंने अपने बेटों को पायलट बनाने के लिए सब कुछ दांव पर लगा दिया और उन्हें पायलट बनाकर ही दम लिया। यह कहानी है मूल रूप से मुरैना के रहने वाले दिहाड़ी मजदूर अमृतलाल की। जिन्होंने अपना सब कुछ दांव पर लगाकर तीनों बेटों को पायलट बनाया।
पुश्तैनी जमीन को रख दी थी गिरवी
अमृतलाल ने अपने बेटों की पढ़ाई के लिए खूब सारा कर्ज लिया। यहां तक कि पुश्तैनी जमीन को भी साहूकारों के पास गिरवी रख दी। बेटों ने भी पिता के इस अथक प्रयास को देखकर मन लगाकर पढ़ाई की और आज तीनों पायलट हैं। मीडिया से बात करते हुए बड़े बेटे कैप्टन अजय ने बताया कि उनकी और उनके भाइयों की पढ़ाई केंद्रीय विद्यालय से हुई है। पिताजी के पास इतने पैसे नहीं थे कि वे उन्हें महंगे स्कूल में पढ़ाते। ऐसे में उन्होंने फीस के लिए पुश्तैनी जमीन को गिरवी रख दी और मजदूरी करने लगे, ताकि घर चल सके। स्कूल के बाद पिता जी ने आगे की पढ़ाई के लिए एजुकेशन लोन भी लिया।
अब गरीबों के बच्चे भी देखेंगे पायलट बनने का सपना
अजय कहते हैं कि हम तीनों भाईयों ने पिताजी के संघर्ष को काफी नजदीक से देखा है। उन्होंने हमें पढ़ाने के लिए अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया था। क्योंकि पायलट बनने के लिए जो फ्लाइट सिम्युलेटर का इस्तेमाल किया जाता है वो काफी महंगा होता है। यही कारण है कि पायलट बनने का सपना सिर्फ अमीरों के बच्चे ही देखते हैं। लेकिन अब अजय अपने पिता के साथ मिलकर एक ऐसे फ्लाइट सिम्युलेटर पर काम कर रहे हैं जो वर्तमान में इस्तेमाल हो रहे फ्लाइट सिम्युलेटर से काफी सस्ता होगा। यानी अब आम आदमी के बच्चे भी पायलट बनने का सपना देख सकते हैं।
अब तक 25 लाख रूपये तक कर चके हैं खर्च
अजय और उनके पिता अब तक इस सिम्युलेटर पर 25 लाख रूपये तक खर्च कर चुके हैं। हालांकि, अभी पूरा काम होना बाकी है। क्योंकि इसमें अभी और पैसे लगेंगे। ऐसे में कैप्टन अजय चाहते हैं कि आगे इस सिम्युलेटर को बनाने में सरकार उनकी सहायता करे, क्योंकि अभी इसमें काफी उपकरण खरीदने बाकी हैं जो थोड़े महंगे और संवेदनशील हैं। इस मामले को लेकर अब कैप्टन अजय समेत तीनों पायलट भाई और उनके पिता अमृतलाल, केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात करेंगे।